धमतरी। जिले के बेलरगांव तहसील की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। यहां पूरे सीजन में सिर्फ 541 मिमी वर्षा हुई है, जो सबसे कम है। संतोषप्रद बारिश नहीं होने से क्षेत्र के किसान बोआई व जोताई तक नहीं कर पाया है। अधूरा जोताई कर खेतों को छोड़ दिया है। इस तहसील के किसान सूखे से जूझ रहे हैं, इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। ज्यादातर किसानों के खेत बंजर पड़े हुए है। वहीं क्षेत्र के किसानों ने इस साल खरीफ खेती-किसानी की उम्मीद छोड़ दिए है। किसान व मजदूरों की स्थिति खराब है, उन्हें अब काम की तलाश है। किसानों ने बेलरगांव तहसील को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग शासन-प्रशासन से की है। जिले में सात तहसील धमतरी, नगरी, कुरूद, मगरलोड, भखारा, कुकरेल और बेलरगांव है। इन तहसीलों में सबसे कम बारिश बेलरगांव तहसील में हुई है। आषाढ़ माह से ही यहां कम बारिश है इसलिए क्षेत्र के किसानों ने अपने खेतों में रोपाई व बोआई नहीं कर पाए है। बोर सिंचाई सुविधा वाले कुछ किसानों ने रोपाई की है, लेकिन सिंचाई पानी पर्याप्त नहीं होने से उनके भी धान फसल मर रही है।
मानसून पर निर्भर होकर खेती-किसानी करने वाले किसानों ने तो खेत को पूरा छोड़ दिया है, ऐसे में क्षेत्र के किसानों की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। बेलरगांव तहसील के ग्राम आमगांव में सिंचाई के लिए कोई साधन नहीं है, ऐसे में यहां के किसानों के धान फसल मर रही है। खेतों की जोताई करके छोड़ दिया गया है। लंबे समय से किसान बारिश का इंतजार किए, लेकिन पर्याप्त बारिश नहीं हुई, ऐसे में अब किसानों की उम्मीदें टूट गई है। जोताई व खाद बीज के लिए किसान खर्च कर चुके हैं, ऐसे में उन्हें भारी नुकसान हुआ है। खेती-किसानी के लिए इस क्षेत्र में नहर-नाली की भी सुविधा नहीं है। पूरा खेती-किसानी मानसून पर निर्भर है। कुछ ही बोर सिंचाई सुविधा वाले किसानों के खेतों में फसल है, जबकि अधिकांश के में नहीं। ऐसे में किसानों की चिंता बढ़ गई है।ग्राम बरबांधा में बाध है, लेकिन वह पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है। गांव में निर्मित यह बांध यदि बन जाता, तो आज यह स्थिति नहीं होती। बारिश के पानी भरा रहता। इस बांध के बनने से पांच ग्राम पंचायत भुरसीडोंगरी, आमगांव, घुरावड़, जैतपुरी, बरबांधा समेत आश्रित ग्राम कोरमुड़, अमाली ,देवखुटपारा के किसानों को लाभ मिल सकता है। सिंचाई के लिए यह बांध किसानों के लिए कारगर साबित होगा। इस बांध को बनाने ग्रामीण व किसानों ने शासन-प्रशासन को कई बार आवेदन कर चुके हैं, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। बांध के जीर्णाेद्धार की जरूरत है। जनप्रतिनिधियों से केवल आश्वासन मिला। पीड़ित किसान व ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से इस बांध के जीर्णाेद्धार के लिए गुहार लगाई है, ताकि भविष्य में यह स्थिति न बनें।