गुजरात सरकार का सब्सिडी बिल पिछले पांच सालों में हुआ दोगुना, CAG ने पेश किए ये आंकड़े

भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी नयी रिपोर्ट में कहा कि गुजरात सरकार का सब्सिडी बिल पिछले पांच सालों में दोगुना होकर 22,141 करोड़ रुपये हो गया है.

Update: 2022-04-02 10:38 GMT

भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी नयी रिपोर्ट में कहा कि गुजरात सरकार का सब्सिडी बिल पिछले पांच सालों में दोगुना होकर 22,141 करोड़ रुपये हो गया है. 2016-17 में सरकारी सब्सिडी जो 11,082 करोड़ रुपये थी, 2020-21 तक लगभग 100 प्रतिशत बढ़कर 22,141 करोड़ रुपये हो गई. 2019-20 की तुलना में, 2020-21 में सब्सिडी में 20.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई.


ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल्स विभाग को 9,178 करोड़ रुपये की सब्सिडी
देश के शीर्ष लेखा परीक्षक ने गुरुवार को गुजरात विधानसभा में इसकी जानकारी दी. यह सब्सिडी 2016-17 में 10.67 प्रतिशत थी, जो 2020-21 तक राजस्व व्यय के 14.69 प्रतिशत तक पहुंच गई है. 2020-21 में, ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल्स विभाग को 9,178 करोड़ रुपये की सब्सिडी मिली, जो कि सब्सिडी पर कुल खर्च का 41 प्रतिशत था.
2,265 करोड़ रुपये कृषि विभाग को सब्सिडी मिली

2020-21 में सब्सिडी का लगभग 25 प्रतिशत या 5,443 करोड़ रुपये, उद्योग और खान विभाग को दिया गया, जहाँ उद्योगों को सहायता के रूप में 2,365 करोड़ रुपये और कपड़ा उद्योग के विकास के लिए 1,705 करोड़ रुपये दिए गए. इसके अलावा, 10 प्रतिशत या 2,265 करोड़ रुपये कृषि विभाग को सब्सिडी के रूप में दिए गए.

जहां 1,130 करोड़ रुपये किसानों को ब्याज की छूट के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि घाटे में चल रही इकाई होने के बावजूद, गुजरात सरकार ने गुजरात राज्य सड़क परिवहन निगम को 404 करोड़ रुपये सब्सिडी के रूप में दिए.


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