महिला द्वारा दुष्कर्म का आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की याचिका खारिज

Update: 2024-03-16 06:31 GMT
हरियाणा : देश में होने वाले चुनावों में पाकिस्तान अशांति फैला सकता है। इस तरह के इनपुट मिलने के बाद प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर एक किलो मीटर दायरे में रात्रिकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया है। यह व्यवस्था चार मई तक लागू रहेगी।
 उपायुक्त डॉ. राकेश मिन्हास ने बताया कि बीएसएफ की 67 बटालियन ने पाकिस्तान की ओर से बढ़ रही ड्रोन गतिविधियों पर चिंता जताई थी। इसके बाद एसएसपी कठुआ शिवदीप सिंह जमवाल से मंत्रणा के बाद बीओपी पहाड़पुर से बीओपी करोल कृष्णा के बीच एक किलोमीटर दायरे में रात 10 से सुबह पांच बजे तक आम नागरिकों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
पिछले माह ड्रोन से भेजी थी आईईडी
कठुआ जिले के हीरनागर सेक्टर के मनियारी गांव में पिछले माह 21 फरवरी की रात पाकिस्तान ने ड्रोन के माध्यम से आईईडी की खेप भेजी थी। सतर्क बीएसएफ जवानों ने फायरिंग कर ड्रोन को खदेड़ दिया था। हालांकि ड्रोन से गिराई गई इस खेप को हासिल करने के लिए तस्कर पहुंचते उससे पहले बीएसएफ के जवानों ने इसे बरामद कर एक बड़ी साजिश को टाल दिया था।नूंह की एक महिला द्वारा दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश जारी करने के लिए दाखिल याचिका को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि एफआईआर दर्ज करने के लिए शिकायतकर्ता को पहले क्षेत्राधिकार मजिस्ट्रेट के पास न जाने के लिए पर्याप्त कारण बताना होगा।
जस्टिस सुमित गोयल ने कहा कि यदि ऐसे मामले के तथ्य/परिस्थितियां उचित हैं व हाइकोर्ट के अपने अधिकार क्षेत्र में है तो वह एफआईआर दर्ज करने, जांच की निगरानी करने की मांग करने वाली याचिकाओं पर विचार कर सकता है। महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए बताया कि उसके साथ दुष्कर्म हुआ था और फरवरी में उसने नूंह के पुलिस अधीक्षक को आरोपियों के खिलाफ शिकायत भी दी थी लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में याची को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करनी पड़ी है।
हाईकोर्ट ने कहा कि क्षेत्राधिकार मजिस्ट्रेट में न्याय प्रदान करने के लिए स्वतंत्र और मजबूत तंत्र उपलब्ध होने पर भी सीधे हाईकोर्ट से संपर्क करने की प्रवृत्ति चिंताजनक है। सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर याचिकाओं में एफआईआर दर्ज करने की मांग पर निर्णय लेने की शक्ति हाईकोर्ट के पास है लेकिन सभी याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता। ऐसे में हाईकोर्ट पर मुकदमेबाजी का बोझ बढ़ जाएगा।
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