महेंद्रगढ़ के कनीना हादसे के बाद सरकार ने बढ़ाई सख्ती विरोध में उतरे संचालक, पांच जिलों में स्कूल बंद

Update: 2024-04-16 08:24 GMT
महेंद्रगढ़ : महेंद्रगढ़ के कनीना में हुए स्कूल बस हादसे के बाद बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे स्कूलों के खिलाफ राज्य सरकार ने सख्त कार्रवाई शुरू की तो इसके विरोध में निजी स्कूलों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
सोमवार को प्रदेश में 1429 स्कूल बसों की जांच की गई। इनमें से 613 बसों के चालान काटे गए और 119 बसें जब्त की गईं। 3.57 लाख रुपये जुर्माना वसूला। वहीं, फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल संघ ने कनीना हादसे के लिए पूरी तरह से सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। साथ ही चेताया है कि अगर यूं ही नाजायज सख्ती जारी रही तो वह स्कूल बसों की चाबियां सरकार को सौंप देंगे। वहीं, स्कूली बसों के चालान के विरोध में प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने पांच जिलों कैथल, सोनीपत, झज्जर, सिरसा और फतेहाबाद में पहली से 12वीं तक के स्कूल बंद करने की घोषणा की है।
कनीना हादसे के बाद फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल संघ के पदाधिकारी सोमवार को पहली बार मीडिया से रूबरू हुए। स्कूल बस चालकों के शराब पीकर वाहन चलाने के सवाल पर संघ के प्रदेशाध्यक्ष कुलभूषण शर्मा बौखला गए। गुस्से में उन्होंने यहां तक कह दिया कि सरकार प्रदेश में शराब के ठेके बंद क्यों नहीं करती। गुजरात मॉडल यहां भी लागू होना चाहिए। मृतक बच्चों के परिवारों की आर्थिक मदद के सवाल पर शर्मा की बोलती बंद हो गई। उन्होंने कहा कि उनकी एसोसिएशन के पास ऐसा कोई फंड नहीं है, लेकिन हमारी परिवार के साथ सहानुभूति है। मीडिया के इस सुझाव को वह एसोसिएशन की बैठक में रखेंगे। इसके बाद ही आर्थिक मदद पर फैसला हो सकेगा।
शर्मा ने कहा कि उन्हें चेकिंग अभियान से एतराज नहीं है, लेकिन चेकिंग के तरीके पर आपत्ति है। शाम पांच बजे स्कूल बसों को उठाया जा रहा है, जब स्कूल में न संचालक होता है और न कर्मचारी। साथ ही चहेतों के स्कूलों को छोड़ा जा रहा है। अंबाला में ऐसा हुआ। वहीं, मुख्य सचिव ने वीसी में निजी स्कूल संचालकों के बारे में अपशब्द कहे। उनके साथ आतंकियों सा व्यवहार किया जा रहा है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बच्चों की मौत के जिम्मेदार चालक और स्कूल के साथ जिला प्रशासन भी है, क्योंकि प्रशासन को ही बसों की जांच करनी थी।
पिछली सरकारें तो तेल देती थीं, ये तो तेल भी नहीं देते
कुलभूषण शर्मा ने आरोप लगाया कि 14 अप्रैल को फरीदाबाद में सरकार की रैली थी, इसमें निजी स्कूलों की 430 बसें गई थीं। शर्मा ने ये भी आरोप लगाया कि आरटीए और राजनीतिक लोग दबाव बनाकर स्कूलों की बसें लेते हैं। अगर बसें नहीं दी जातीं तो उन पर कार्रवाई की जाती है। उन्होंने कहा कि पहले की सरकारें बसें लेकर तेल देती थीं, लेकिन ये सरकार तो तेल भी नहीं देती। इसके अलावा रैली में जाने वाली बसों में लोग तोड़फोड़ तक कर देते हैं।
सरकार पर जड़े ये आरोप
- आरटीई, चिराग और 134-ए के 600 करोड़ रुपये सरकार ने नहीं दिए
- स्कूलों को लेकर कोठारी कमीशन की रिपोर्ट लागू नहीं की
- विद्यार्थियों से सरकार पैसेंसर टैक्स लेती है, पहले फ्री कराया, भाजपा सरकार ने फिर लगाया
- स्कूल वाहन नीति में निजी स्कूल संचालकों और अभिभावकों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
- सरकार ने स्कूल वाहन नीति के मानक कभी व्यवहारिक नहीं बनाए, सड़कें टूटी हैं
- बसों में पहले से फिट मिलें कैमरा, स्पीड गर्वनर और एल्कोमीटर
Tags:    

Similar News

-->