रोहतक में किसान से फसल बीमा के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा, जानिए पूरी खबर

Update: 2022-07-02 09:25 GMT

रोहतक न्यूज़ स्पेशल: फसल बीमा योजना में गांव भाली आनंदपुर के किसान वजीर सिंह के साथ फर्जीवाड़ा करने के मामले की जांच अब पुलिस द्वारा की जाएगी। क्योंकि कृषि विभाग के एक अधिकारी ने पुलिस अधीक्षक को शिकायत की है। इस कृषि अफसर ने शिकायत में बताया है कि प्रारूप-तीन पर जो हस्ताक्षर हैं, वे उनके नहीं हैं। इतना ही नहीं ऑफिसर ने भी कहा कि उनका एरिया कलानौर नहीं बल्कि रोहतक है। जबकि प्रारूप पर उनके हस्ताक्षर बतौर कलानौर अधिकारी के किए गए हैं। गत 27 जून काे मामला दर्ज होने के बाद के बाद 30 जून को जांच अधिकारी कृषि एवं किसान कल्याण विभाग पहुंचा। हो सकता है कि फसल बीमा को लेकर गड़बड़झाले जिले में पहला मामला दर्ज हुआ हो। फसल के दो अलग-अलग नुकसान प्रतिशत का प्रारूप-तीन कैसे भरा गया इसकी जांच पुलिस जब करेगी, तब कर लेगी, लेकिन प्रदेश के पुलिस मुखिया गृहमंत्री अनिल विज का सामना कृषि विभाग के अधिकारियों को इस गड़बड़झाले में करना पड़ सकता है। क्योंकि प्रशासन इस फजीर्वाड़े को परिवेदना समिति की बैठक में रखने की तैयारी कर रहा है।

आप भी जानें गड़बड़ी को: खरीफ 2021 में गांव भाली आनंदपुर के किसान वजीर सिंह ने अपने साढ़े छह एकड़ बाजरे का बीमा करवाया। एक सितम्बर काफी बारिश हुई तो फसल नष्ट हो गई। फसल का बीमित थी, इसलिए शिकायत कृषि एवं कल्याण विभाग को की। विभाग ने शिकायत पर कार्रवाई करते हुए फसल बीमा कम्पनी के पोर्टल पर इसे 3 सितम्बर को दर्ज कर दिया। 28 सितम्बर 2021 को फसल बीमा कम्पनी और किसान कल्याण विभाग की टीम नुकसान का आंकलन करने के लिए वजीर सिंह के खेत पर पहुंची। टीम ने जायजा लेने के बाद प्रारूप-तीन में 80 प्रतिशत नुकसान दर्ज दिया। और इसकी फोटोस्टेट किसान को दी। ताकि भविष्य में उनके काम आ सके। वजीर सिंह ने दस्तावेज संभाल कर रख लिया।

यूं हुआ भंडाफोड़: बीमा कम्पनी ने किसान वजीर सिंह के बैंक खाते में ऑनलाइन 24 फरवरी 2022 को 5832 रुपए जमा करवा दिए। जानकारी किसान को मिली तो वे बैंक पहुंचे। बैंक प्रबंधन ने बताया कि बीमा कम्पनी की तरफ से पैसे जमा करवाए गए हैं। चूंकि किसान का साढ़े छह एकड़ बाजरा में 80 प्रतिशत नुकसान था। नुकसान के हिसाब से पैसा काफी कम था। इसलिए किसान कल्याण विभाग के कार्यालय पहुंचा। चूंकि वजीर सिंह को अंदेशा हो गया था कि उनके साथ धोखा किया है। इसलिए इन्होंने महकमे से प्रोफॉर्मा-तीन मांगा। ताकि यह मालूम हो सके कि फसल में कितना नुकसान दर्ज किया गया है। काफी दिन तक किसान विभाग के चक्कर काटता रहा। लेकिन प्रोफॉर्मा नहीं दिया गया। इसके बाद उन्होंने सीएम विंडो से प्रोफॉर्मा मांगा। प्रोफार्मा मिला, लेकिन उसमें नुकसान 25 प्रतिशत दर्ज था। जबकि किसान के पास जो प्रोफार्मा था, उसमें 80 फीसदी नुकसान अंकित था।

अधिकारियों के नपने में भी देर नहीं लगेगी: ध्यान रहे कि जिला परिवेदना समिति की मीटिंग की अध्यक्षता गृह मंत्री करते हैं। ऐसे में अगर मंत्री ने नजरें तरेर ली तो फिर यह तय मानें कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों को नपने में भी देर नहीं लगेगी। क्योंकि मंत्री के मुख से निकले शब्द ही काफी होते हैं। हालांकि गत मई की ग्रीवेंस बैठक में मंत्री ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण कार्यालय रोहतक के पांच-सात अफसर-कर्मचारियों को निलम्बित करने के आदेश दिए थे। लेकिन अभी तक शायद ही किसी के खिलाफ कार्रवाई हुई हो।

एसडीओ को दी थी जांच: किसान वजीर सिंह द्वारा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग को शिकायत करने के बाद उप निदेशक ने मामले की जांच का जिम्मा एसडीओ को दिया था। इससे पहले ही विभाग का एक अफसर, पुलिस अधीक्षक को लिखित में शिकायत दे आए। बीते वीरवार को पुलिस ने कृषि विभाग के जिस अधिकारी से सम्पर्क किया, उसके तो प्रारूप-तीन पर हस्ताक्षर नहीं होते हैं, लेकिन यहां यह भी गौर करने लायक है कि फसल बीमा योजना का वे नोडल अधिकारी हैं। इन अधिकारी की ही यह ड्यूटी है कि फसल बीमा संबंधित प्रारूप तीन समेत दूसरे दस्तावेजों और शिकायतों को बीमा कम्पनी के पोर्टल पर अपलोड करें। इस अफसर की आईडी से ही फसल बीमा कम्पनी के पोर्टल पर हरेक प्रकार के दस्तावेज अपलोड किए जाते हैं। एक खेत के दो-दो अलग नुकसान प्रतिशत का प्रारूप-तीन कैसे भरा और फिर कम्पनी के पोर्टल पर किसकी आईडी से अपलोड किया गया, यह रोचक है।

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