धर्म जगत में वर्तमान में संत निलेश चंद्र जी और धर्म प्रेमी Hardik Hundiya जैसे भक्तों की जरूरत
गुरुजी अमारो अंतर्नाद
अमने आपो आर्शीवाद
आप जान सकते हो यह गुंज कंहा और कितने बजे हो रही थी ? आप सब एक ही बात बोलेंगे यह गुंज अक्सर देरासर या धार्मिक स्थल पर गुरुजी के आगमन पर होती है।आप सबको जानकर हैरानी होगी कि यह गुंज रातभर गुंजती रही अंधेरी जे.बी. नगर जैन मंदिर परिसर में।प्रखर गौ रक्षक और भगवान की भक्ति में, धर्म साधना में अपार भक्ति रखने वाले राष्ट्रीय संत मुनि निलेश चंद्र म सा. कि धर्म भावना को देखते हुवे रातभर आबाल वृद्ध, महीला वृंद बच्चे एक आवाज़ में गुरुजी का नाम पुकार कर बस एक ही मांग कर रहे थे हे!, गुरुदेव तीन तीन दिन से भगवान की भक्ति , दर्शन, पक्षाल , आरती नहीं हुई है, गुरुदेव जैन धर्म के इतिहास में कभी ऐसा समय नहीं आया है की भगवान के मंदिर में ताले लगा दिये हो! अब इस घटनाक्रम को समझना भी जरूरी है।स्टार रिपोर्ट मेगेजि़न के प्रधान संपादक हार्दिक भाई को अंधेरी जे बी नगर के पूर्व प्रमुख नवीन नाहर का फोन आया की इस मंदिर के ट्रस्टी ने यह कहकर मंदिर को ताला लगाया की ५० साल पहले यह मंदिर हमारे दादाजी ने बनाया था और अब हम इसके मालिक है।संघ ने बहुत विरोध किया पर वो ट्रस्टी टस से मस नहीं हो रहा था। हार्दिक भाई तुरंत वंहा पहुंच गये परिस्थिति से अवगत होकर उन्होंने आदरणीय मुनि निलेश चंद्र मुनी जी को पुरी घटना से अवगत कराया, मुनि निलेश चंद्र मुनी उग्र विहार करके अंधेरी जे बी नगर पहुंचे।
उससे पहले मंदिर के दरवाजे खुल जाये इसलिए राजनेता मंगल लोढ़ा, एवं संजय उपाध्याय भी आ कर गये , उन्होंने इस क्षेत्र के डीसीपी, सिनीयर पुलिस अधिकारी के सहीत के साथ मंदिर के ताले खोलने पर ज़ोर दिया पर संभव ना हुआ।मंदिर में भीड़ बढ़ने लगी, आज तो जैसे सब की एक ही भावना थी की बस मंदिर का दरवाजा अब बंध नहीं रहेगा,आदरणीय निलेश चंद्र मुनी, एवं हार्दिक भाई ने पुलिस प्रसाशन के साथ बातचीत की, गुरुजी निलेश चंद्र मुनी ने सबको संबोधित करते हुए कहा कि अगर आज यहां पर दरवाजे नहीं खुलते तो वे आत्म हत्या कर लेंगे।उन्होंने बहुत ही आक्रमक होकर कहा की आज इस मंदिर के ताले खुलकर रहेंगे और इसके साथ यह भी कहा कि आगे से घर्म में कभी भी समाधान नहीं करना है।
कुछ भी हो जाये मंदिर बंध नहीं रहेगा।उसके बाद रात्रि का समय बितत़ा जा रहा था लोगों में जोश बढ़ता ही जा रहा था, गुरुजी हमारे अंतर्नाद हमको दो आर्शीवाद बस यही धुन चल रही है, और गुरुजी का प्रयत्न बढ़ रहा था। हार्दिक भाई से सलाह मशवरा करते करते रात्रि का तीसरा प्रहर आ गया और आखिर भक्ति की जीत हुई, गुरुदेव के आदेश पर मंदिर की चाभी आ गई, रात को तीन बजे मंदिर के दरवाजे खुले उसके साथ ही जैसे कोई बड़ा त्यौहार हो उस तरह गुलाल उड़ाते हुवे सब ने भगवान के दर्शन कीये। दादा की भक्ति करने के बाद मुनि निलेश चंद्र जी ने संध को संबोधित करते हुए कहा कि सबसे पहला काम संध का यह रहेंगा की इस संध का नाम अपने नाम पर कर लो , गुरुदेव का आदेश सब ने मान लिया और संध ने हार्दिक जी हुंडियां एवं नवीन जी नाहर का सम्मान कीया। इस घटना की चर्चा चारों तरफ होने लगी।
गुरुदेव ने जीस आक्रमकता के साथ मंदिर के ताले खोले, हार्दिक हुंडियां जी ने लगातार सबका संपर्क किया वास्तव में यहां इस बात का उल्लेख होना चाहिए कि आज वर्तमान में गुरु हो तो आदरणीय निलेश चंद्र मुनी जैसे हो और भक्त हार्दिक जी हुंडियां जैसे हो,
धर्म के उपर आंच आये और चुप बैठे ये बात पर गुरुदेव निलेश चंद्र मुनी और भक्ति में जिनका जोड़ नहीं वे है कलम प्रहरी और धर्म में कभी भी समाधान नहीं रखने वाले हार्दिक हुंडीया जी का सम्मान ३६ कोम कमीटी द्वारा कोलाबा में कीया गया जहां गुरुदेव निलेश चंद्र मुनी जी ने हनुमान चालीसा का पाठ करके वातावरण में एक सकारात्मक उर्जा भर दी उस समय वंहा समाज श्रेष्ठीओं के साथ विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर का सत्कार किया गया। जिसमें गुरुदेव ने उनको भारी मतों से चुनाव जीतने का आर्शीवाद दिया था और गुरुदेव के आर्शीवाद फले , राहुल नार्वेकर विजयी हुए।
आज हम सब देख रहे हैं पड़ोसी देशों में भारतीय लोगों की क्या परिस्थिति है। ऐसे समय में धर्म को बचाना है तो आगे आना पड़ेगा।गुरुदेव निलेश चंद्र मुनी जैसे परम धर्मप्रेमी संत और हार्दिक भाई हुंडीया जैसे भक्त की आज समाज में बहुत जरुरत है क्योंकि धर्म बचेगा तो हम बचेंगे।