रीढ़ की हड्डी टूटने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत, 7 साल में सीखा व्हीलचेयर पर बैठना, अब तैराकी में जीता गोल्ड
सिरसा। सिरसा जिले के गरुनानक नगर में रहने वाले दिव्यांग पवन शर्मा की कहानी बड़ी दिलचस्प है। जिसने रीढ़ की हड्डी टूटने के बाद सात साल में व्हीलचेयर पर बैठना सीखा लेकिन वह अभी भी पैरों पर खड़े नहीं हो सकते, लेकिन तैराकी में अपनी अलग पहचान बनाई है। वह इंटरनेशनल पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप में इंडोनेशिया, दुबई और थाइलैंड में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। वह अब तक नेशनल पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप में हरियाणा को तीन मेडल दिला चुके हैं।
पवन शर्मा ने बताया कि मैं 23 साल की उम्र में बीटेक इंजीनियरिंग का छात्र था। 5 अप्रैल 2007 को मोहाली में इंटरव्यू था। वहां से स्टेशन तक पहुंचने के लिए ऑटो में बैठा, लेकिन बीच रास्ते में ऑटो का एक्सीडेंट हो गया। जिसमें मेरी रीढ़ की हड्डी टूट गई। सात साल बेड पर रहा, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। साल 2013 में मुझे दिल्ली ले जाया गया, जहां खुद उठना-बैठना सीखा। इसी दौरान इंडिया के लिए व्हीलचेयर टीम बन रही थी, जिसमें मैं सिलेक्ट हो गया। इंडिया पैरा स्विमिंग चेयरमैन बीके डबास व हरियाणा से कोच कंवलजीत सिद्धू ने हौसला देते हुए इंटरनेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड हासिल करने के काबिल बनाया है।
वहीं दिव्यांग ने कहा कि तीन इंटरनेशनल टूर्नामेंट खेले। जिनमें वह गोल्ड मेडल विजेता बने। हरियाणा के लिए नेशनल स्तर पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप में एक बार गोल्ड, एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल जीता। अब वह हरियाणा सबी व्हीलचेयर टीम के कैप्टन हैं।