90 सेकंड में पता चलेगी ब्रेन ट्मूमर की जीनोलॉजी

Update: 2023-05-23 12:06 GMT

चंडीगढ़ न्यूज़: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) का इस्तेमाल अब चिकित्सा के क्षेत्र में भी होने लगा है. शोधकर्ताओं ने एआइ का इस्तेमाल कर 90 सेकंड में ब्रेन ट्रयूमर में जेनेटिक बदलावों की जांच का तरीका निकाल लिया है. यह तरीका ग्लियोमा के निदान और इसके इलाज में काफी कारगर साबित हो सकता है.

मिशिगन मेडिसिन के न्यूरोसर्जन और इंजीनियरों ने एआइ आधारित डायग्नोस्टिक स्क्रीनिंग प्रणाली (डीपग्लियोमा) विकसित की है, जो सर्जरी के दौरान लिए गए ट्यूमर के नमूनों का विश्लेषण करने के लिए रैपिड इमेजिंग का उपयोग करता है. इससे जेनेटिक म्यूटेशन का तेजी से पता लगाया जा सकता है. इस दौरान प्राइमरी ब्रेन डिफ्यूज ग्लियोमा वाले 150 से अधिक लोगों पर किए परीक्षण में 90 फीसदी से ज्यादा सटीक परिणाम मिले.

एमआरआइ में मददगार

एमआरआइ और न्यूरोइमेजिंग अभी भी ब्रेन ट्यूमर को पता लगाने के लिए सबसे अच्छे तरीके माने जाते हैं. रेडियोलॉजिकल इमेज बनाने में एआइ का इस्तेमाल पहले से किया जाता है. इस तरह के काम में रेडियोग्राफर्स के लिए पिक्चर इंटरप्रेटेशन में बाधा आती है, जिसे एमएल बेस्ड एल्गोरिदम से दूर किया जा सकता है.

ज्यादा सटीक: ब्रेन ट्यूमर को दिमाग से निकालने के लिए सर्जरी की जाती है. सर्जरी के दौरान लिए गए ट्यूमर के नमूनों का इस्तेमाल करके ट्यूमर का ज्यादा सटीक इलाज हो सकता है.

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