कपालमोचन तीर्थ: शाही स्नान के साथ शुरू हुआ मेला
हरियाणा के यमुनानगर जिले में तीनों लोकों के पाप से मुक्ति दिलाने वाला कपालमोचन तीर्थ मेले का सोमवार को शाही स्नान के साथ शुभारंभ हो गया।
हरियाणा के यमुनानगर जिले में तीनों लोकों के पाप से मुक्ति दिलाने वाला कपालमोचन तीर्थ मेले का सोमवार को शाही स्नान के साथ शुभारंभ हो गया। पांच दिवसीय मेला कार्तिक माह की पूर्णिमा व गुरु नानक प्रकाश पर्व तक चलेगा। पूर्णिमा पर अंतिम स्नान के साथ मेले का समापन होगा।
मान्यता है कि यहां के पवित्र सरोवरों में स्नान करने से ब्रह्म हत्या जैसे महापाप से भी मुक्ति मिल जाती है। महर्षि वेद व्यास की कर्मस्थली जिले के बिलासपुर में ऐतिहासिक कपालमोचन मेला शुरू हो गया है। संत समाज के शाही स्नान के बाद पहले दिन सैकड़ों श्रद्धालुओं ने विभिन्न सरोवरों में डुबकी लगाई।
सुबह से ही श्रद्धालुओं ने कपालमोचन सरोवर, ऋणमोचन सरोवर, सूरज कुंड में स्नान कर दीपदान किया। उल्लेखनीय है कि पहले मेले की तैयारी दो महीने पूर्व ही शुरू हो जाती थी। कोरोना संक्रमण के कारण इस बार मेले की अनुमति बहुत देरी से मिली।
मात्र 15 दिन में प्रशासन, धार्मिक व सामाजिक संगठनों ने मिलकर पूरी व्यवस्था बनाई है। वहीं प्रशासन की ओर से कोरोना संक्रमण बचाव की नियमावली भी लागू की गई है, जिसके तहत बिना टीकाकरण लोगों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है।
रात से ही पहुंचने लगे श्रद्धालु
मेले में पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु रात को ही पहुंचने लगे थे। संतों के स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने तीनों सरोवरों में डुबकी लगाई। शाम तक मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने स्नान कर धार्मिक स्थलों पर पूजा अर्चना कर दान किया। श्रद्धालुओं ने दीपदान भी किया। गऊ-बच्छा घाट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटी।
तीनों सरोवरों पर सुरक्षा
सुरक्षा के लिहाज से कपालमोचन स्थित तीनों सरोवरों में गोताखोरों, तैराकों सहित बचाव दल की ड्यूटी लगाई गई हैं। बचाव दल के सदस्य पांच दिन 24 घंटे बारी-बारी से ड्यूटी देंगे। कपालमोचन सरोवर और ऋणमोचन सरोवर में आधुनिक उपकरणों सहित दो-दो बोट लगाई गई हैं। वहीं सूरजकुंड सरोवर में नाव लगाई है। घाटों एवं पूरे मेला क्षेत्र में सफाई व्यवस्था को बराबर रूप से चुस्त दुरुस्त रखने के व्यापक प्रबंध किए गए हैं।
तीनों लोकों के पाप से मुक्ति दिलाने वाला है तीर्थ
कपालमोचन तीर्थ प्राचीन इतिहास समेटे है। पुराणों के अनुसार कपाल मोचन तीर्थ तीनों लोकों के पाप से मुक्ति दिलाने वाला स्थल है। इसके पवित्र सरोवरों में स्नान करने से ब्रह्म हत्या जैसे महापाप से मुक्ति मिलती है। आदि काल में कार्तिक पूर्णिमा की अर्धरात्रि के समय भगवान शिव को कपाल मोचन सरोवर में स्नान करने से कपाली दोष से मुक्ति मिली थी। वहीं पांडवों ने भी यहां पर पहुंचकर पूजा और स्नान किया था। इसके अलावा दशमेश गुरु गोबिंद सिंह महाराज भी यहां पर आए थे। मान्यता है कि यहां उन्होंने शस्त्रों को स्नान करवाया था।
पांच दिवसीय कपालमोचन मेले शाही स्नान के साथ शुभारंभ हो गया है। मेले को लेकर प्रशासन ने व्यापक प्रबंध किए हैं। कोरोना संक्रमण के कारण नियमावली लागू की गई है। श्रद्धालुओं से अपील है कि वे नियमावली का पालन करें। -पार्थ गुप्ता, डीसी एवं मुख्य मेला प्रशासक।