उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा- व्यवधान और गड़बड़ी पैदा करना लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत
नई दिल्ली । उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को इस बात पर जोर दिया कि लोकतंत्र पूरी तरह से संवाद, चर्चा, विचार-विमर्श और बहस के बारे में है। व्यवधान और गड़बड़ी पैदा करना लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है। उन्होंने इस पर अपना दर्द और चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि "लोकतंत्र के मंदिरों में अशांति को हथियार बनाया गया है, जबकि इन्हें बड़े पैमाने पर लोगों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए चौबीसों घंटे काम करना चाहिए।"
विज्ञान भवन में रविवार को जामिया मिलिया इस्लामिया के शताब्दी वर्ष दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने रेखांकित किया कि असहमति लोकतांत्रिक प्रक्रिया का स्वाभाविक हिस्सा है, लेकिन असहमति को शत्रुता में बदलना लोकतंत्र के लिए अभिशाप से कम नहीं है। यह चेतावनी देते हुए कि विरोध प्रतिशोध में नहीं बदलना चाहिए। धनखड़ ने बातचीत और चर्चा को ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता बताया। उन्होंने कहा कि भारत आज दुनिया की ''टॉप फाइव'' अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। इस उल्लेखनीय वृद्धि के साथ चुनौतियां भी आना तय है। आपकी प्रगति हर किसी को पसंद नहीं आ सकती।
उन्होंने युवाओं से पहल करने और ऐसी ताकतों को बेअसर करने का आह्वान करते हुए कहा, ''आपके संस्थानों और विकास की कहानी को कलंकित करने और अपमानित करने के लिए कुछ खतरनाक ताकतें हैं, जिनके पास भयावह इरादे हैं।'' कुछ विदेशी विश्वविद्यालयों का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे भारत विरोधी दुष्प्रचार को बढ़ावा दे रहे हैं। ऐसे संस्थान हमारे छात्रों और संकाय सदस्यों का उपयोग अपने संकीर्ण एजेंडे के लिए भी करते हैं। उन्होंने छात्रों से ऐसी स्थितियों से निपटने के दौरान जिज्ञासु होने और निष्पक्षता पर ध्यान केंद्रित करने को कहा।
सभी उत्तीर्ण छात्रों को उनके जीवन में एक नए चरण में प्रवेश की बधाई देते हुए उपराष्ट्रपति ने छात्रों को नवप्रवर्तक और उद्यमी बनने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि हमारे युवा छात्र नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी निर्माता के रूप में उभरें।