शिक्षक की भूमिका पर नजर आए प्राधिकरण के सचिव

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Update: 2024-08-05 18:26 GMT
Mahasamund. महासमुंद। आज जिला मुख्यालय महासमुंद से लगे वनांचल ग्राम उमरदा स्थित हाई स्कूल के छात्र-छात्राओं के बीच जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव दामोदर प्रसाद चन्द्रा पहुंचकर विधिक जागरूकता विषयों पर आधारित बौद्धिक परिचर्चा व बच्चों को ब्लैकबोर्ड के माध्यम से समझाकर तथा छात्रों के द्वारा पूछे जाने वाले उत्सुक प्रश्नों के बारे में भी विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, महासमुंद के सचिव दामोदर प्रसाद चन्द्रा द्वारा गुड टच बेड टच, महिलाओं से संबंधित होने वाले अपराध, बाल श्रम कानून, दहेज आदि के संबंध में छात्र-छात्राओं को ब्लैक बोर्ड के माध्यम से जानकारी दी गई। इसके अलावा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्य एवं उनके द्वारा दी जाने वाली विधिक सहायता अथवा सलाह के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए गरीबों तथा समाज के कमजोर वर्गो के लिए निःशुल्क कानूनी सहायता की
व्यवस्था की गई है।

संविधान के अनुच्छेद 14 और 22 (1) के तहत राज्य का यह उत्तरदायित्व है कि वह सबके लिए समान अवसर सुनिश्चित करे, समानता के आधार पर समाज के कमजोर वर्गो को सक्षम विधिक सेवाएं प्रदान करने के लिए एक तंत्र की स्थापना करने के लिए वर्ष 1987 में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम पास किया गया। इसी के तहत राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) का गठन किया गया है, जो कानूनी सहायता कार्यक्रम लागू करने और उसका मूल्यांकन एवं उनके सतत निगरानी का कार्य कर लोगों को कानूनी सहायता एवं सलाह उपलब्ध कराती है। इसी प्रकार प्रत्येक राज्य में एक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जिसके अंतर्गत उस राज्य के पूरे सभी जिलों में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण तथा तहसील क्षेत्रों में तालुका विधिक सेवा समिति का गठन किया गया है। इसका कार्य नालसा की नीतियों और निर्देषों को कार्य रूप देना और लोगों को निशुल्क कानूनी सेवाएं प्रदान कराना होता है।
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