खबर नहीं है पल की रे मनवा, बात करे कल की

Update: 2023-02-03 05:53 GMT

ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने वर्ष 2023-24 के आम बजट को स्वतंत्र भारत का ऐतिहासिक बजट बताया। उन्होंने कहा कि यह बजट देश के सम्पूर्ण विकास के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के समग्र विकास का अभूतपूर्व दस्तावेज है। आम बजट में आम जनता को जो राहत दी गई है, उससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। देश के बजट में गरीब, मध्यम वर्ग की जनता, महिलाओं, युवाओं, बच्चों, बुजुर्गों, जनजातीय समुदाय, पिछड़ों, शोषितों, वंचितों सहित सभी की तरक्की के द्वार खोलने के साथ ही कृषि, किसान को प्राथमिकता दी गई है। भारत का बजट दुनिया को नई दिशा देने वाला है। आने वाली पीढ़ी इसे इतिहास के रूप में पढ़ेंगी, क्योंकि यह जनता को कोई तत्कालिक लाभ नहीं दे सकेगा। क्योंकि इसे आजादी के सौ पूरे होने के लक्ष्य को लेकर 2047 के लिए पेश किया गया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि खबर नहीं है पल की रे मनवा, बात करे कल की । खबर पल की नहीं और सामान इकट्टा कर रहे बरसों का?

निर्मला जी का निर्मम बजट

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इसे निर्मला जी का निर्मम बजट कहा जा सकता है। इस बजट को चुनाव को देखते हुए बनाया गया है। इसमें किसी को कोई सहुलियत नहीं दी गई है। पहले एयरपोर्ट के विकास के लिए हजारों करोड़ रुपए दिए गए और फिर उसे नीलाम कर दिया गया। छत्तीसगढ़ के लिए भी हम लोग उम्मीद कर रहे थे कि अम्बिकापुर से चलने वाली ट्रेन मिलेगी, जगदलपुर के लिए भी ट्रेन की व्यवस्था होगी। लेकिन कोई व्यवस्था नहीं हुई। महंगाई और बेरोजगारी को कम करने की कोई व्यवस्था नहीं है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि कका के बजट अवइया हवय चार साल के उदारता ल दिखाही अऊ सब्बो मनखे मन बर कुछु न कुछु खजानी लाही काबर कि लोकसभा के चुनई तो बाद में होही पहली हमर परदेस में विधानसभा चुनाव होही जी। तभे तो हमन आंखी ल गडियाके कका के बजट के इंतजार करत हन। जै छत्तीसगढ़ महतारी, जै जोहार गाड़ा ढोहार।

आत्मनिर्भर भारत का बजट

भाजपा विधायक व पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने बजट को लेकर कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश अमृतकाल से गुजर रहा है। जिसमें सभी वर्गों का कल्याण शामिल है। बजट में आम से लेकर खास तक विशेषकर गरीब, मध्यम वर्ग, महिला, युवा वर्ग और किसानों का विशेष ख्याल रखा गया है। 7 लाख तक कर में छूट, मध्यम और नौकरीपेशा लोगों के लिए बड़ी राहत है। इसी तरह अगले 3 साल में 47 लाख युवाओं को सहायता प्रदान करने के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना रोजगार के लिए बड़ा कदम साबित होगी। यह बजट भारत के समृद्धि का बजट है, बजट के मूल में अंत्योदय विजन रहा है। यह बजट मध्यम वर्ग, महिला व आत्मनिर्भर भारत का बजट है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा को आत्मनिर्भर बनाने वाले सभी वरिष्ठ नेता हासिए पर है ऐसे में प्रदेश में भाजपा भी आत्मनिर्भर नहीं हो पाई है तो देश कैसे होगा।

नए भारत की झलक देश लिया चंदेल जी ने

नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि आम बजट में नए भारत के निर्माण की स्पष्ट झलक दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने देश के 80 करोड़ लोगों को फिर से 1 साल के लिए मुफ्त खाद्यान्न योजना को एक और आगे बढ़ाया है । प्रधानमंत्री आवास निर्माण, छोटे- लघु और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने का प्रावधान भी इस बजट में किया गया है। जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सकेगा। इसके साथ ही सडक़, बिजली, पानी, स्कूल, अस्पताल और कृषि क्षेत्र का विकास बजट का मुख्य आधार है। उन्होंने इसे देश के विकास में एक नई इबारत लिखने वाला बजट बताया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि यह चंदेल जी का दोष नहीं है हाईकमान ने उनके आंखों में दूरदृष्टि का चश्मा पहना दिया है जिसके कारण वो विधानसभा चुनाव में भाजपा के बिना सीएम चेहरे के चुनाव की घोषणा में एक लाइन जोडऩा चाहते है, उसे चेहरा देना चाह रहे है।

