मंदी के दौर से उबरने प्रापर्टी बेचने अपनाए गए हथकंडे बिल्डरों को पड़ रहा भारी
- बिल्डरों के खिलाफ रेरा में शिकायतों का अंबार, कस रहा शिकंजा
- फ्लैट,मकान में सुविधाएं नहीं दी, न ही पजेशन दिया
बिल्डरों को मंदी की मार कुछ मीडिया घरानों के लिए साबित हुआ फायदेमंद -
शर्ते लागू हैं लिखकर आखिर क्या साबित करना चाहते है बिल्डर, आज तक किसी के समझ में नहीं आया
बिल्डरों की कमियों को छुपाकर लोगों को प्रापर्टी खरीदने कर रहे आकर्षित
बिल्डरों के शान में बड़े-बड़े विज्ञापन के साथ पक्ष में लिखे जाते है मनुहार
मीडिया, सोशल मीडिया और बिल्डर मिलकर मृतप्राय प्रापर्टी व्यवसाय को उठाने झूठ की बुनियाद पर खड़े कर रहे इमारत
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। मंदी के दौर से उबरने के लिए बिल्डर प्रापर्टी बेचने के लिए जो हथकंडे अपनाए अब भारी पडऩे लगे है। अरबों-करोड़ों के प्रोजेक्ट फेल होने के बाद भी बिल्डरों ने निवेशकों और खरीदारों को ब्रोशर में सब्जबाग दिखाकर पूरा पैसा लेकर भी न सुविधाएं दे रहे और न ही समय पर खरीदारों को मकान, बंगलों, फ्लेट का पजेशन दे रहे है। रेरा में लगातार बिल्डरों के खिलाफ पर शिकायत दर्ज हो रही है। बिल्डरों ने प्रापर्टी बेचने के लिए दलाल, मार्केटिंग टीम के साथ सोशल मीडिया और मीडिया घरानों के सहयोग लेकर बड़े-बड़े आयोजन कर लोगों को अपने प्रोजेक्ट के ब्रोशर ऐसे दिखाते है जैसे इनसे ज्यादा कहीं और सुविधाएं नहीं मिल सकती। प्रापर्टी की खरादी में फाइनेंस से लेकर रजिस्ट्री फ्री करने के दावे के साथ प्रापर्टी बेचने के बाद खरीदार को न तो सुविधाएं दे रहे और न ही पजेशन दो रहे है। बिल्डरों के खिलाफ रेरा में शिकायतों का अंबार लग चुका है। रेरा भी आवेदक और अनावेदकों की सुनवाई कर ब्याज सहित जुर्माना पर जुर्माना लगा रही है लेकिन बिल्डर कानूनी आदेश को भी नहीं मान रहे है। जिन बिल्डरों को पिछले दिनों रेरा ने नोटिस जारी कर उपभोक्ताओं को ब्रोशर में दिखाई गई सुविधाएं देने और तय समय में पजेशन देने के नोटिस जारी किए थे, उस पर बिल्डरों ने अब तक अमल नहीं किया है। कोरोनाकाल से पहले खरीदी प्रापर्टी का लोगों को अब तक न तो पजेशन मिला और न ही ब्रोशर में किए गए दावे के अनुसार सुविधाएं दी है। जिसके कारण बिल्डरों की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लग गए है। प्रापर्टी मार्केट में आई मंदी का सबसे बड़ा कारण बिल्डरों की लापरवाही और उदासीनता को माना जा रहा है। बिल्डर तो प्रापर्टी बेचने के लिए नए-नए हथकंडे अपना लेता है, लेकिन जो लोग अपनी जिंदगी भर की कमाई दाव पर लगा दिए है वो अब अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे है। जिससे चलते प्रापर्टी मेले में न तो लोग जा रहे है और न ही पूछ परख हो रही है। लोगों का तो यहां तक कहना है कि जो बिल्डर दो साल बीत जाने के बाद भी सुविधाएं नहीं दी और न ही निर्धारित समय में प्रापर्टी का पजेशन दिया, ऐसे हालात में और उनसे सौदा करना बेमानी होगी। पिछले 2 साल में रेरा ने कोरोना और लॉकडाउन की वजह से बिल्डरों और डेवलपरों को जितनी राहतें दी, अब उतनी ही सख्ती बढ़ा दी है। केवल अप्रैल में अब तक 19 शिकायतों