करीब 450 साल बाद मिली थी गोवा को आजादी, दिसंबर 1961 में हुआ था पहला विधानसभा चुनाव, जानिए रोचक इतिहास
राष्ट्रपति जो बाइडन ने गुरुवार को आगाह किया था कि रूस कुछ दिनों के अंदर यूक्रेन पर हमला कर सकता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कर्नाटक यूनिवर्सिटी, धारवाड़ के प्रोफेसर जीएस हलप्पा, के राघवेंद्र राव और एम राजशेखरैया ने एक पुस्तक लिखी थी. शीर्षक था, 'फर्स्ट जनरल इलेक्शन इन गोवा : ए कंप्रीहेंसिव स्टडी एंड क्रिटिकल एनालिसिस'. करीब 146 पेज की यह किताब 1964 में प्रकाशित हुई थी. इसमें गोवा के राजनीतिक विकासक्रम, सामाजिक ढांचे, पार्टियां और उनका संगठन, चुनाव प्रचार, उसका तरीका, साफ-सुथरे चुनाव के लिए उठाए गए कदमों आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है.
दिलचस्प बात रही कि चुनाव से पहले गोवा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने मतदाताओं को जागरुक करने के लिए बाकायदा अखबार में इश्तिहार देकर बताया कि उन्हें मतदान केंद्र में क्या करना है. बताया गया, 'जैसे ही मतदाता अपने मतदान केंद्र में प्रवेश करे, वह सीधे मतदान अधिकारी क्रमांक-1 के पास जाए. वहां अपनी पहचान बताए. इसके बाद मतदान अधिकारी क्रमांक-2 के पास जाना है. वहां उल्टे हाथ की पहली उंगली पर स्याही लगवानी है. यह स्याही मिटेगी नहीं. इसके बाद मतदान अधिकारी क्रमांक-3 और क्रमांक-4 के पास पहुंचना होगा. वहां मतपत्र और मुहर दी जाएगी.
मतदान सुबह 8 से शाम 5 बजे तक हुआ था. इसमें महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में अधिक उत्साह से भाग लिया. मौसम में उमस ज्यादा थी. इसके बावजूद लगभग हर मतदान केंद्र पर लंबी-लंबी लाइनें देखी गईं. जैसी कि इस तस्वीर में दिख रहे सैंटा क्रूज विधानसभा क्षेत्र के एक मतदान केंद्र की लंबी लाइन. पूरे राज्य में 75% से अधिक मतदाताओं ने तब मताधिकार का इस्तेमाल किया था.
उस समय गोवा 'ओ हेराल्डो' नाम का एक अखबार निकलता था. पुर्तगाली भाषा में. उसमें तमाम पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों के भी विस्तृत विवरण छपे थे.
उम्मीदवारों ने भी अपनी ओर से अखबारों में इश्तिहार दिए. इसमें मतदाताओं से उन्हें जिताने की अपील की. जैसे कि ऊपर के तस्वीर में संयुक्त गोवा पार्टी (UGP) के उम्मीदवार क्रिस्टोवाओ फुर्टाडो का यह विज्ञापन. वे सैंक्वेम से लड़े थे. हालांकि महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (MGP) के उम्मीदवार से हार गए. उन्हें सिर्फ 1,683 वोट मिले थे.
तब 'दो-बैलों की जोड़ी' कांग्रेस पार्टी (Congress) का चुनाव चिह्न हुआ करता था. उसने भी अपने प्रत्याशियों के लिए अखबारों में विज्ञापन दिए थे.
कांग्रेस (Congress) सबसे प्रमुख दल थी. वह गोवा की सभी सीटों पर चुनाव लड़ी. उसके बड़े-बड़े नेता इस छोटे से राज्य में चुनाव प्रचार के लिए आए थे. 'नवहिंद टाइम्स' जैसे अखबार उन नेताओं के दौरों को प्रमुख से अपने मुखपृष्ठ पर जगह दे रहे थे.
उस समय 'ओ हेराल्डो' अखबार ने बाकायदा एक नक्शा प्रकाशित किया था. इसमें गोवा (Goa) के सभी विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं की जानकारी दी गई थी.
जब चुनाव नतीजे आए तो कांग्रेस (Congress) को बड़ा झटका लगा. वह सिर्फ 1 सीट ही जीत सकी. एमजीपी ने सबसे अधिक 14 और यूजीपी ने 12 सीटें जीती थीं. बकि 3 निर्दलीय उम्मीदवार भी जीते. 'ओ हेराल्डो' सहित सभी अखबारों ने चुनाव नतीजों को प्रमुखता से प्रकाशित किया.
'नवहिंद टाइम्स' ने 9 दिसंबर 1963 को मुखपृष्ठ पर पहली खबर दी. इसमें पूछा, 'स्थायी सरकार के लिए क्या कोई पार्टी पूर्ण बहुमत हासिल करेगी?' बगली में दूसरी खबर थी. इसमें प्रश्न ही था, चह्वाण या बंडोड़कर? ये दोनों नेता मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे.
'ओ हेराल्डो' के पहले पेज पर 11 दिसंबर 1963 को संपादकीय के साथ बड़ा शीर्षक लगाया गया. इसका मतलब था, 'सारी सरहदें तोड़कर गोव लोकतंत्र के युग में'
चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद दयानंद बंडोड़कर गोवा के पहले मुख्यमंत्री बने थे. यह तस्वीर 'ओ हेराल्डो' अखबार के 18 दिसंबर 1963 के संस्करण की है.(नोट : ऊपर दी गईं सभी तस्वीरें और जानकारियां पट्टो सेंटर, पणजी में स्थित कृष्णदास शर्मा स्टेट सेंट्रल लाइब्रेरी से साभार ली गई हैं.)