गुडगाँव न्यूज़: हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) के खरीदारों को दुकान और मकान बनाने के लिए भूखंड पर कब्जा नहीं मिल रहा है. पिछले आठ महीने से खरीदार एचएसवीपी का चक्कर लगा रहे है. सेक्टर-38 में लोगों ने 14 शोरूम ई-नीलामी में खरीदे गए थे. वहीं सेक्टर-9 में सौ वर्ग गज से 80 से अधिक भूखंड खरीदे गए.
भूखंडों पर बिजली, सड़क, पानी-सीवर की आदि के विकार्य मौके पर नहीं हुए. खरीदारों का आरोप है कि बकाया राशि एचएसवीपी की ओर से मांगा जा रहा है. लेकिन भूखंड पर कब्जा देने के लिए कोई समय नहीं दिया.
भूखंड 200 करोड़ में बेचे थे सितंबर 2022 में एचएसवीपी की तरफ से सेक्टर-38 में 14 व्यावसायिक भूखंडों की ई-नीलामी की गई. एक व्यावसायिक भूखंडों करीब 450 वर्ग मीटर का है. यहां पर करी 14 व्यावसायिक भूखंडों की ई-नीलामी किए गए था. एक भूखंड की नीलामी 15 से 16 करोड़ में हुई. जिनकी कुल कीमत 200 करोड़ से भी अधिक है. इतनी महंगी कीमतों में व्यावसायिक भूखंड खरीदने वाले खरीदारों की अधिकारियों को कोई परवाह नहीं है.
दोनों संपदा अधिकारियों से इस मामले में पूछताछ की जाएगी. दोनों सेक्टरों में जल्द ही विकास कार्य शुरू कराए जाएंगे. संबंधित खरीदार दफ्तर में मिल सकते हैं.
-बलप्रीत सिंह, प्रशासक एचएसवीपी
80 वर्ग गज के भूखंड सौ करोड़ रुपये बेचे
सेक्टर-9 में 1200 से अधिक भूखंड काटकर नीलाम कर दिया गया है. यहां पर 80 से अधिक सौ वर्ग गज के भूखंड करीब सौ करोड़ रुपये में बेचे गए. एक भूखंड ई-नीलामी में डेढ़ करोड़ रुपये में बिके थे. इन भूखंडों पर जाने के लिए तो सड़क है, न ही पानी-सीवर और बिजली की लाइन है. इसके कारण खरीदारों को भूखंडों पर कब्जा नहीं दिए जा रहे है.
विकास कार्य नहीं हुए
खरीदार ध्रुव शर्मा ने कहा कि कि 9 माह पहले ई-नीलामी में तीन व्यावसायिक भूखंड पर शोरूम बनाने के लिए खरीदे थे. दिसंबर 2022 में एचएसवीपी से आवंटन पत्र मिले. लेकिन आज तक भूखंड से ठेका और दुकानें तक नहीं हटाई गई है. यहां पर सड़क निर्माण, सीवर, पानी की लाइनें, बिजली का प्रबंध, पार्किंग का निर्माण, पेड़ों को हटाना आदि के विकास कार्य नहीं कराए गए. जिससे शोरूम बनाने में देरी हो रही है. विमल अरोड़ा ने कहा कि एचएसवीपी केवल संपत्तियों की ई-नीलाम करके पैसे वसूला है.
अधिकारी नहीं देते जवाब
विंग के अधिकारी नहीं देते जवाब
एचएसवीपी के सर्वे ब्रांच के अनुसार इंजीनियरिंग विंग को कई बार निर्देश दिए गए कि जिन भूखंडों की नीलामी हो चुकी है. वहां पर विकास कार्य नहीं कराए जा रहे है. इसके बारे में विंग के अधिकारी कोई जवाब नहीं देते है.