सुअरों की मौत से रोहतक में मचा हड़कंप, स्वाइन फ्लू का खतरा

Update: 2022-08-22 11:42 GMT

रोहतक न्यूज़: रोहतक जिले के गांव गांव सिंहपुरा कलां में लगातार हो रही सुअरों की मौत से लोगों में हड़कंप मचा हुआ है। जिले में सुअरों में स्वाइन फ्लू के बढ़ते मामलों को देखते हुए रविवार को विभागीय बैठक हुई, जिसमें सुअरों की मौत इसी संक्रमण से होने की आशंका जताई गई। वहीं गांव सिंहपुरा के विशाल, दिनेश, प्रदीप, हंसराज, मुकेश समेत कई और लोग गांव में मर रहे सुअरों की मौत स्वाइन फीवर की वजह से हुई बताई है। इससे उन्हें लाखों का नुकसान हो चुका है। स्वाइन फीवर अब जिले में विकराल रूप धारण करने लगी है। पिछले एक सप्ताह में सौ से अधिक सुअरों की रहस्यमयी मौत हो चुकी है। वहीं इस मामले में प्रशासन भी लापरवाही बरत रहा है। अभी तक सुअरों की मीट की बिक्री पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, जबकि चिकित्सक मीट नहीं खाने की सलाह दे रहे हैं। रोहतक जिले में अनेक सूअर फार्म हैं। वहीं नगर निगम की टीमें शहर में पड़े मृत सुअरों को, शहर से बाहर खुले में डाल रही हैं। जबकि बीमारी की गंभीरता काे देखते हुए इन्हें दफनाया जाना चाहिए। भिवानी रोड और जींद की तरफ जाने वाली सड़क पर सूअर पड़े दिखाई दे रहे हैं। कन्हैली गांव में रेलवे ओवरब्रिज के आसपास भी मृत सुअरे पड़े हैं। कई और सार्वजनिक स्थानों पर भी ऐसे ही दृश्य अब आम हो चुके हैं।

खुले में पड़े मृत सुअरों की वजह से व्यक्ति भी स्वाइन फ्लू की की चपेट में आ सकते हैं। ऐसा चिकित्सा विज्ञान का मानना है। स्वाइन इन्फ्लूएंजा एक संक्रामक सांस रोग है। जो कि सामान्य रूप से केवल सुअरों को प्रभावित करती है। यह आमतौर पर स्वाइन इन्फ्लूएंजा ए वायरस के एच1एन1 स्ट्रेंस के कारण होता है। हालांकि एच1एन2, एच 3 एन1 और एच3 एन 2 के रूप में अन्य स्ट्रेंस भी सुअरों में मौजूद रहते हैं। हालांकि लोगों में स्वाइन फ्लू होना सामान्य नहीं है। मानवीय संक्रमण कभी-कभी होते हैं, मुख्यतया संक्रमित सुअरों के साथ निकट संपर्क के बाद से।

2009 में पहली बार सामने आई थी बीमारी: मार्च/अप्रैल 2009 के दौरान, सूअर इन्फ्लूएंजा वायरस की एक नई स्ट्रेन मेक्सिको में उभरी, और मनुष्यों में रोग पैदा करना शुरू कर दिया। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इन्फ्लूएंजा के इस नए स्ट्रेन, जिसे इन्फ्लुएंजा ए (एच1एन1) कहा जाता है, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। दुनिया भर के विशेषज्ञों विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं यह निर्धारित करने के लिए कि इस वायरस से जनता को क्या ख़तरा हो सकता है। ऐसा भी विचार है कि यह नया स्ट्रेन एक ह्यूमन फ्लू पैंडेमिक का कारण बन सकता है।

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