गुडगाँव न्यूज़: नगर निगम ने बीते पांच साल में अवैध निर्माणों की तोड़फोड़ पर करीब पांच करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं, लेकिन आज तक अवैध निर्माण करने वालों से निगम अधिकारी एक रुपये भी वसूल नहीं कर पाए हैं. अवैध निर्माण करने वालों से ही तोड़फोड़ का खर्चा वहन करने के आदेश निगमायुक्त की तरफ से जारी किए हुए हैं. निगम अधिकारियों की इस लापरवाही के कारण निगम को दोहरे राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
वहीं दूसरी ओर निगम अधिकारी द्वारा चारों जोन में तोड़फोड़ करने के लिए निजी एजेंसियों की मशीनरी की मदद ली जाती है उन्हें बिना किसी टेंडर के ही लाखों रुपयों का भुगतान किया जा रहा है. जबकि नियमानुसार नगर निगम में किसी भी कार्य के लिए भुगतान के लिए उसके लिए टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाती है, लेकिन तोड़फोड़ के मामले में निगम अधिकारी ऐसा नहीं कर रहे हैं.
अवैध निर्माण करने वालों से ही वसूल किया जाना था खर्चा नगर निगम के दायरे में निगम से बिना नक्शा पास करवाए किसी भी प्रकार का भवन का निर्माण नहीं किया जा सकता है. 2018 में सदन की बैठक में पार्षदों की तरफ से यह प्रस्ताव पास किया गया था कि अवैध निर्माण में तोड़फोड़ करने के दौरान जो भी खर्च निगम का लगता है उसका वहन अवैध निर्माण करने वालों से वसूल किया जाना था. इसको लेकर तत्कालीन निगमायुक्त ने तोड़फोड़ का खर्चा अवैध निर्माण करने वाले के संपत्तिकर में जोड़ने और पानी व सीवर के पानी के बिलों में जोड़ने के आदेश जारी किए थे, लेकिन आज तक आदेशों का पालन नहीं किया गया.
हर साल एक जोन में 25 लाख का भुगतान
नगर निगम के दायरे में अवैध निर्माणों की रोकथाम के लिए चारों जोन में एक-एक इनफोर्समेंट टीम का गठन किया गया है. यह टीम जहां भी अवैध निर्माण की शिकायत मिलती है उनको सील करने के साथ तोड़फोड़ करने की कार्रवाई करती है. निगम के एक जोन की टीम द्वारा जेसीबी मशीनों के लिए एक साल में 25 लाख रुपये का भुगतान किया जाता है, यानि कि चारों जोन में एक साल में एक करोड़ रुपये सिर्फ जेसीबी मशीनों को तोड़फोड़ के लिए भुगतान होता है. इसी प्रकार बीते पांच साल में निगम ने अवैध निर्माणों की तोड़फोड़ पर करीब पांच करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं.