सूरजकुंड में दिवाली मेला संस्कृति के रंग बिखेरेगा

Update: 2023-06-05 08:09 GMT

चंडीगढ़ न्यूज़: अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला परिसर में पहली बार भारत की समृद्ध विरासत और संस्कृति को दिखाता दिवाली मेला-2023 का आयोजन होगा. यह मेला तीन से 10 नवंबर धनतेरस तक चलेगा. 12 नवंबर को दिवाली है. मेला परिसर में हस्तशिल्प, संस्कृति, योग और लोक संगीत के विभिन्न रंग बिखेरेंगे.

मेला परिसर दीपों की रोशनी से जगमग रहेगा. मेले में योग और ध्यान पर कार्यशाला भी होगी. हरियाणा पर्यटन निगम पहली बार यहां दिवाली मेला-2023 का आयोजन करने की तैयारी मे जुटा है. दिवाली मेला प्रतिवर्ष फरवरी में आयोजित होने वाले हस्तशिल्प मेले से अलग होगा. इसके लिए हरियाणा पर्यटन निगम ने निविदाएं जारी कर दी है, ताकि मेला डिजाइन किया जा सके. इसके बाद भी मेले की तैयारी शुरू होगी.

फिलहाल जो हरियाणा पर्यटन निगम ने योजना तैयार की है कि उसके मुताबिक मेला मनोरंजन और सांस्कृतिक विरासत के प्रति लोगों को जागरूक करने वाला होगा. हरियाणा संस्कृति विभाग यहां पूरे हरियाणा प्रदेश की धरोहरों की प्रदर्शन करेगा. दिवाली महोत्सव के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.

सूरजकुंड मेला परिसर में तीन नवंबर से दिवाली मेले का आयोजन किया जाएगा. इसमें दिल्ली और दक्षिण हरियाणा के लोग मेला देखने आए, मेला कुछ अलग हो, इस पर विचार किया जा रहा है. जल्द ही इसकी रूपरेखा तैयार की जाएगी. इसके लिए एंजेंसी को आमंत्रित किया गया है. -नीरज कुमार, प्रबंधन निदेशक, हरियाणा पर्यटन निगम

बच्चों के लिए अलग जोन बनाया जाएगा

दिवाली मेले में बच्चों के लिए अलग जोन बनाया जाएगा. जहां बच्चे घुड़सवारी व झूलों का लुत्फ उठा सके. मेले के सभी प्रवेश द्वार दीयों की रोशनी से जगमगाएंगे. प्रदूषण मुक्त आतिशबाजी भी होगी. इसमें फेरिस व्हील की सवारी, जादू शो और अनगिनत भोजन स्टालों के रूप में पर्याप्त मनोरंजन का इंतजाम रहेगा. मेले में बिकने वाली कुछ सबसे लोकप्रिय वस्तुओं में हस्तशिल्प, आभूषण, कपड़े, बैग, रंगीन फ्लोटिंग मोमबत्तियाँ, दीये और अन्य दिवाली के सामान उपलब्ध रहेगा. मेले में मिट्टी के दीपक,कपड़ों की स्टाल के अलावा दिवाली के सामान, घर सजावट का सामान उपलब्ध रहेगा. साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा.

मिट्टी के दीपकों की रोशनी से जगमग रहेगा

मेला परिसर मिट्टी के दीपकों की रोशनी से जगमग रहेगा. इसलिए मेले में विभिन्न प्रांतों के दीपक बनाने वाले कुम्हारों को प्राथमिकता दी जाएगी. जो मेला परिसर में अपने डिजाइनदार दीपक का प्रदर्शन करेंगे और बिक्री भी कर सकेंगे. मेले में योग-ध्यान की कार्यशालाएं प्रतिदिन होगी. गीत-संगीत और कला पर आधारित प्रस्तुति होगी. सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में संगीत और हस्तकला से जुड़े लोगों को मेले में आमंत्रित किया जाएगा.

Tags:    

Similar News

-->