सोसाइटी में धान का उठाव नहीं, ये है राइस मिलर्स की मांग

Update: 2024-11-24 10:36 GMT

रायपुर। कस्टम मिलिंग की राशि बढ़ाने की मांग पर अड़े राईस मिलर्स, और सरकार के बीच बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। हाल यह है कि मिलर्स मिलिंग के लिए एग्रीमेंट नहीं कर रहे हैं और धान का उठाव नहीं हो रहा है। इन सबके बीच मार्कफेड ने धान को सोमवार से संग्रहण केंद्रों में रखने की व्यवस्था करने जा रही है। प्रदेश के राईस मिलर्स हड़ताल पर नहीं है लेकिन अपनी मांगों को लेकर कस्टम मिलिंग के लिए एग्रीमेंट भी नहीं करा रहे हैं। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी में तेजी आ गई है। अब तक करीब 7 लाख टन धान खरीदे भी जा चुके हैं। धान अभी तक सोसायटियों में पड़े हुए हैं और इसका उठाव नहीं हुआ है। आने वाले दिनों में धान खरीदी में तेजी आएगी और आवक बढ़ेगी। इन सबको देखते हुए सोसायटियों में किसी तरह की जाम की स्थिति न बनें, इसके लिए मार्कफेड ने तैयारी शुरू कर दी है।

बताया गया कि कल से धान संग्रहण केंद्रों में रखना शुरू हो जाएगा। मार्कफेड के एक उच्चाधिकारी ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में बताया कि प्रदेश के संग्रहण केंद्रों में 45 लाख टन धान रखने की व्यवस्था है। इसलिए अभी से धान वहां रखना शुरू किया जाएगा।

खाद्य विभाग के जुड़े लोगों का कहना है कि हड़ताल लंबे समय तक चली तो धान खरीदी पर असर पड़ सकता है। दूसरी तरफ, राईस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने कहा कि न सिर्फ कस्टम मिलिंग बल्कि अन्य विषयों को लेकर सरकार से चर्चा जारी है। उन्होंने बताया कि सीएम विष्णुदेव साय के अलावा, दोनों डिप्टी सीएम व वित्त मंत्री और खाद्य मंत्री को ज्ञापन सौंपकर अपनी समस्याओं से अवगत करा चुके हैं। अग्रवाल ने कहा कि राईस मिलर्स की मांग से सरकार भी सहमत दिख रही है लेकिन कोई निर्णय नहीं हो पाया है, और जब तक निर्णय नहीं हो जाता, कस्टम मिलिंग के लिए एग्रीमेंट नहीं किया जाएगा। प्रदेश में 5 सौ से अधिक राईस मिल है। पिछले साल एक करोड़ 44 लाख मिट्रिक टन धान की खरीदी हुई थी। इतनी ही खरीदी इस बार भी होने का अनुमान लगाया जा रहा है।


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