पर फैसला सुनाया गया है। यानी हर दिन औसतन एक बिल्डर के खिलाफ आदेश पारित किया गया है। इसमें ज्यादातर वे बिल्डर फंस रहे हैं जो पिछले 2 साल में भी काम की गति तेज नहीं कर पाए हैं और लोगों को तय समय पर फ्लैट या मकान उपलब्ध नहीं करवा पाए हैं। ज्यादातर की शिकायत यही है कि बिल्डर ने ब्रोशर में कुछ और दिखाया और हकीकत में कुछ और मिला। उन लोगों पर भी सख्ती शुरू कर दी गई है जो रेरा में बिना पंजीयन कराए लोगों को मैसेज भेजकर अपने प्लॉट बेच रहे हैं या उसका प्रचार कर रहे हैं। रेरा ने ऐसे एसएमएस भेजने वालों की सूची तैयार कर ली है। इनमें ऐसे लोगों को भी पहचान की जा रही है जिन्हें पहले नोटिस जारी की गई थी और वे दोबारा से बिना पंजीयन कराए मकान-फ्लैट की खरीदी-बिक्री के लिए मैसेज भेजकर प्रचार कर रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ अब सीधे एफआईआर कराने की तैयारी कर ली गई है।
एक प्रोजेक्ट को लेकर बिल्डर ने खुद ही आवेदन देकर रेरा में अपना पंजीयन निरस्त करवा दिया है। रेरा अफसरों ने बताया कि प्रोजेक्ट की रिपोर्ट बताने के लिए 29 नवंबर 2021 को प्रकरण शामिल किया गया था। इस मामले में बिल्डर ने शपथ पत्र देकर बताया था कि प्रोजेक्ट का पंजीयन रेरा में कराया गया है, लेकिन फिलहाल इस प्रोजेक्ट में किसी भी तरह की कोई बिक्री नहीं की गई है। प्रोजेक्ट के एवज में लोगों से कोई रकम भी प्राप्त नहीं की गई है। रेरा अध्यक्ष ने फैसला दिया कि बिल्डर ने खुद ही पंजीयन निरस्त करने का आवेदन दिया है, इसलिए पंजीयन स्वयंमेव निरस्त माना जाएगा। लेकिन उसे पंजीयन शुल्क वापस नहीं किया जाएगा। भविष्य में यह प्रोजेक्ट फिर से शुरू किया जाता है तो उसे दोबारा रेरा में पंजीयन करवाना होगा।
प्रॉपर्टी खरीद रहे तो सावधानी जरूरत बरतें
बिल्डरों के प्रोजेक्ट में प्रॉपर्टी खरीदने से पहले चेक करें कि उस प्रोजेक्ट का पंजीयन रेरा में है या नहीं। जिस प्रोजेक्ट का रेरा में पंजीयन नहीं कराया गया है उसमें कई तरह की खामियां होने के चांस बढ़ जाते हैं। प्रॉपर्टी खरीदने से पहले उसके लिंक डॉक्यूमेंट चेक करें। यानी प्रॉपर्टी कितनी-बार खरीदी और बेची गई है।जिससे प्रॉपर्टी खरीद रहे उससे पुरानी रजिस्ट्री की कॉपी ले लें। रजिस्ट्री डिटेल एक-दूसरे से लिंक है या नहीं। टाउनशिप में प्रॉपर्टी ले रहे हैं तो लैंड यूज जांचें। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की अनुमति, निगम नक्शा पास देखें। प्रॉपर्टी खरीदने से पहले अखबार में जाहिर सूचना जरूर देना चाहिए। इससे प्रॉपर्टी की आपत्तियां पता चलती हैं।
रेरा में सबसे ज्यादा शिकायत
बिल्डरों ने ब्रोशर में जो सुविधाएं दिखाई वास्तव में उसे नहीं बनाया। रेरा ने उन्हें समय देकर काम पूरा करने कहा। बिल्डरों ने तय समय में प्रोजेक्ट पूरा नहीं किया, लोगों को हर्जाना दिलाने के साथ ही काम जल्द से जल्द पूरा कराया।साइट दिखाकर शुरुआती एडवांस रकम ले ली, लेकिन उसके बाद काम बंद कर दिया।
