रेवाड़ी न्यूज़: हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने दसवीं और बारहवीं कक्षा में दूसरे स्कूल में दाखिला लेते समय एक हजार से तीन हजार रुपये जमा कराने का निर्देश दिया. इसका इंडियन प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन (इपसा) ने विरोध किया है.
एसोसिएशन ने कहा कि बोर्ड के इस निर्णय का विरोध किया जाएगा और इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी जाएगी. इपसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. प्रदीप गुप्ता ने कहा कि बोर्ड लगातार अतार्किक फैसले लेकर निजी स्कूलों को बंद करवाने का काम कर रहा है. हरियाणा के छोटे बजट के स्कूल जिनकी फीस ही नाममात्र है, इस फैसले से ज्यादा प्रभावित होंगे. उन्होंने कहा कि अगर कोई बच्चा नौंवी कक्षा तक सरकारी स्कूल में पढ़ता है और किसी कारणवश उस स्कूल में अध्यापकों की कमी के चलते और बेहतर परिणाम चाहते हुए अभिभावक अपने बच्ची का दाखिला गांव के ही दूसरे स्कूल में करवाना चाहते है तो उस अभिभावक को तीन हजार रुपए का आर्थिक शुल्क बोर्ड कार्यालय को देना होगा.
इसके बाद ही वो दूसरे स्कूल में बच्चों को पड़ा सकेगा. बोर्ड के इस फैसले का अभिभावकों की जेब पर भार पड़ेगा और उनके बच्चों की पढ़ाई महंगी हो जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर नौंवी या ग्यारहवीं कक्षा में कोई अभिभावक किसी स्कूल की पढ़ाई से संतुष्ट नही है और वो अगले साल 10वीं या 12वीं कक्षा में दूसरे स्कूल का रुख करना चाहता है तो भी उसे तीन हजार रुपए का शुल्क बोर्ड कार्यालय को अदा करना पड़ेगा. एसोसिएशन के प्रतिनिधि मण्डल ने बोर्ड चेयरमैन से मुलाकात कर इस मुद्दे पर बात की थी लेकिन उन्होंने इपसा की बात को अनसुना कर दिया.
इंडियन प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के लीगल एडवाइजर एडवोकेट डॉ तरुण अरोड़ा ने कहा कि हरियाणा सरकार व शिक्षा बोर्ड भिवानी हरियाणा शिक्षा बोर्ड को खत्म करके सीबीएसई को बढ़ाने का काम कर रही है. जिसको लेकर गलत नीतियां दिखा रहे हैं ताकि हरियाणा बोर्ड के छात्रों को लगे कि हरियाणा बोर्ड सिम्पल है और सीबीएसई बोर्ड में दाखिला ले सकते हैं.