स्वामित्व योजना भी तेजी से ठंडे बस्ते में गया

Update: 2022-09-02 12:12 GMT

रेवाड़ी न्यूज़: गांवों को लालडोरा मुक्त बनाने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से गत वर्ष 24 अप्रैल को शुरू की गई स्वामित्व योजना जिस तेजी के साथ शुरू हुई, उसी तेजी के साथ डंडे बस्ते में जा चुकी है। जिले में लालडोरा के दायरे में आने वाली प्रॉपर्टी रजिस्टर्ड करने का कार्य आधे गांवों में भी प्रॉपर्टी रजिस्टर्ड करने का कार्य पूरा नहीं हो सका। लालडोरा से संबंधित रिकॉर्ड पंचायत विभाग की ओर से राजस्व विभाग को सौंपा जा चुका है। राजस्व विभाग ने पेंडिंग कार्य को पूरा कराने के लिए अभी कोई कदम नहीं उठाए हैं। लालडोरा के अंदर आने वाले मकानों और प्लॉटों की रजिस्ट्री उनके मालिकों के नाम कराने के लिए सरकार ने स्वामित्व योजना शुरू की है। लालडोरा में मकानों और प्लॉट की खरीद-फरोख्त के लिए रजिस्ट्री का प्रावधान नहीं था। प्रॉपर्टी मालिक इन्हें रहन रखकर बैंकों से कर्ज तक नहीं ले सकते थे। इसी कारण सरकार ने यह महत्वाकांक्षी योजना शुरू की थी। योजना के पहले चरण में प्रदेश के कई छोटे गांवों में सर्वे कराकर संपत्ति मालिकों को उनकी रजिस्ट्रियां गत वर्ष 2021 में ही सौंप दी गई थीं, परंतु बड़े गांवों में इस कार्य ने संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के पसीने छुड़ाए छुड़ाने का कार्य किया था। प्रदेश सरकार ने गत 24 अप्रैल तक इस कार्य को हर हाल में पूरा करने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद यह कार्य अधर में लटका हुआ है।

लालडोरा में जमीनों और मकानों के मालिक निर्धारित करने के लिए गत वर्ष ही गांवों में ड्रोन मैपिंग कराई गई थी। इसके बाद ड्रोन से लिए गए चित्र से मकानों और प्लॉटों के मालिकों की सूची तैयार करने का कार्य शुरू किया गया था। जानकारों के अनुसार ड्रोन मैपिंग से तैयार किए नक्शों में ही भारी खामियां देखने को मिल रही थीं। पुराने और बड़े पेड़ों की छांव ड्रोन मैपिंग के दौरान सबसे बड़ी बाधा साबित हुई। इससे पेड़ों की छांव में आने वाले मकानों को खाली प्लॉट माना गया। दो मकानों के बीच की दीवार पर पेड़ों की छांव आने से उन्हें एक मकान ही माना गया है। यह खामियां पूरी तरह से अभी तक ठीक नहीं हो पाई हैं।

पुरानी संपत्तियों को लेकर उठा विवाद: जानकार सूत्रों के अनुसार सबसे अधिक समस्या पुराने मकानों के मालिकाना हक को लेकर खड़ी हो रही है। नई और पुरानी आबादी में रहने वाले भाइयों के बीच पुराने मकान में हिस्सेदारी को लेकर भी विवाद खड़े हो गए थे। कम आबादी वाले गांवों में ग्राम सचिवों ने नंबरदार और पटवारियों के साथ मिलकर ऐसे विवादों का निपटारा कर दिया, परंतु बड़े गांवों में इस समस्या को दूर करना आसान नहीं है। सर्वे के दौरान दशकों से अपने पुराने मकान छोड़कर दूसरी जगह रह रहे लोगों के मकान भी गांव में रहने वाले लोगों ने अपने नाम लिखा लिए थे। बीडीपीओ कार्यालयों में बड़ी संख्या में ऐसी शिकायतें लंबित पड़ी हैं, जिनका समाधान आसानी से होता दिखाई नहीं दे रहा है।

सभी प्रॉपर्टी तक नहीं हुई आइडेंटीफाई: जिले के 367 गांवों में से 150 गांवों में ही इस योजना के तहत प्रॉपर्टी रजिस्टर्ड की गई हैं। इनमें से भी कई प्रॉपर्टी पर आपत्तियां दर्ज कराई हुई हैं। इन आपत्तियों के निपटारे के मामले भी ठंडे बस्ते में हैं। जिले में 31718 प्रॉपर्टी की पहचान की गई थी, जबकि लाभपात्रों की संख्या 45844 है। जिले के 193 गांव ही ऐसे हैं, जिनमें सर्वे के बाद प्रॉपर्टी की पहचान की जा सकी है। अन्य गांवों में यह कार्य अभी तक अधूरा है। 11064 प्रॉपर्टी रजिस्टर्ड की गई हैं। इनमें से 11951 को फ्रीज किया गया है। पंचायत विभाग की ओर से क्लेम और आपत्तियों के बाद नए सिरे से नक्शे बनाने के दावे किए जा रहे हैं, जबकि हकीकत यह है कि बाद में नए सिरे से नक्शे तैयार ही नहीं किए गए।

सर्वे के कार्य के बाद लिस्ट ही गलत: पुरानी आबादी में मकानों और प्लॉटों के सर्वे का कार्य ग्राम सचिवों ने नंबरदारों के साथ मिलकर पूरा किया था। इसके बाद सर्वे ऑफ इंडिया की ओर कंप्यूटरों से संपत्ति मालिकों की सूचियां तैयार की गई थीं। इन सूचियों में आरंभिक दौर में ही भारी अनियमितताएं सामने आई थीं। कई गांवों में सूचियों में 60 फीसदी से भी अधिक संपत्तियां गलत नामों और संपत्तियों के नंबरों से दर्ज की गई थीं। इन सूचियों को ठीक कराने के लिए लोगों की लाइनें बीडीपीओ कार्यालयों में लग गई थीं। वहां से बड़ी संख्या में आपत्तियां भी ली गईं, परंतु इसके बाद आपत्तियों का निपटारा नहीं किया। इसके बाद पंचायत विभाग की ओर से इस कार्य को राजस्व विभाग के सुपुर्द कर दिया गया। विभाग की ओर से अब कार्यवाही को आगे बढ़ाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

जल्द पूरा कराया जाएगा काम: इस मामले में देा दिन पूर्व ही बीडीपीओ व अन्य पंचायत अधिकारियों की बैठक ली गई थी। उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि कोर्ट में पेंडिंग मामलों को छोड़कर इस योजना के लंबित कार्य को जल्द पूरा कराएं। इस पर जल्द कार्य शुरू कराया जा रहा है। -एचपी बंसल, डीडीपीओ।

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