राजधानी सहित प्रदेश में प्रापर्टी कारोबार की हाल-ए-दास्ता किसी से छुपी नहीं है। कोरोनाकाल से लेकर अब तक बिल्डरों को लगाई पूंजी की वापसी तक नहीं हो पाई है, उल्टे करोड़ों के कर्ज डूबे बिल्डर कर्ज से उबरने के लिए यथासंभव हाथ-पैर मार रहे है, लेकिन किनारा अभी तक नहीं मिल पाया है। बिल्डरों की बदहाली कुछ मीडिया घरानों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। कुछ मीडिया घराने के मार्केटिंग मैनेजमेंट वाले बिल्डरों को प्लानिंगचार्ट बनाकर हर महीने प्रापर्टी मेला और साइड लाचिंग करवा रहे है और उसके बदले में उनके कारोबार और उनके व्यक्तित्व के यशोगान के साथ
रोज प्रापर्टी मेला पर विशेषांक प्रकाशित कर रहे है। इसके साथ ही मीडिया घरानों की आइडियोलॉजी पर काम करते हुए सोशल मीडिया और मोबाइल से लोगों को बिल्डरों के ताजातरीन प्रोजेक्टों और सुविधाओं की बखान 30 सेंकड तक कर रहे है। वहीं सोशल मीडिया पर लगातार कैंपेन चल रहा है। वाट्सऐप ग्रुप से जुड़कर लोगों को वाट्सऐप के जरिए रोज अपने सस्तेदामों के मकान, फ्लेट की कीमतों में भारी गिरावट और तत्काल पजेशन का झांसा देकर विज्ञापन के नीचे लिख देते है कि शर्ते लागू। अब निवेशक और मकान के जरूरतमंद लोग शर्ते लागू के उलझनों से बचने के लिए उनके फोन और वाट्सऐप तक को देखने से डरने लगे है।
आखिर ये शर्ते क्या है ?
बिल्डरों का मास्टर कार्ड विज्ञापन के नीचे लिखेशर्ते लागू हैं ध्येयवाक्य का खुलासा किसी भी बिल्डर ने आज तक नहीं किया कि आखिर ये शर्ते क्या है? और इससे निवेशकों और मकान, दुकान, फ्लेट के जरूरतमंद लोगों को क्या फायदा है और बिल्डरों को ऐसा लिखने से क्या फायदा है। बिल्डरों की बिजनेस भाषा लोगों को आज तक समझ नहीं आई है, कि शर्ते लागू हैं लिखकर आखिर बिल्डर निवेशकों को क्या संदेश देना चाहते है। एक लाइन में अपनी सारी बात कहकर बिल्डर शर्तों के बारे में न तो अपने ब्रोशर में उल्लेख करते है और न ही प्रकाशित होने वाले विज्ञापनों में करते है, जिससे पब्लिक समझ सके कि शर्ते लागू का तात्पर्य क्या है ? जानकारों का कहना है कि इसे बिल्डर कानूनी पचड़े से बचने के लिए एक अस्त्र के रूप में इस्तेमाल करते है। बिल्डरों के समूह और बिल्डर भी निजी प्रोजक्ट के लांचिंग के समय प्रेस कांफ्रेंस आयोजित करते है और उसमें बड़े निवेशकों-उद्योगपतियों के साथ प्रापर्टी से जुड़े कारोबारियों को आमंत्रित करते है। अपने उद्बोधनों में किसी भी प्रापर्टी से जुड़े बिजनेसमैन ने यह नहीं बताया कि उनके विज्ञापनों में प्रकाशित शर्ते लागू होने की लाइन किस बात का संकेत है। क्या यह केवल बिल्डरों के फेबरेवल है, या निवेशकों और खरीदारों को इसका कोई एडवांटेज मिलेगा या नहीं।
मंदी और महंगाई के दौर में प्रापर्टी के दाम सबसे ज्यादा गिरे
कोरोनाकाल के दो साल तक मृतप्राय प्रापर्टी के कारोबार में कोई उठाव तो आया नहीं, उल्टे सरकारी बिल्डर आरडीए और हाउसिंग बोर्ड के साथ निजी बिल्डरों के करोड़ों रुपए प्रोजेक्टों में फंस हुए है। अब आरडीए और हाउसिंग बोर्ड 30 प्रतिशत दाम कम करके बेचने का निर्णय लिया है। जबकि निजी बिल्डरों ने पहले से ही अपने प्रोजेक्टों के दाम 40-50 प्रतिशत तक कम कर दिए है । इसके बाद भी मेला, लाचिंग में पब्लिक रूचि नहीं ले रही है। इस मंदी की मार सबसे ज्यादा बिल्डरों पर पड़ी है। वो किसी भी तरह उठने के लिए हाथ-पांव मार रहे लेकिन सफलता अब तक नहीं मिल पाई है।