हरियाणा के मुख्यमंत्री और पीएम मोदी के साथ होने वाली बैठक स्थगित हो गई

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की पीएम मोदी के साथ होने वाली बैठक स्थगित हो गई (CM Khattar PM Modi meeting)है. कृषि कानून (three farm laws)वापस लिए जाने के फैसले के बाद सीएम खट्टर और पीएम मोदी के बीच ये पहली मुलाकात होने वाली थी.

Update: 2021-11-25 08:03 GMT

जनता से रिश्ता। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की पीएम मोदी के साथ होने वाली बैठक स्थगित हो गई (CM Khattar PM Modi meeting)है. कृषि कानून (three farm laws)वापस लिए जाने के फैसले के बाद सीएम खट्टर और पीएम मोदी के बीच ये पहली मुलाकात होने वाली थी. इस बैठक के लिए सीएम खट्टर बुधवार शाम को ही दिल्ली पहुंचे (Khattar Modi Meeting Delhi)थे. हालांकि आगे दोनों की मुलाकात कब हो पाएगी इस बात अभी पता नहीं चल सका है. बता दें कि चंडीगढ़ में बृहस्पतिवार को कैबिनेट की बैठक होने वाली है.

पीएम के साथ सीएम मनोहर लाल की होने वाली इस बैठक को लेकर कयास लगाए जा रहे थे कि दोनों की इस मीटिंग में किसान आंदोलन को लेकर कुछ चर्चा हो सकती है. बता दें कि हरियाणा में किसान आंदोलन का सबसे बड़ा असर है. भारी तादाद में किसान अब भी धरना स्थल पर जुटे हुए हैं. वहीं दूसरी ओर बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है. इसके बाद 29 नवम्बर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत में ही कानून वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.
संसदीय नियमों के अनुसार किसी भी पुराने कानून को वापस लेने की भी वही प्रक्रिया है जो किसी नए कानून को बनाने की है. जिस तरह से कोई नया कानून बनाने के लिए संसद के दोनों सदनों से बिल पारित करवाना पड़ता है. ठीक उसी तरह पुराने कानून को वापस लेने या समाप्त करने के लिए संसद के दोनों सदनों से बिल पारित करवाना पड़ता है. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही तीनों कृषि कानून (three farm laws) निरस्त हो जाएंगे. बिल पारित होने में कितना समय लगेगा. ये सरकार की प्राथमिकताओं पर निर्भर करेगा. उम्मीद यही है कि सत्र शुरू होने के पहले हफ्ते में ही तीनों कृषि कानून वापस ले लिए जाएंगे.
बता दें कि 19 नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानूनों को रद्द किए जाने का ऐलान किया था. पीएम ने देश के नाम दिए गए संबोधन में कहा था कि किसानों को कानूनों के बारे में समझाने का भरपूर प्रयास किया गया, अनेक माध्यमों से, लेकिन वह समझ नहीं पाए. उन्होंने कहा था कि हमने किसानों की बातों और उनके तर्क को समझने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. जिन कानूनों पर ऐतराज था उनको समझने में सरकार ने भरपूर कोशिश की, लेकिन अब ये कानून वापस ले लिए जाएंगे.हालांकि पीएम मोदी के ऐलान के बाद भी किसान धरने पर डटे हुए हैं. 26 नवंबर को किसान आंदोलन का एक साल पूरा होने जा रहा है. इस दौरान किसानों ने संसद कूच का ऐलान किया है. किसान नेता राकेश टिकैत ने मंगलवार को कहा कि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी समेत अन्य मुद्दों को लेकर 60 ट्रैक्टरों के साथ संसद के लिए मार्च निकालेंगे. उन्होंने कहा कि 29 नवंबर को 60 ट्रैक्टर के साथ संसद के लिए मार्च निकालेंगे. ट्रैक्टर उन सड़कों से गुजरेंगे, जिन्हें सरकार ने खोल दिया है.


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