खुले वाहनों में त्रिपाल ढंककर दवाओं का परिवहन

Update: 2021-05-31 05:46 GMT

सीजीएमएससी में निविदा शर्तों का उल्लंघन, अपात्र फर्म को ठेका

इस संबध में दूसरे निविदाकारों ने स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से मिलकर शिकायत की

स्वास्थ्य मंत्री ने कार्रवाई का आश्वासन दिया

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन हमेशा अपने कारनामो से चर्चा में रहता है। पिछली बार दवा खरीदी और गुणवत्ता के नाम से काफी विवाद हुआ था जिसमे प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव को दखल देना पड़ा था तब जाकर मामला शांत हुआ था। इस सम्बन्ध में प्रबंध संचालक या अन्य जिम्मेदार अधिकारी जवाब देने के लिए उपलब्ध नहीं होते। कई बार मोबाइल लगाने की कोशिश करना पड़ता है लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं मिलता।

सीजीएमएससी रायपुर में निविदा में चाहे गए वाहन में ढूलाई न की जाकर ऑर्डनरी और तिरपाल ढके वाहन से दवाई परिवहन किया जा रहा है जो निविदा की शर्तो का खुला उललंघन है। निविदा स्वीकृति के पहले निविदा की शर्तो में स्पस्ट उल्लेख किया गया था कि बंद बॉडी वाहन से ही दवाइयों का परिवहन किया जाना है लेकिन देखा गया है कि तिरपाल से ढककर दवाइयों का परिवहन किया जा रहा है। नियमत: दवाइयों का परिवहन बंद बॉडी वाहन से ही होना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं किया जगह है। साथ ही दवा परिवहन हेतु बुलाई गई निविदा के मूल्याकन में गड़बड़ी कर अपात्र फर्म को अनुचित लाभ पहुंचाया गया है। साथ ही निविदा में दिए शर्तो का भी खुल्लम खुल्ला उललंघन किया गया है। इस सम्बन्ध में एक अन्य प्रतिभागी द्वारा स्वास्थ्य मंत्री से लिखित में शिकायत की गई है। मंत्री ने उन्हें कार्रवाई का आश्वासन दिया है। एक ओर जहाँ प्रदेश की सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करना चाहती गरीब व आम जनता को सुलभ एवं सस्ता दवाई उपलब्ध करना चाहती है वहीँ दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग उनके मन्सूबे में पानी फेर रहा है। सीजीएमएससी के क्षेत्रीय औषधि गोदामों से छत्तीसगढ़ में दवा परिवहन के लिए बुलाई गई निविदा में भी गोलमाल का अंदेशा स्पस्ट नजऱ आ रहा है। सीजीएमएससी लिमिटेड के क्षेत्रीय औषधि गोदामों से दवा परिवहन हेतु वाहनों को लगाने/ दर अनुबंध हेतु 5 दिसंबर 2020 को निविदा आमंत्रित की गई थी जिसमें कुल 3 निविदाकारों ने भाग लिया था उक्त निविदा में दिनांक 24 फऱवरी 2021 को दावा आपत्ति चाही गई थी जिसके तहत तीनों निविदाकारों को अपात्र घोषित कर दिया बाद में एक निविदाकार एस के इंटरप्राइजेज को पात्र कर दिया गया। दावा आपत्ती में दूसरे निविदाकरो को मामूली बात पर अपात्र घोषित किया जाकर भारी भ्रस्टाचार किया गया है। जिस एस के इंटरप्राइजेज को इसके लिए पात्र किया गया है उनको पहले इस क्षेत्र में काम करने का अनुभव ही नहीं होना बताया जा रहा है। ऐसी जानकारी भी मिली है कि इस निविदा के अंदर जो वाहन मांगी गई है उसके अंतर्गत टाटा 207/टाटा जेमोन/ पिकअप या समतुल्य गाड़ी व टाइप 2 के अनुसार टाटा 407/ आईसर/स्वराज माजदा अथवा समतुल्य गाड़ी निविदाकार के पास होनी चाहिए लेकिन निविदा में शामिल हुए प्रतिभागी सफल निविदाकार द्वारा जमा किए गए दस्तावेज में प्रदाय वाहन निविदा में चाही गई टाइप 1 एवं टाइप टू के अनुसार नहीं है। और ना ही निविदाकार के पास समस्त टाइप ए एवं टाइप टू के वाहन भी नहीं है।निविदा समिति द्वारा तीन साल पुरानी गाडिय़ों को भी पात्र कर दिया गया है जबकि दवा परिवहन हेतु तीन साल से पहले वाली वाहन होना आवश्यक था। जबकि निविदाकार एस के इंटरप्राइजेज के द्वारा पहले तो समस्त टाइप 1 एवं टाइप 2 वाहन के दस्तावेज जमा नहीं किए गए एवं जिन गाडिय़ों के दस्तावेज उनके द्वारा जमा किए गए हैं उनमें से तीन वाहन 3 साल पुराने हैं जो कि निविदा समिति द्वारा नजरअंदाज किया गया है एवं उसी आधार पर अन्य निविदा कार को अपात्र करार दे दिया गया। गुमास्ता में अलग नाम, फिर भी मान्य किया गया। निविदा में कुल 3 निविदाकारों ने भाग लिया था, जिसमें से एक निविदाकार को गुमास्ता के नाम अलग होने के आधार पर अपात्र किया गया है तो इस दशा में एस के इंटरप्राइजेज का गुमास्ता कैसे मान्य किया गया जबकि उसके द्वारा जमा किए गए दस्तावेज में भी फर्म का नाम नहीं है। ऐसा लगता है कि विभाग द्वारा जानबूझकर अपात्र फर्म को अनुचित लाभ पहुंचने के लिए ऐसा किया गया है। सफल निविदाकार द्वारा टेंडर की शर्तो का खुला उललंघन इसके बावजूद पात्र घोषित किया जाना संदेह के घेरे में है। इन सबको देखते हुए इस बात से इंकार नहीं जा सकता कि निविदा में भारी गड़बड़ी हुई है। इन अनियमितताओं को देखते हुए सीजीएमएससी के अधिकरियों से चर्चा करने की कोशिश की जाती है लेकिन जानकारी देने के लिए कोई भी अधिकारी फोन रिसीव नहीं करते।

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