जींद: कच्ची हल्दी के फायदे, बाजार में महंगी मिली तो उगानी की शुरू
हरियाणा के जींद जिले के गांव गांगोली निवासी किसान रामफल पिछले छह वर्षों से हल्दी की खेती कर रहे हैं।
हरियाणा के जींद जिले के गांव गांगोली निवासी किसान रामफल पिछले छह वर्षों से हल्दी की खेती कर रहे हैं। उनकी पत्नी व उनको घुटनों के दर्द ने परेशान कर रखा था। किसी ने बताया कि वह कच्ची हल्दी शाम के समय दूध में मिलाकर दो महीने पी लें तो दर्द ठीक हो जाएगा।
उन्होंने छह वर्ष पहले कच्ची हल्दी को पाने के लिए काफी संघर्ष किया। उनको कच्ची हल्दी 200 रुपये किलोग्राम मिली। उसी समय उनका संपर्क खंड कृषि अधिकारी डॉ. सुभाषचंद्र से हुआ तो रामफल ने खुद के लिए हल्दी की खेती करने की इच्छा जताई। इसमें सुभाषचंद्र ने रामफल का सहयोग किया। वह हल्दी का बीज गुजरात से लेकर आए। इसके बाद उन्होंने बहुत कम जगह में हल्दी की खेती शुरू की ताकि उनको हल्दी खरीदनी नहीं पड़े और पति-पत्नी को यह हल्दी दवाई में रूप में मिलती रही।
इसके बाद रामफल व उनकी पत्नी का दर्द ठीक हो गया और उन्होंने अब एक एकड़ में हल्दी की खेती करनी शुरू कर दी। रामफल के पास खुद की पौने तीन एकड़ जमीन है। इसमें से अब वह एक एकड़ में हल्दी की खेती करते हैं। रामफल ने बताया कि अब वह 100 रुपये प्रति किलोग्राम हल्दी बेचते हैं।
इससे उनको प्रति वर्ष दो लाख रुपये की आमदनी होती है। उनकी हल्दी घर से ही बिक जाती है। इस खेती में वह किसी प्रकार का कोई कीटनाशक का प्रयोग नहीं करते और न ही कोई खाद अन्य खाद डालते हैं। वह केवल गोबर की खाद डालते हैं। इसमें खर्च भी कम आता है तथा जो हल्दी का उत्पादन होता है, वह स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है। रामफल ने कहा कि अन्य किसानों को भी जैविक खेती करनी चाहिए।
गीता जयंती महोत्सव में भी लगाया स्टॉल
जिले में रविवार को शुरू हुए गीता जयंती महोत्सव में भी जिले के 18 किसानों ने स्टॉल लगाया है और परंपरागत खेती से हटकर जैविक खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इन किसानों का नेतृत्व खंड कृषि अधिकारी डॉ. सुभाषचंद्र कर रहे हैं। खुद सुभाष चंद्र भी अपने गांव अहीरका में जैविक खेती करते हैं।
जिले के 18 किसानों ने मिलकर पिल्लूखेड़ा जैविक उत्पादक समूह बनाया हुआ है। इसको सरकार से रजिस्टर्ड करवाया गया है। सभी किसान इसी नाम से अपना उत्पाद बेचते हैं। उनका समूह जैविक गुड़, खांड, रागी, कत्की, सामक, कांगनी समेत नवधान का उत्पादन करता है। उनके पास सरसों का जो तेल है, वह कहीं नहीं मिल सकता। अन्य किसानों को भी जैविक खेती करनी चाहिए। इसमें उत्पादन शुरुआत में कम मिलता है लेकिन इसकी कीमत अच्छी मिलती है। इसके अलावा यह उत्पाद स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होते हैं। - डॉ. सुभाष चंद्र, खंड कृषि अधिकारी।