ग्रामीण कारीगरों और शिल्पकारों को सशक्त बनाने के लिए एक नई पहल
शिल्पकारों के हुनर को प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना से मिलेगी पहचान
रेवाड़ी: केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के माध्यम से ग्रामीण कारीगरों और शिल्पकारों को सशक्त बनाने के लिए एक नई पहल की है। इस योजना से हाथ के औजारों से काम करने वाले लाखों कारीगरों और शिल्पकारों के हुनर को नई पहचान मिलेगी और रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे। यह बात एसडीएम रेवाडी रवीन्द्र कुमार ने बुधवार को लघु सचिवालय सभागार में एमएसएमई अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए कही। उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों को इस योजना के बारे में कारीगरों एवं शिल्पकारों को अधिक से अधिक जागरूक करने के निर्देश दिये। इस योजना का लाभ परिवार के केवल एक ही सदस्य को मिलेगा। योजना से जुड़कर बढ़ई, लोहार, हथौड़ा उपकरण किट बनाने वाले, ताला बनाने वाले लाभ उठा सकते हैं। सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, मोची, राजमिस्त्री, टोकरी बनाने वाले, चटाई बुनने वाले, गुड़िया खिलौना बनाने वाले, नाई, माला बनाने वाले,
धोबी, दर्जी और मछली पकड़ने के जाल बनाने वाले इसका लाभ उठा सकते हैं। आत्मनिर्भर बनने के लिए 15 दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाएगा। एसडीएम ने बताया कि योजना के संदर्भ में एक मार्च को जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। सम्मेलन में जिले के सरपंच, ग्राम सचिव और सीएससी संचालकों को प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के बारे में जागरूक किया जाएगा. जो कारीगर और शिल्पकार इस महत्वाकांक्षी योजना से जुड़ना चाहते हैं उन्हें सबसे पहले सीएससी पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। इस योजना से जुड़ने वाले कारीगरों और शिल्पकारों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभाग 15 दिनों का प्रशिक्षण भी देगा.