अंबाला | असमानी आफत के बाद अब हालात सुधरने लगे हैं। जिले के लोगों के लिए राहत की खबर है कि घग्घर, मारकंडा और टांगरी नदी का जलस्तर घट गया है। बाढ़ का पानी रिहायसी इलाकों से काफी हद तक उतर चुका है, लेकिन बाढ़ से तबाही के निशां अब भी बाकी हैं। जिले में 8 मौतों के अलावा अरबों का नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है। 1.50 लाख एकड़ से ज्यादा फसल बर्बाद हो गई है। किसानों के कई पालतू पशुओं को आसमानी आफत ने निगल लिया। हलाकि बाढ़ की वजह से पलायन कर चुके लोग वापस आकर अपने आशियाने को फिर से सवांरने में जुटे हुए हैं। इतना भारी नुकसान होने के बावजूद सरकार ने बाढ़ घोषित नहीं किया है।
वहीं मौसम विभाग ने पूर्वानुमान जारी कर बताया है कि 20 जुलाई तक बूंदाबांदी होने की संभावना है। इसके साथ ही मौसम विभाग द्वारा शुक्रवार और शनिवार को यलो अलर्ट जारी किया था, लेकिन बाद में अंबाला ग्रीन जोन में शामिल हो गया था।जन स्वास्थ्य विभाग के कार्यकारी अभियंता अनिल चौहान ने बताया कि कैनाल बेसरा वाटर उपलब्ध न होने के कारण जन स्वास्थ्य विभाग के पास जितना पानी स्टोर है उतना पानी एक टाइम ही उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने आमजन से अपील की है कि पानी कम से कम इस्तेमाल करें। आवश्यकता के अनुसार पानी का उपयोंग करें। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जैसे ही कैनाल बेसरा वाटर शुरू होगा पानी की आपूर्ति सुचारू हो जाएगी।अंबाला उपायुक्त शालीन ने बताया कि जलभराव के चलते सीएचसी चौड़मस्तपुर में भी पानी भर गया था, अब पानी निकल चुका है। स्वास्थ्य सेवाओं के तहत चौड़मस्तपुर सीएचसी के साथ-साथ आस पास के गांव के लोगों को इस आपदा में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सीएससी चौड़मतस्पुर में 15 डॉक्टरों को डैपुटेशन पर नियुक्त किया गया है। इसके साथ-साथ 4 सीनियर डॉक्टर PMO लेवल के भी यहां लगाए गए हैं।