पिता ने ट्रक चलाकर बेटी को बनाया ISRO में वैज्ञानिक

Update: 2023-08-26 18:40 GMT
हरियाणा: मन में कुछ अलग करने का जज्बा हो तो कोई भी बाधा मंजिल के आड़े नहीं आ सकती. चंद्रयान-3 की चांद के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग के लिए पूरे देश से इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी जा रही है. इसमें दादरी की ट्रक ड्राईवर की बेटी कविता भी शामिल है. पिता के संघर्ष को अपनी ताकत बना कर कविता ने सपने को पूरा करते हुए पूरी दुनिया में परिजनों का नाम रोशन किया.
पिता ने ट्रक चलाकर उठाया सारा खर्चा
बता दें कि चरखी दादरी के गांव कलियाणा निवासी ट्रक ड्राइवर नरेश कुमार की चार बेटियां है. तीसरे नंबर की बेटी कविता की नियुक्ति वर्ष 2017 में इसरो में वैज्ञानिक के रूप में हुई थी. ट्रक चलाकर चार बेटियों और एक बेटे को अफसर बनाने के लिए दिन-रात मेहनत की. कविता ने वर्ष 2019 में चंद्रयान-2 की टीम सदस्य के रूप में कार्य किया था और असफलता के बाद भी हिम्मत नहीं हारी.
बेटी कविता द्वारा सफलता में शामिल होने पर परिजनों ने मिठाइयां बांटी और बेटी के उज्ज्वल भविष्य की कामना की.
2017 में बतौर वैज्ञानिक हुई थी नियुक्ति
कविता के माता-पिता ने बताया कि कविता इसरो के बेंगलुरु सेंटर में बतौर वैज्ञानिक तैनात हैं.उनका कहना है कि उन्होंने कभी अपनी बेटियों को बोझ नहीं समझा. चार बेटियों समेत पांच बच्चों की शिक्षा में कभी कोई कमी नहीं होने दी गई. साल 2017 में कविता का सलेक्शन इसरो में हुआ.
कविता के भाई सचिन ने बताया कि कविता ने इसरो में चंद्रयान-2 की सदस्य के रूप में कार्य किया था, असफलता के बाद भी बहन व टीम ने हिम्मत नहीं हारी. अब चंद्रयान-3 में बहन ने अपनी विशेष भूमिका निभाकर देश का नाम रोशन कर दिया है.
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