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अब एफसीआई (Food Corporation of India) को राइस मिलर पुराने और घटिया क्वालिटी के चावल (FCI will not take old or spoiled rice) नहीं भेज सकेंगे.
जनता से रिश्ता। अब एफसीआई (Food Corporation of India) को राइस मिलर पुराने और घटिया क्वालिटी के चावल (FCI will not take old or spoiled rice) नहीं भेज सकेंगे. राइस मिलर को वही चावल एफसीआई को देने होंगे, जिस किस्म की धान उन्होंने एफसीआई से ली होगी. ये चावल 3 महीने के भीतर एफसीआई को देने होंगे. इसके लिए एफसीआई ने नई तकनीक (FCI new technology) इजाद की है. जिससे तुरंत पता चल जाएगा कि ये चावल 3 महीने पुराने हैं या उससे ज्यादा पुराने हैं.
अगर चावल 3 महीने से ज्यादा पुराने होंगे तो एफसीआई उन चावलों को स्वीकार नहीं करेगा और राइस मिलों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. एफसीआई हरियाणा रीजन के डीजीएम प्रदीप सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि इसके लिए एफसीआई के वैज्ञानिकों ने एक खास केमिकल तैयार किया है. इसी केमिकल के जरिए ही नए और पुराने चावलों को पहचाना जाएगा. इस केमिकल में चावल को मिलाने से केमिकल का रंग बदल जाता है.
अगर केमिकल का रंग हरा है तो इसका मतलब ये है कि चावल 3 महीने से कम पुराना है. अगर केमिकल का रंग पीला हो जाता है तो इसका मतलब है कि चावल 3 महीने से ज्यादा पुराना है. अगर केमिकल का रंग नारंगी हो जाता है तो इसका मतलब है कि ये चावल और ज्यादा पुराना है. प्रदीप सिंह ने कहा कि इस तकनीक का एफसीआई को बहुत फायदा होगा, क्योंकि एफसीआई इस बात के लिए निश्चित होगा कि राइस मिलर ने जो धान एफसीआई से ली है. उसी धान के चावल वो वापस भी दे रहा है.
इससे पहले इतनी सटीक तकनीक नहीं थी, जिससे 100 फ़ीसदी परिणाम प्राप्त नहीं हो पाते थे. ऐसे में हमेशा ये आशंका बनी रहती थी कि कहीं राइस मिलर एफसीआई को पुराने चावल तो नहीं दे रहा. इसके अलावा उन्होंने कहा कि अगर कोई राइस मिलर इन चावलों में पुराने चावल कुछ मात्रा मिला देता है तब भी ये तकनीक काम करेगी. प्रदीप सिंह ने कहा कि इस सीजन में अभी तक जितने राइस मिलर ने सही चालव दिए हैं. अगर किसी भी जांच का परिणाम सही नहीं रहता है तो राइस मिलर के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी.