गुजरात न्यूज: सीएम पटेल ने लम्पी चर्म रोग की वर्तमान स्थिति को लेकर उच्चस्तरीय बैठक में समीक्षा की
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15 प्रभावित जिलों के 1126 गांवों में 3.10 लाख निरोगी पशुओं का किया गया टीकाकरण
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने मंगलवार को गांधीनगर में बैठक बुलाकर राज्य के पशुधन में फैले लम्पी स्किन डिजीज (एलएसडी) यानी लम्पी चर्म रोग की वर्तमान स्थिति की उच्चस्तरीय समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने राज्य के 15 ऐसे जिले, जहां इस रोग के मामले दर्ज किए गए हैं, के प्रभावित गांवों की 5 किलोमीटर की त्रिज्या में आने वाले गांवों के पशुओं का निःशुल्क और व्यापक टीकाकरण करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने इस संबंध में अभियान मोड में तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए। भूपेंद्र पटेल ने पशुपालन विभाग को विशेषकर प्रभावित जिलों में अविलंब उपचार और एडवाइजरी के अनुसार टीकाकरण की कार्रवाई को युद्धस्तर पर पूरा करने और इसके लिए आवश्यक सभी संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
इसके अलावा, उन्होंने अब इस रोग को और अधिक फैलने से रोकने के लिए प्रभावित क्षेत्रों में सभी आवश्यक रोकथाम के कदम उठाने का मार्गदर्शन दिया। लम्पी चर्म रोग गाय और भैंस की श्रेणी के मवेशियों में फैलने वाला विषाणु जनित संक्रामक रोग है। यह रोग राज्य में जामनगर, कच्छ, राजकोट, सुरेन्द्रनगर, मोरबी, देवभूमि द्वारका, पोरबंदर, भावनगर, अमरेली, जूनागढ़, बोटाद, गिर सोमनाथ, बनासकांठा, सूरत और पाटण जिले के 1126 गांवों में पाया गया है। इन जिलों के कुल 41,243 पशु इस संक्रामक रोग से प्रभावित हुए हैं। इन जिलों के प्रभावित गांवों में रोगग्रस्त पशुओं को तत्काल दूसरे पशुओं से अलग कर दिया गया है और स्वस्थ पशुओं में इस रोग को फैलने से रोकने के लिए अब तक 3.10 लाख निरोगी पशुओं का टीकाकरण किया गया है।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई इस उच्चस्तरीय बैठक में कृषि, पशुपालन मंत्री राघवजीभाई टेल, राज्य मंत्री देवाभाई मालम, मुख्य सचिव पंकज कुमार, अतिरिक्त मुख्य सचिव मुकेश पुरी, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव पंकज जोषी सहित कई वरिष्ठ सचिव भी मौजूद रहे। बैठक में दी गई जानकारी के अनुसार लम्पी चर्म रोग के सर्वे, टीकाकरण और उपचार आदि कार्यों के लिए 152 पशु चिकित्सा अधिकारियों और 438 पशुधन निरीक्षकों को प्रभावित गांवों में कार्य सौंपा गया है।
पशुपालन विभाग ने लम्पी चर्म रोग के नियंत्रण और उपचार के लिए उठाए गए कदमों का मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के समक्ष विस्तृत प्रेजेंटेशन प्रस्तुत करते हुए कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में मोबाइल पशु चिकित्सा क्लीनिक के अतिरिक्त 269 वेटरनरी डॉक्टर और करुणा एंबुलेंस की सेवाएं भी ली जा रही हैं। इसके अलावा, आवश्यकता के अनुसार स्थानीय प्रशासन और सहकारी डेयरी के मानवबल का उपयोग भी किया जाएगा।
कंट्रोल रूम के टोल फ्री नंबर 1962 पर चौबीसों घंटे सेवा उपलब्ध
बैठक में बताया गया कि लम्पी चर्म रोग के संबंध में राज्य के पशुपालकों के मन में पैदा होने सवालों तथा रोग से संबंधित आवश्यक जानकारी के लिए जीवीके-ईएमआरआई के कंट्रोल रूम के टोल फ्री नंबर 1962 पर चौबीसों घंटे, सातों दिन पशुपालन विभाग के अधिकारियों की सेवा उपलब्ध कराई गई है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इस बैठक में केंद्र सरकार द्वारा इस रोग के नियंत्रण के लिए जारी की गई मार्गदर्शिका का समुचित तरीके से पालन करते हुए पशुधन में इस संक्रामक रोग की रोकथाम के उपायों के संबंध में विशेष ताकीद की। जिन जिलों में यह संक्रामक रोग व्यापक स्तर पर नजर आया है, वहां किलनी, चिचड़, मच्छर, मक्खी, और पिस्सू जैसे रोगवाहकों के नियंत्रण का निर्देश
भी दिया गया है। हौद आदि पशुओं के संपर्क में आने वाले स्थान और वाहनों की सफाई तथा संक्रमण मुक्त करने की भी ताकीद की गई है।
कृषि एवं पशुपालन मंत्री राघवजीभाई पटेल ने इस रोग के संबंध में पशुपालन प्रभाव की ओर से किए गए कार्यों की अधिक जानकारी देते हुए कहा कि इस संबंध में स्थानीय प्रशासन के सहयोग से इस रोग के सर्वे, नियंत्रण और पशुपालकों में जागरूकता को लेकर और अधिक गहन प्रचार-प्रसार करने पर जोर दिया गया है।