शिक्षा विभाग में राजनीति

स्कूल शिक्षा विभाग ने 10वीं-12वीं के बोर्ड परीक्षार्थियों के लिए आफत भरा प्री बोर्ड टेस्ट का शेड्यूल जारी किया है। परीक्षार्थियों को बोर्ड परीक्षा से पहले 17 से 25 फरवरी तक स्कूलों में प्री बोर्ड टेस्ट देने के लिए जाना पड़ेगा। एक मार्च से हायर सेकेंडरी और दो मार्च से हाई स्कूल की परीक्षा है। डीईओ मनमाने तरीके से निर्णय ले रहे हैं, रायपुर जिला शिक्षा अधिकारी, आरएल ठाकुर ने कहा कि अब इस बार शेड्यूल तो बिगड़ गया है, मगर परीक्षा देने के लिए परीक्षार्थियों को परीक्षा केंद्र में तो आना ही पड़ेगा। जिला शिक्षा अधिकारी आरएल ठाकुर निर्देश दिए हैं कि परीक्षाएं स्कूल स्तर पर होंगी। जनता में खुसुर-फुसुर है कि ठाकुर साहब पहले तो शिक्षा का स्तर ही सुधारने के बजाय राजनीति शुरू हो गई है। ऐसे में परीक्षार्थी प्री-बोर्ड परीक्षा तो देंगे और पास भी होंगे और नेता बन जाएंगे। जैसे 2018 के चुनाव में कुछ शिक्षक नेता चुनाव लडक़र विधायक बन गए अब अधिकारी उन्हें सर-सर कहते फिर रहे है। क्या आप भी उल्टी गंगा बहाने जा रहे है।

कौन बड़ा चुनाव अधिकारी या ईवीएम

राजनीतिक दलों के साथ ही निर्वाचन आयोग द्वारा भी विधानसभा चुनाव 2023 की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। इसके तहत 2014 में दी गईं ईवीएम मशीनों को हैदराबाद वापस भेज दिया गया है, जबकि इसके बदले विधानसभा में वोटिंग के लिए 4,676 नई ईवीएम मशीनें रायपुर लाई गई हैं। इन मशीनों की कमीशनिंग (जांच) भी जिला निर्वाचन द्वारा कर ली गई है। चुनाव की घोषणा के बाद और अभ्यर्थियों के नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसकी फिर कमीशनिंग की जाएगी। जिला निर्वाचन के पास वर्ष 2014 की लगभग पांच हजार ईवीएम मशीनें थीं, जिन्हें इलेक्ट्रानिक्स कार्पोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड को वापस भेज दिया गया है। जिला प्रशासन की टीम ने खुद पुरानी ईवीएम मशीनों को हैदराबाद पहुंचाया, जबकि नई मशीनें लाने का जिम्मा भी निर्वाचन की टीम को ही दिया गया। जनता में खुसुर-फुसुर है कि चुनाव तो चुनाव है भाई राजनीतिक दलों को साथ प्रशासनिक तंत्र को भी तैयारी करनी पड़ती है तभी तो निष्पक्ष चुनाव कराने में सफल होते है। नहीं तो अपने काम में तो ईवीएम भी सक्षम है। जो अधिकारियों को भी पीछे छोड़ सकता है?

मैट्स यूनिवर्सिटी ने तृतीय लिंग समुदाय के पक्ष में बढय़ा कदम

मैट्स यूनिवर्सिटी रायपुर के हिन्दी विभाग द्वारा तृतीय लिंग विमर्श: कल, आज और कल विषय दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन किया जा रहा है। देश व प्रदेश के उभयलिंगी समुदाय के उत्थान के उद्देश्य से आयोजित सेमीनार में छत्तीसगढ़ सहित देश व विदेश के प्रसिद्ध साहित्यकार, विषय विशेषज्ञ तथा तृतीय लिंग समुदाय के प्रतिनिधिगण हिस्सा ले रहे हैं। तृतीय लिंग विमर्श पर आयोजित किया जाने वाला यह छत्तीसगढ़ का प्रथम अंतरराष्ट्र्रीय सेमीनार है। मैट्स यूनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष एवं सेमीनार की संयोजक डॉ. रेशमा अंसारी ने बताया कि सेमीनार का आयोजन 3 एवं 4 फरवरी को किया जा रहा है। जनता में खुसुर फुसुर है कि यह एक सराहनीय और स्वागत योग्य कदम है जो तृतीय लिंग समुदाय की सामाजिक दायित्व पर विचार किया गया। वो भी जनमानस का हिस्सा है, उसे हौसले देने वाले की जरूरत है न कि बेचारगी दिखाने वालों की ।

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