बिजली निजीकरण का विरोध: फरवरी में दो दिवसीय हड़ताल करेंगे 27 लाख बिजली कर्मचारी व इंजीनियर

केंद्र सरकार की निजीकरण की नीतियों के विरोध में 23 व 24 फरवरी को देश के 27 लाख बिजली कर्मचारी व इंजीनियर दो दिवसीय हड़ताल करेंगे।

Update: 2022-01-17 15:38 GMT

केंद्र सरकार की निजीकरण की नीतियों के विरोध में 23 व 24 फरवरी को देश के 27 लाख बिजली कर्मचारी व इंजीनियर दो दिवसीय हड़ताल करेंगे। चंडीगढ़ के बिजली निजीकरण के विरोध में राष्ट्रीय फेडरेशन के पदाधिकारी एक फरवरी को चंडीगढ़ में राज्यपाल से मुलाकात कर बिजली निजीकरण के खिलाफ ज्ञापन देंगे।

नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर यह हड़ताल हो रही है। इसमें देश के सभी प्रांतों के 15 लाख नियमित और 12 लाख अनुबंधित बिजली कर्मचारी व इंजीनियर हिस्सा लेंगे। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स की सोमवार को ऑनलाइन हुई बैठक में हड़ताल का निर्णय लिया गया।
बैठक की अध्यक्षता ऑल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने की। इसमें हरियाणा से सुभाष लांबा शामिल हुए। उन्होंने बताया कि निजीकरण के विरोध में हड़ताल पर सहमति बनी है। बिजली कर्मचारियों व इंजीनियरों की मुख्य मांग है कि बिजली (अमेंडमेंट) बिल 2021 वापस लिया जाए। सभी प्रकार के निजीकरण की प्रक्रिया बंद हो।
केंद्र शासित प्रदेशों खासकर मुनाफा कमाने वाले चंडीगढ़ ,दादरा नगर हवेली, दमन द्वीप व पुडुचेरी में बिजली निजीकरण का फैसला रद्द हो। बिजली बोर्डों के विघटन के बाद नियुक्त किए गए सभी बिजली कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम के तहत लाया जाए। सभी संविदा कर्मचारियों को तेलंगाना सरकार की तरह नियमित करें।
उन्होंने बताया कि एक फरवरी को केंद्र शासित प्रदेशों के निजीकरण के विरोध में चंडीगढ़ व पुडुचेरी के बिजली कर्मी एक दिन की हड़ताल कर रहे हैं। उनका समर्थन किया जाएगा। चंडीगढ़ का बिजली विभाग लगातार मुनाफे में चल रहा है। 2020 -21 में चंडीगढ़ के बिजली विभाग ने 257 करोड़ का मुनाफा कमाया है। चंडीगढ़ में लाइन लॉस मात्र 09.2 प्रतिशत हैं और चंडीगढ़ का टैरिफ हरियाणा और पंजाब से काफी कम है। ऐसे में लगातार मुनाफा कमाने वाले बिजली विभाग का निजीकरण स्वीकार्य नहीं हैं। उसके विरोध में राष्ट्रव्यापी आंदोलन किया जाएगा।
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