फरीदाबाद न्यूज़: साइबर थाना सेंट्रल की पुलिस ने दिल्ली में कॉल सेंटर चलाकर ठगी करने वाले गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया है. ये रिटायर्ड कर्मचारियों को कम पैसों के निवेश पर ज्यादा मुनाफे का झांसा देते थे. पुलिस को आरोपियों के पास से आठ मोबाइल फोन, 11 सिम कार्ड और 1.40 लाख रुपये मिले हैं. आरोपियों ने दिल्ली एनसीआर के 12 रिटायर्ड कर्मचारियों को अपना शिकार बनाया है. पुलिस इस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है और मामले की जांच में जुटी है.
डीसीपी सेंट्रल पूजा वशिष्ठ ने बताया कि आरोपियों की पहचान अमित,अंकित, हनी,सुमंत और अजय के रूप में हुई है. सभी दिल्ली के रहने वाले हैं. इनको दिल्ली और गाजियाबाद से गिरफ्तार किया गया है. डीसीपी ने बताया कि फरीदाबाद निवासी 91 वर्षीय यशदेव पुरी से साइबर ठगों ने वर्ष 2021 से 2023 के बीच में 80.43 लाख रुपये धोखाधड़ी कर हड़प लिए थे. वह इंडियन ऑयल से रिटायर्ड अधिकारी हैं. घर में अकेले रहते हैं. इसलिए उन्हें कोई सलाह देने वाला भी नहीं है. आरोपी किसी तरह जानकारी जुटाकर पीड़ित से संपर्क किया. उन्हें पहले कम पैसा निवेश करने का झांसा दिया. साथ ही कहा कि वह उस निवेश को कुछ ही दिनों में डबल कर वापस करेगा. इस तरह से आरोपियों ने पीड़ित को झांसा देकर उनसे लाखों रुपये ऐंठ लिए. जब उन्हें धोखाधड़ी का एहसास हुआ तो उन्होंने 11 अप्रैल को थाने में शिकायत दी. शिकायत मिलने के बाद सेंट्रल साइबर थाना की पुलिस मामला दर्जकर जांच शुरू कर दी. थाना प्रभारी के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई. इसके बाद आरोपियों को दिल्ली के विभिन्न जगहों से गिरफ्तार किया गया. पुलिस के अनुसार इनके अन्य साथियों की भी तलाश की जा रही है.
दो आरोपी आठवीं पास
डीसीपी के अनुसार प्रारंभिक पूछताछ में आरोपियों ने बताया है कि इस तरह से उन्होंने दिल्ली एनसीआर के 12 से अधिक लोगों को ठगी का शिकार बनाया है. पुलिस सभी मामालों की जानकारी जुटा रही है. डीसीपी ने बताया कि आरोपी अमित, अंकित और हनी ग्रेजुएट हैं. जबकि सुमंत और अजय आठवीं पास हैं. ये लोग सेक्टरों व कॉलोनियों में घूमकर रिटायर्ड कर्मचारियों को तलाश करते हैं. फिर किसी न किसी बहाने उनके मोबाइल नंबर हासिल कर उन्हें अपना शिकार बनाते हैं.
जमा पूंजी को वापस करने पर मांगते थे पैसे
डीसीपी के अनुसार जब आरोपी को पूरी तरह से अपने चंगुल में फंसा लेता था, इसके बाद उन्हें पैसा वापस करने की बातें कहता था. पैसे लेने के बाद आरोपी उनसे अलग-अलग बहाने बनाकर पैसे ऐंठते रहते. इसके बाद पैसे वापस निकलवाने के नाम पर और पैसे मांगते हैं. फंसे हुए पैसे को निकालने के लिए पीड़ित व्यक्ति को पैसे देना मजबूरी बन जाता था.
इस तरह फंसाते थे
डीसीपी पूजा वशिष्ठ के अनुसार पूछताछ में सामने आया कि आरोपी ऐसे लोगों की जानकारी जुटाते थे, जो किसी न किसी विभाग से रिटायर्ड होते थे. जानकारी जुटाने के बाद आरोपी लोगों को फोन कर उन्हें पैसा डबल करने का झांसा देते थे. सेबी, आरबीआई, इनकम टैक्स विभाग व बैंक अकाउंट के फर्जी दस्तावेज बनाकर पीड़ित को व्हाट्सएप पर भेजते थे. जिसमें वह इससे पहले कई लोगों के पैसे डबल करने की बात करते थे. पीड़ित व्यक्ति को कम समय में पैसा डबल करने का लालच देते थे.
ऐसे हुआ खुलासा
डीसीपी ने बताया कि साइबर ठगी का मामला सामने आया सामने आने के बाद पहले गिरोह के तीन सदस्यों अंकित, अमित व हन्नी को पिछले हफ्ते दिल्ली से गिरफ्तार किया गया. आरोपियों को अदालत में पेश कर रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई तो उनकी निशानदेही पर गाजियाबाद से अजय तथा सुमंत को भी गिरफ्तार किया गया. इनके पास से 8 मोबाइल फोन, 11 सिम कार्ड तथा 1.40 लाख रुपये नकद बरामद किए गए हैं. पुलिस गिरोह में शामिल और आरोपियों की तलाश कर रही है.