हरियाणा में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ विधेयक पारित, उल्लंघन पर करने पर 10 साल की सजा और 5 लाख का जुर्माना
हरियाणा में जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए कड़ा कानून जल्द अस्तित्व में आ जाएगा।
हरियाणा में जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए कड़ा कानून जल्द अस्तित्व में आ जाएगा। मंगलवार को प्रदेश सरकार ने हरियाणा विधिविरुद्ध धर्म परिवर्तन निवारण विधेयक, 2022 विधानसभा में पारित करा लिया। दो घंटे से अधिक समय तक चर्चा के बाद विपक्ष ने विधेयक का विरोध करते हुए सदन से वाकआउट कर दिया।
सरकार ने जबरन धर्मांतरण के विरुद्ध विधेयक में कड़े प्रावधान किए हैं। राज्यपाल की मंजूरी के बाद विधेयक के कानून बनते ही अधिसूचना जारी हो जाएगी। जबरन धर्मांतरण साबित होने पर अधिकतम दस साल कैद व न्यूनतम पांच लाख रुपये जुर्माना होगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पिछले 4 सालों में जबरन धर्मांतरण के 127 मामले दर्ज हुए हैं
कई बार तो लड़की के परिवार वाले ऐसे मामलों को रिपोर्ट ही नहीं करते, इसलिए संख्या अधिक भी हो सकती है। समाज का भाईचारा बिगड़ना नहीं चाहिए, जबरन धर्म परिवर्तन पर रोक लगना आवश्यक है। विशेष कानून की जरूरत इसलिए पड़ी ताकि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके। आईपीसी में जो प्रावधान नहीं हैं, वह इस कानून में किए गए हैं। कोई अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन कर सकता है, बशर्ते उसे जिला मजिस्ट्रेट के सामने आवेदन प्रस्तुत करना होगा।
ये भी किए प्रावधान
स्वेच्छा से धर्म-परिवर्तन की जानकारी धार्मिक पुरोहित या अन्य व्यक्ति को डीसी को आयोजन स्थल के साथ पूर्व में देनी होगी। नोटिस को डीसी कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा किया जाएगा। यदि किसी व्यक्ति को आपत्ति है तो वह 30 दिनों के भीतर लिखित में अपनी शिकायत दायर कर सकता है।
डीसी जांच कर यह तय करेंगे कि धर्म परिवर्तन का आशय धारा-3 की उल्लंघन है या नहीं। यदि इसमें कोई उल्लंघन पाया जाता है तो आग्रह अस्वीकार कर दिया जाएगा। डीसी के आदेश के विरुद्ध 30 दिनों के भीतर मंडल आयुक्त के समक्ष अपील की जा सकती है।
अलग-अलग सजा व जुर्माना का प्रावधान
किसी प्रलोभन, बल प्रयोग, षड्यंत्र से धर्म परिवर्तन करवाया जाता है तो एक वर्ष से 5 वर्ष तक का कारावास और कम से कम एक लाख रुपये जुर्माना होगा।
विवाह के लिए धर्म छिपाया है तो 3 से 10 साल तक कारावास और कम से कम 3 लाख रुपये जुर्माना लगेगा।
सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में विधेयक की धारा-3 के उपबंधों का उल्लंघन करने पर 5 से 10 साल तक का कारावास और कम से कम 4 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।
एक बार से अधिक जबरन धर्मांतरण में पकड़े जाने पर दस साल की सजा व पांच साल से कम जुर्माना नहीं होगा।
कोई संस्था अथवा संगठन कानून का उल्लंघन करता है तो पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा। कानून का उल्लंघन संज्ञेय अपराध और गैर-जमानती होगा।