कोर्ट ने नियुक्तियों में सामाजिक व आर्थिक आधार पर पिछले आवेदकों को पांच अंक देने का प्रावधान किया
इस प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिकाओं के निपटारे से राज्य में हजारों नियुक्तियों का रास्ता साफ हो गया है
चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसले में हरियाणा सरकार के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसके तहत नियुक्तियों में सामाजिक और आर्थिक आधार पर पूर्व आवेदकों को पांच अंक देने का प्रावधान था. इस प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिकाओं के निपटारे से राज्य में हजारों नियुक्तियों का रास्ता साफ हो गया है.
हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए कहा गया कि राज्य सरकार ने संविधान के खिलाफ जाकर सामाजिक-आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया है. जो आवेदक किसी सरकारी नौकरी में नहीं है और कम पारिवारिक आय वाले परिवार से आता है, उसे सामाजिक एवं आर्थिक आधार पर अतिरिक्त पांच अंकों का लाभ देने का प्रावधान किया गया।
याचिकाकर्ता का कहना था कि संविधान के मुताबिक सामाजिक और आर्थिक आधार पर आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता. सामाजिक और आर्थिक आधार पर आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने नियुक्तियों पर रोक लगा दी। शुक्रवार को इस मामले पर अपना फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने साफ कर दिया कि सामाजिक-आर्थिक आधार पर आरक्षण का फैसला संविधान के खिलाफ है. हाई कोर्ट ने इस प्रावधान को रद्द करते हुए याचिका का निपटारा कर दिया. आवेदन के निस्तारण के साथ ही राज्य में हजारों नियुक्तियां हो गयी हैं.