भौगोलिक रूप से बेहद चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है सादा गाँव
पिछले कुछ महीनों में गुजरात का जल आपूर्ति विभाग नल से जल अभियान के तहत राज्य में कई बड़ी परियोजनाओं को पूरा करने को लेकर चर्चा में रहा है। हाल ही में गुजरात के इंजीनियरों द्वारा एक और बड़ा चमत्कार नर्मदा जिले के सादा गाँव में देखने को मिला है जहाँ, विभिन्न भौगोलिक चुनौतियों के बावजूद इस गाँव में 24 घंटे पानी की व्यवस्था उपलब्ध करा दी गई है। यह महत्वपूर्ण है कि गुजरात सरकार इसी सितम्बर महीने में पूरे गुजरात को 100 प्रतिशत नल से जल घोषित करने जा रही है। अब तक 97 प्रतिशत गुजरात नल से जल घोषित हो चुका है।
नर्मदा जिले में डेडियापाड़ा तहसील के सादा गाँव की भौगोलिक बनावट इस तरह है कि यहाँ न तो सड़क की व्यवस्था बनाना संभव है और न ही वहाँ बिजली की व्यवस्था संभव है। करजण नदी के किनारे बसे इस गाँव में नाव के माध्यम से ही आवागमन किया जाता है। इस गाँव में लगभग 45 परिवार रहते हैं और यहाँ की कुल आबादी लगभग 250 है। साथ ही, यहाँ रहने वाले ग्रामीणों के घर भी एक दूसरे से दूर-दूर बसे हुए है। ऐसे में इस गाँव के लोगों तक 24 घंटे नल से जल पहुँचाने का काम गुजरात सरकार के लिए एक बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य था। साथ ही, दूरदराज वाला क्षेत्र होने के कारण यहाँ राज्य सरकार की रीजनल वॉटर स्पलाई स्कीम का कार्यान्वयन भी संभव नहीं था।
सादा गाँव के 45 परिवारों के लगभग 250 लोगों को मिलेगा 24 घंटे पानी
इतना ही नहीं, करजण नदी के पानी की टर्बिडिटी 30 से अधिक होने के कारण यहाँ के लोग दैनिक रूप से इस नदी के पानी को भी सीधे तौर पर उपयोग में नहीं ले सकते हैं। इसके उपाय स्वरूप स्थानीय लोग नदी से कुछ दूर छोटा सा गड्ढा खोदते थे जिससे नदी का पानी प्राकृतिक रूप से रिस कर गड्ढे में आता है और इसके बाद ग्रामीण इस रिसे हुए पानी को उपयोग में लाते थे। इन चुनौतियों के समाधान स्वरूप में वास्मो (WASMO) ने फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म सेटअप का निर्माण किया जिसके कारण अब इस गाँव में 24 घंटे पीने के पानी की व्यवस्था संभव हो सकी है।
क्या है WASMO की फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म तकनीक
सोलर पॉवर आधारित फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म को करजण नदी के ऊपर स्थापित किया गया है जो इस नदी के ऊपर तैरता रहता है। इस फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म में सिंगल फेज़ आधारित दो छोटे सब्मरसिबल पंप भी लगाए गए हैं जो पानी के नीचे मौजूद रहते हैं और दोनों आपस में इन्टरकनेक्टेड हैं। 3 एचपी के क्षमता वाले इन दोनों पंपों में पानी को 110 मीटर की उंचाई तक ऊपर उठाने की क्षमता है। भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए इस गाँव को इस परियोजना के लिए दो ज़ोन में विभाजित किया गया है। पंपों के संचालन के लिए इन ज़ोन के सबसे ऊंचे स्थान पर 3 केवी क्षमता वाले एक-एक सोलर पैनल स्थापित किए गए हैं। इन सोलर पैनल से प्राप्त इलेक्ट्रिसिटी को कॉपर केबल के माध्यम से नदी
में मौजूद फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म तक ले जाया जाता है और इस तरह दोनों सब्मरसिबल पंपों का संचालन किया जाता है। भविष्य में इन सोलर पैनल से प्राप्त सौर ऊर्जा के उपयोग के बाद शेष इलेक्ट्रिसिटी को स्टोरेज करने की योजना है।
क्लियर वॉटर टैंकों के निचले हिस्से में भी 5 नल लगाए गए हैं
नदी के पानी को शुद्ध करने के लिए दोनों ज़ोन पर स्थित सोलर पैनल के पास स्थापित किए गए एक-एक सैंड फिल्टर के सेटअप्स में प्रवाहित किया जाता है। ये सैंड फिल्टर्स प्रति फिल्टर 2400 लीटर प्रति घंटा की क्षमता के साथ नदी के पानी को शुद्ध करते हैं और इसके बाद इस पानी को बगल में स्थापित किए गए 5000 लीटर प्रति टैंक की क्षमता वाले में एक-एक क्लियर वॉटर टैंकों में स्थानान्तरित कर देते हैं। उल्लेखनीय यह है कि दोनों ज़ोन में सोलर पैनल, सैंड फिल्टर और क्लियर वॉटर टैंक को एक ही स्थान पर स्थापित किया गया है। टैंक में मौजूद पानी को ब्लीचिंग पाउडर के द्वारा डिसइन्फेक्शन कर अंततः जल वितरण की लाइनों के माध्यम से सादा गाँव के घर-घर तक पहुँचा दिया जाता है। उल्लेखनीय यह भी है कि क्लियर वॉटर टैंकों के निचले हिस्से में भी 5 नल लगाए गए हैं ताकि यदि उस क्षेत्र के किसी भी घर के नल में किसी कारण वश पानी न आ
रहा हो तो वह परिवार इस टैंक के निचले हिस्से में मौजूद नल से पानी ले सकता है।
मात्र 15 दिनों में पूरा किया गया यह अनूठा प्रोजेक्ट
भौगोलिक और आवागमन की विभिन्न चुनौतियों के बावजूद 16 लाख 67 हजार रुपए की लागत से निर्मित इस प्रोजेक्ट को मात्र 15 दिन में पूरा किया गया है। सादा गाँव के लोगों के लिए 9 सितम्बर 2022 से 24 घंटे पानी की व्यवस्था शुरू कर दी जाएगी। इस प्रोजेक्ट का ओवरऑल मैनेजमेंट ग्रामीण स्तर पर बनाई गई पानी समिति करेगी, और इसका तकनीकी प्रबंधन WASMO की तरफ से किया जाएगा।