चंडीगढ़ न्यूज़: दस साल पहले औद्योगिक प्लॉट देने के लिए आईएमटी(इंडस्ट्रियल मॉडल टाउनशिप) को विकसित किया गया था, लेकिन इसके बाद से शहर में वैध औद्योगिक क्षेत्र विकसित नहीं किया गया है. वैध औद्योगिक क्षेत्रों में प्लॉट की कमी से उद्यमियों को अवैध औद्योगिक क्षेत्र में फैक्टरी लगाने को मजबूर होना पड़ रहा है. शहर में औद्योगिकरण के लिए बड़े औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की जरूरत है. लेकिन सरकार की ओर से कारगर कदम उठता दिखाई नहीं दे रहा है.
शहर की आईएमटी में 2013 से फैक्टरी लगाने के लिए प्लॉट आवंटित करने का काम शुरू हो गया था. यहां करीब 813 प्लॉट हैं. फिलहाल यहां 600 फैक्टरियां चल रही हैं. आने वाले एक-दो साल के अंदर करीब 200 फैक्टरियां और बन जाएंगी. आईएमटी के अधिकांश प्लॉट की बिक्री हो चुकी है. कुछ ऐसे प्लॉट ही बचे हैं, जिनके मामले अदालत में विचाराधीन हैं. इसके अलावा पुराने औद्योगिक सेक्टर की गिनती करें तो उनमें सेक्टर-चार, पांच, छह, 11, 24, 25,57, 58, 59, सेक्टर-27, डीएलएफ औद्योगिक क्षेत्र और हाईवे के दोनों ओर के औद्योगिक प्लॉट शामिल हैं. तीन साल पहले हुए जिला उद्योग केंद्र के एक सर्वे के मुताबिक, वैध औद्योगिक इलाकों में कुल मिलाकर 6,048 औद्योगिक इकाइयां चल रही हैं. इसके अलावा 15 से 20 हजार उद्योग अवैध औद्योगिक इलाकों में चल रहे हैं. मौजूदा समय में वैध औद्योगिक इलाकों में औद्योगिक प्लॉट ही नहीं बचे हैं. इससे अवैद्य औद्योगिक इलाके विकसित होते जा रहे हैं, इनमें उद्यमियों की फैक्टरियां तो लग जाती हैं, लेकिन सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं. इस कारण उद्योग लगाने के बाद भी परेशानी बनी रहती है.
2031 के मास्टर प्लान में इन गांवों में औद्योगिक सेक्टर बनाने की योजना मास्टर प्लान-2031 में शाहपुर कलां, लहडौली, पन्हेड़ा खुर्द, पन्हेड़ा कलां, फतेहपुर बिल्लोच, डीग, सागरपुर, जाजरू, प्याला, करनेरा, समयपुर, मादलपुर, कुरैशीपुर, हरफला और भनकपुर सहित 16 गांवों में करीब 20
औद्योगिक सेक्टर का प्रावधान किया गया है.
नए उद्योग लगाने के लिए उद्यमियों को सस्ते प्लॉट की जरूरत होती है. उद्योगों को सस्ते प्लॉट देने के लिए नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की जरूरत है. जब वैध उद्योगों को सस्ते प्लॉट नहीं मिलते हैं तो उद्यमी विकल्प तलाशने शुरू करते हैं.
-नरेंद्र्र अग्रवाल, प्रधान, फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन
वैद्य औद्योगिक क्षेत्रों में प्लॉट ही नहीं हैं, यदि कुछ बचे भी हैं तो बहुत महंगे हो चुके हैं. सरकार को छोटे और सस्ते प्लॉट वाले औद्योगिक क्षेत्र बसाने चाहिए. ताकि नए उद्यमी अपना स्टार्टअप शुरू कर सकें.
-अमृतपाल कोचर, जिला महासचिव, लघु उद्योग भारती
ये परेशानियां झेलनी पड़ती हैं उद्यमियों को
● अवैध औद्योगिक इलाकों में नगर निगम या एचएसआईआईडीसी द्वारा गलियां पक्की नहीं की जाती हैं.
● उद्यमियों को बैंक से ऋण लेने में समस्या आती है
● सरकार द्वारा बनाई नीतियों का उद्यमियों को फायदा नहीं मिलता है
● स्ट्रीट लाइट न होने के साथ-साथ पानी के लिए टैंकर पर रहना होता है निर्भर
● हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी मिलने में समस्या आती है.
● पीएनजी गैस की सुविधा भी नहीं मिल पाती है उद्यमियों को
जमीन का अधिग्रहण नहीं हो पा रहा है. इस वजह से नए औद्योगिक सेक्टर विकसित नहीं हो पा रहे हैं. किसान रजामंद होंगे तो नए सेक्टर विकसित होंगे. आईएमटी में भी 10-20 प्लॉट ही बचे हैं.
-दिलबाग सिंह दहिया, डीजीएम, एचएसआईआईडीसी