पाइप लाइन के लिए सड़कों की खुदाई, धूल से पटा पूरा शहर
अमृत मिशन-शहर के भीतर और आउटर में पाइपलाइन बिछाने खोदे गड्ढे से राजधानी प्रदूषण के जद में
अमृत मिशन का जल मिले न मिले लेकिन लोगों को बीमारी मिल गई है
राजधानी की आबादी बढऩे के साथ प्रदूषण की रफ्तार चौगुनी बढ़ी
एलर्जी से सैकड़ों लोग रोज पहुंच रहे है अस्पताल
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। अमृत मिशन- शहर भीतर और आउटर में पाइपलाइन बिछाने के लिए खोदे गए गड्ढे से और धूल से पिछले एक साल से परेशान है। सड़क की दुर्दशा के साथ पाइप लाइन बिछाने खोदे गए गड्ढे से निकलने वाले मलवा सड़क को बाधित करने के सात उसके धूलकण लोगों के आंख-मुंह नाक के जरिए फेफड़ों में घुसकर संक्रमित मररीजों की संख्या बढ़ा रही है। राजधानी की आबादी बढऩे के साथ प्रदूषण की रफ्तार चौगुनी बढ़ी है।
पूरे साल धूल-धुआंं और अपशिष्ट पदार्थ की एलर्जी से सैकड़ों लोग रोज अस्पताल पहुंच रहे है? सबसे ज्यादाअस्पताल पहुंचने वाले दमा और श्वांस के मरीज पहुंच रहे जो प्रदूषण की एलर्जी दम घुटने की तकलीफ डाक्टरों से साजा कर रहे है। शहर के कुछ इलाकों में सांसों के मरीज बढ़ गए हैं। जिन इलाकों में विकास कार्यों को लेकर खुदाई चल रही है, वहां धूल ज्यादा है और उस इलाके मेंं सासों से संबंधित बीमारी के मरीज बढ़ गए हैं। अंबेडकर अस्पताल में ऐसे मरीजों की संख्या दोगुनी से ज्यादा हो गई है।
मौसम बदलने के कारण लोग कई-कई दिनों तक ठीक नहीं हो पा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार हवा में पीएम 10 यानी हवा में घुले पार्टिकल का स्टैंडर्ड 60 माइक्रोग्राम घन मीटर से कम होना चाहिए। राजधानी के कुछ इलाके में पीएम-10 का स्तर 300 से भी ज्यादा है। इसके साथ ही पीएम 2.5 यानी पीएम-10 से भी छोटे पार्टिकल जो हवा में घुले होते हैं उनका स्टैंडर्ड 40 माइक्रोग्राम मीटर होना चाहिए। राजधानी के कुछ इलाकों में पीएम-2.5 का स्तर 270 माइक्रोग्राम घन मीटर है। यानी धूल में बड़े और छोटे दोनों पार्टिकल की मात्रा सुरक्षित दायरे से कई गुना ज्यादा है।
अमृत मिशन- शहर भीतर और आउटर में पाइपलाइन बिछाने का काम चल रहा है। 728.15 किमी लंबी पाइपलाइन बिछाई जानी है। गड्ढे महीनों नहीं भरे जा रहे, क्योंकि टेस्टिंग के बिना सीमेंटेड नहीं कर सकते। अभी सुंदर नगर, गुढिय़ारी, राम नगर, ब्राह्मणपारा, लाखे नगर, बूढ़ापारा, मौदहापारा, मोवा, पंडरी पाइपलाइन बिछाई गई।24 घंटे पानी- स्मार्ट सिटी 24 घंटे पानी सप्लाई के लिए एबीडी एरिया यानी शहर के बीचोबीच के 16 वार्डों में पाइपलाइन बिछाने काम करवा रहा है। वीर सावरकर, पं. जवाहरलाल नेहरु, पं. मोतीलाल नेहरु, इंदिरा गांधी, अब्दुल हमीद, तात्यापारा, ब्राह्मणपारा, स्वामी विवेकानंद, सदर बाजार, मौलाना अब्दुल रऊफ हर जगह काम चल रहा।स्मार्ट रोड- बूढ़ापारा में स्मार्ट रोड का काम चल रहा है। छह महीने से रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड इस पर काम कर रही है। इसके तहत बूढ़ापारा बिजली ऑफिस से लेकर बूढ़ेश्वर चौक होते हुए नेहरू नगर तक स्मार्ट रोड के तहत पूरी सड़क को खोदकर केबल डाले गए।
इस वजह से इस रोड पर छह महीने से खुदाई के कारण धूल फैली हुई है। नाले का काम- नेहरू नगर से निकलने वाले नाले के पानी को वीरभद्र नगर की तरफ बंद किया जा रहा है। वीरभद्र नगर से नाले को डायवर्ट कर बूढ़ातालाब के किनारे-किनारे खुदाई कर अलग नाला बनाया जा रहा है। यह नाला महाराजबंध तालाब में बनने वाले एसटीपी से जोड़ा जाएगा। इस कारण यहां धूल के गुबार हैं। अंडरग्राउंड केबलिंग- एक निजी कंपनी शहर में 5जी के लिए पूरे शहर में खुदाई कर केबल डाल रही है।
अभी इंदिरा गांधी चौक कालीबाड़ी से टिकरापारा-संतोषी नगर ओवरब्रिज तक तथा कालीबाड़ी चौक से ही पेंशनबाड़ा के पूरे इलाके की सड़क कंपनी ने खोद दी है। इस वजह से इस पूरे इलाके में धूल ही धूल है।
पहाड़ी चौक से जनता कालोनी रोड के दूसरे चरण की तोडफ़ोड़ पिछले हफ्ते शुरू की गई है। करीब 400 मीटर सड़क पर दोनों तरफ के मकान, दुकान तोड़े जा रहे हैं। इससे पूरे इलाके में धूल ही धूल है। तोडफ़ोड़ के कारण सड़कों पर मलबा बिखरा हुआ है। वाहनों के चलने से उड़ रही धूल के कारण लोग परेशान हैं।
अस्थमा, एलर्जी व सांस से जुड़ी बीमारियों के मरीज 4 से 5 गुना बढ़ गए हैं। ओपीडी में 25 से 30 त्न मरीज ऐसे ही होते हैं। धूल से सांस संबंधी बीमारी प्रमुख रूप से होती है। इन दिनों धूल के कारण लोगों में इंफेक्शन बढ़ गया है।
-डॉ. आरके पंडा, एचओडी चेस्ट नेहरू
मेडिकल कॉलेज
हम खुद हैरान है कि सर्दी, खांसी के मरीज जल्दी ठीक नहीं हो रहे। एंटी बायोटिक का भी जल्दी असर नहीं हो रहा है। ओपीडी में नए मरीज लगातार आ रहे हैं। इसकी वजह धूल है।
-डॉ. योगेंद्र मल्होत्रा, प्रोफेसर मेडिसिन
अंबेडकर अस्पताल