अंबाला से लुधियाना 50 किलोमीटर रेल सेक्शन के दोहरीकरण की मांग जोर पकड़ने लगी

Update: 2024-05-24 06:45 GMT
अम्बाला : चंडीगढ़-साहनेवाल के 50 किलोमीटर रेल सेक्शन के दोहरीकरण की मांग जोर पकड़ने लगी है, हालांकि यह एक लंबी प्रक्रिया है। पिछले दिनों किसान आंदोलन के कारण परेशान हुए यात्रियों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है कि इस सेक्शन को भी डबल किया जाए ताकि उनकी यात्रा प्रभावित न हो और उन्हें ट्रेन के इंतजार में घंटों रेलवे स्टेशनों पर न बैठना पड़े।
जानकारी के अनुसार पिछले दिनों एकल सेक्शन पर मालगाड़ियों और मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों के संचालन का खामियाजा रेलवे सहित यात्रियों को भुगतना पड़ा था। ट्रेनें 24 घंटे की देरी से गंतव्य स्टेशन पर पहुंची तो बीच सफर यात्री बेहाल रहे, वहीं ट्रेन के इंतजार में दो-दो दिन यात्री स्टेशन पर ही बैठे रहे। वहीं ऑनलाइन माध्यम से भी यात्री लगातार रेल मंत्री सहित विभागीय अधिकारियों को शिकायतें करते रहे कि उनकी ट्रेन कब आएगी, कहां है, कितनी देर से चल रही है, लेकिन चंडीगढ़-साहनेवाल के एकल मार्ग पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी, जिससे ट्रेनों को गति प्रदान की जा सके। जब भी इस मार्ग पर मालगाड़ी या फिर यात्री ट्रेन आती थी तो इसे बीच रास्ते के एक छोटे स्टेशन पर रोक दिया जाता था और फिर दूसरी ट्रेन को पास करवाया जाता था। ऐसे में एक के पीछे खड़ी कई ट्रेनें प्रभावित हो जाती थी।
अंबाला-लुधियाना से कट गया था लिंक
अंबाला से लुधियाना का प्रमुख सेक्शन ट्रेनों के संचालन के लिए सबसे अहम है। ऐसे में लुधियाना से पहले साहनेवाल तक रेल सेक्शन पूरी तरह से प्रभावित हो गया था क्योंकि बीच रास्ते के किसी अन्य स्टेशन से लुधियाना की तरफ कोई भी लिंक रेल लाइन नहीं थी। इसलिए रेलवे ने विकल्प के तौर पर अंबाला कैंट से आवागमन करने वाली ट्रेनों को चंडीगढ़-साहनेवाल के रास्ते लुधियाना की तरफ भेजा ताकि वो अमृतसर और जम्मू-कटरा आदि की तरफ जा सकेें।
करोड़ों का नुकसान, आंकलन जारी
अंबाला-लुधियाना रेल सेक्शन के शंभू रेलवे स्टेशन के नजदीक पटरी पर बैठे किसानों की वजह से ट्रेनों का संचालन 34 दिन तक प्रभावित रहा। यह आंदोलन 17 अप्रैल को शुरु हुआ था और 20 मई तक चला। इसका असर 5655 ट्रेनों पर हुआ। रेलवे ने 34 दिनों के अंतराल में 2210 ट्रेनों को रद्द, 222 को बीच रास्ते रद्द, 1209 को बीच रास्ते पुन: संचालित, 2227 को बदले मार्ग से चलाया। वहीं 787 मालगाड़ियों को संचालन भी बदले मार्ग से किया गया।
किसान आंदोलन के कारण ट्रेनों का संचालन काफी प्रभावित रहा और इसका खामियाजा यात्रियों ने भी भुगता। किसी भी एकल सेक्शन के दोहरीकरण पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। इसमें जमीन अधिग्रहण से लेकर कई लंबी प्रक्रियाएं हैं। हां इस सेक्शन के दोहरीकरण की बेहद जरूरत है, लेकिन अभी इसे लेकर कोई निर्देश मुख्यालय की तरफ से नहीं आए हैं। जैसे ही कोई निर्देश प्राप्त होंगे तो जानकारी साझा कर दी जाएगी।
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