इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज, सीमा प्रहरियों के लिए रक्त जुटाने में लगे मां भारती रक्तवाहिनी के वीर
रक्त की कमी से किसी की जान न जाए इस उद्देश्य से हरियाणा के सोनीपत में शुरू की गई मां भारती रक्तवाहिनी संस्था के सदस्य आज अपना खून देकर दूसरों को नया जीवनदान दे रहे हैं। सीमा प्रहरियों के लिए रक्त जुटाने में भी रक्तवाहिनी के वीर सदैव तत्पर रहते हैं। भारतीय सेना और अन्य जरूरतमंद लोगों के लिए संस्था सात सालों में 18 हजार यूनिट से अधिक रक्तदान करा चुकी है।
कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान सैनिकों व उनके परिवारों को रक्त की जरूरत पड़ी तो संस्था के सदस्य आगे आए और '30 मई 30 गाड़ियां' का नारा देकर 102 रक्तदाताओं को लेकर दिल्ली पहुंचे, जहां 97 लोगों ने सेना के लिए रक्तदान किया। निस्वार्थ भाव से सेना के लिए रक्त जुटाने की यह मुहिम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो गई।
सोनीपत के गांव रायपुर निवासी मां भारती रक्तवाहिनी संस्था के संस्थापक सदस्य एवं महासचिव प्रेम गौतम बताते हैं कि हर व्यक्ति के जीवन में कुछ ऐसे मोड़ आते हैं जो जीवन की दिशा ही बदल देते हैं। उनके जीवन में भी एक ऐसा मोड़ आया। वर्ष 2015 में पत्नी अस्पताल में दाखिल थी, जहां उन्होंने बेटे यतन गौतम को जन्म दिया।
पत्नी के लिए खून की जरूरत पड़ी। समझ नहीं आ रहा था कि खून कहां से लाएं। ब्लड बैंक में डॉ. संजय वर्मा ने सहायता की और आसानी से रक्त उपलब्ध करा दिया। उन्होंने रक्तदान का महत्व बताया। उसी दिन ठान लिया था कि रक्त की कमी से किसी की जान नहीं जाने देंगे। प्रेम गौतम बताते हैं कि वर्ष 2015 में ही मां भारती रक्तवाहिनी संस्था शुरू की।
जिसके माध्यम से रक्तदान शिविर लगाए और लोगों को भी रक्तदान का महत्व समझाते हुए रक्तदान करने के लिए जागरूक किया। वर्ष 2018 में संस्था रजिस्टर्ड कराई। इस मुहिम को तेजी से नए आयाम देने के लिए कार्य शुरू कर दिया। संस्था अब तक 113 रक्तदान शिविर लगा चुकी है।
इनमें भारतीय सेना के लिए लगाए गए 24 शिविर भी शामिल हैं। प्रेम गौतम बताते हैं कि संस्था के 16 सदस्य रजिस्टर्ड हैं और इसके साथ 70 सदस्य जुड़े हुए हैं, जो हर समय किसी भी जरूरतमंद को रक्त देने के लिए तैयार रहते हैं। जहां भी रक्त की जरूरत पड़ती है, सदस्य एक कॉल पर पहुंच जाते हैं।
प्रेम गौतम बताते हैं कि कोरोना काल में जब परिस्थितियां विपरीत थीं और लॉकडाउन में लोग घरों में कैद थे। उस समय सशस्त्र बल आधान केंद्र (आर्म्ड फोर्सेस ट्रांसफ्यूशन सेंटर) की तरफ से मेल आई। जिसमें सीमा प्रहरियों व उनके परिवारों के लिए रक्त की जरूरत बताई गई। प्रेम गौतम बताते हैं कि उनकी संस्था ने तुरंत जिले के युवाओं से संपर्क साधा और '30 मई 30 गाड़ियां' नारा दिया।
जिसके बाद 30 मई को वे 102 रक्तदाताओं के साथ दिल्ली स्थित सशस्त्र बल आधान केंद्र पहुंचे, जहां 97 रक्तदाताओं ने सेना के लिए रक्तदान किया। विपरीत परिस्थितियों में सीमा प्रहरियों के लिए किया गया यह कार्य रिकॉर्ड बन गया और 12 जून 2021 को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज हो गया। जिस समय लोग घरों में कैद थे, उस समय संस्था के सदस्यों ने निस्वार्थ भावना से कार्य करते हुए 2364 यूनिट रक्तदान कराया। प्रेम गौतम बताते हैं कि शिविरों के माध्यम से अब तक 8264 यूनिट रक्तदान शिविरों के माध्यम से करवाया है। इसके अलावा लगभग इतने ही यूनिट रक्तदान जन्मदिन व अन्य अवसरों में लघु शिविर लगाकर व आपातकाल में रक्तदाताओं को भेज कर भी करवा चुके है।
50 बार रक्तदान कर चुके हैं प्रेम गौतम
प्रेम गौतम बताते हैं कि वह अब तक 50 बार रक्तदान कर चुके हैं। इसके अलावा संस्था के संरक्षक डॉ. पूर्णमल गौड़, प्रधान विपिन कुमार गौड़, संस्थापक सदस्य व कोषाध्यक्ष सोहन लाल, उपाध्यक्ष प्रदीप बंसल, सहसचिव विनय वशिष्ठ, संस्थापक सदस्य सोमप्रकाश, कार्यकारिणी सदस्य राहुल बजाज व सदस्यों में रविंद्र शर्मा, कर्मबीर सरोहा, नरेश भारद्वाज, इस्लाम, राजेश सोलंकी, दक्ष, राजेश कश्यप, जयदीप शर्मा, स्नेहलता, संतोष सोनू, राजेंद्र आर्य व देवेंद्र गौतम भी खुद रक्तदान करते हुए दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करते रहते हैं। उन्होंने बताया कि संस्था की विशेष बात यह है कि अब तक जितने भी शिविर लगाए गए हैं। ये सभी शिविर सरकारी ब्लड बैंक के लिए ही लगाए गए हैं।
अब तक किया गया रक्तदान
वर्ष शिविर एकत्रित रक्त
2015 01 शिविर 135 यूनिट
2016 01 शिविर 75 यूनिट
2017 03 शिविर 369 यूनिट
2018 18 शिविर 1503 यूनिट
2019 16 शिविर 1040 यूनिट
2020 13 शिविर 1205 यूनडिोट
2021 23 शिविर 2364 यून।ट
2022 18 शिविर 1573 यूनिट (इस वर्ष के अभी तक)
केरल में बाढ़ पीड़ितों के लिए जुटाए 53 हजार
प्रेम गौतम बताते हैं कि अगस्त 2018 में केरल में बाढ़ आई थी, जिसमें अनेकों लोग मारे गए थे और हजारों बेघर हो गए थे। बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए संस्था के सदस्यों ने एकजुट होकर अभियान चलाते हुए जिले से चंदा एकत्रित किया। चंदे का करीब 53 हजार रुपये का चेक तत्कालीन उपायुक्त को सौंपा था। वहीं लोगों में देशभक्ति की भावना को जागृत करने के लिए उन्होंने तिरंगा सम्मान संकल्प मुहिम शुरू की। इसमें लोगों को तिरंगे के मान-सम्मान के प्रति जागरूक किया जाता है। घरों व कार्यालयों पर अगर कटा-फटा या मैला तिरंगा लगा नजर आता है तो उसे बदलवाया जाता है। इस मुहिम के साथ ही लोग जुड़ने लगे हैं। इससे लोगों में देशभक्ति की भावना भी जागृत हो रही है।