हाउसिंग बोर्ड में चल रहा है विलोपन और आबंटन का खेल

Update: 2023-06-21 06:44 GMT

बिना लेआउट, नक्शा पास और डेवलपमेंट चार्ज लिए कर दी रजिस्ट्री 

जसेरि रिपोर्टर रायपुर। जनता से रिश्ता को बोर्ड के एक और अधिकारी के कारनामों के बारे में दस्तावेज मिले हैं। इस वरिष्ठ अधिकारी ने बोर्ड की जमीन को ही प्राइवेट बिल्डर को दे दिया ताकि उसे उसकी व्यवसायिक प्लाटिंग के लिए रास्ता मिल सके। इस घोटाले को अंजाम देने के लिए उक्त अधिकारी ने कचना हाउसिंग बोर्ड के एचआईजी मकानों की सूची में अनुमोदित एक नंबर के मकान को अपने अधिकारों से आगे जाकर विलोपित कर दिया और उस स्थान को रिक्त जमीन बताकर प्राइवेट बिल्डर उपलब्ध करा दिया जिससे उसे अपने प्रोजेक्ट के लिए रास्ता मिल सके। तत्कालीन उपायुक्त द्वारा ऐसा करना नियम विरुद्ध था लेआउट में परिवर्तन करने के लिए नगर निवेश विभाग अनुमोदन जरूरी होता है जिसकी जरूरत उक्त अधिकारी द्वारा नहीं समझी गई और बिल्डर को लाभ पहुंचाने के लिए लेआउट में दर्शाए गए एक नंबर के एचआईजी मकान को ही विलोपित कर उसे रिक्त स्थान बताया गया। इस बदलाव के लिए सरकार से भी परमिशन दिए जाने को लेकर भी कोई उल्लेख नहीं है। बिल्डर को लाभ पहुंचाने वाले उपायुक्त अजीत पटेल व अन्य के खिलाफ इस मामले की शिकायत हाउसिंग बोर्ड के आयुक्त से कर जांच की मांग की गई है। प्रकरण को दबा दिया गया गौरतलब है कि उक्त अधिकारी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला ईओडब्ल्यू में दर्ज है। लेकिन पूववर्ता भारतीय जनता पार्टी के सरकार में अपनी ऊंची पहुंच के चलते वह कार्रवाई से बचते रहे और प्रकरण को दबा दिया गया। हालाकि इस प्रकरण के दर्ज होने के बाद कुछ सालों तक इस अधिकारी को बोर्ड में बड़ी जिम्मेदारियों से दूर रखा गया। लेकिन मामला शांत होते ही उन्हें फिर से कई प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी सौंप दी गई। इस मामले में कुछ संगठनों ने फिर से जांच की मांग उठाई है। ईओडब्ल्यू में शिकायत,अब तक कार्रवाई नहीं ईओडब्ल्यू में उक्त अधिकारी के खिलाफ शिकायतों की लंबी फेहरिस्त है लेकिन किसी भी मामले में कोई जांच या कार्रवाई नहीं हो रही है। उक्त अधिकारी के खिलाफ आरोप है कि जांजगीर चांपा में कालोनी निर्माण में समय कालोनी में पीव्हीसी पाइप डलवाकर सी.आई पाईप का भुगतान कर मंडल को आर्थिक क्षति पहुंचाई गई। इसी तरह आरंग में अटल आवास निर्माण पूर्ण नहीं होने के बावजूद पूर्णता प्रमाणपत्र जारी कर ठेकेदार को भुगतान किया गया। आरंग में ही अटल विहार बिना किसी पंजीयन के हजारों मकानों का निर्माण उनके द्वारा करवा कर मंडल को आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया। उक्त अधिकारी पर एक ठेकेदार विशेष को ही लाभ पहुंचाते हुए बोर्ड के हाउसिंग योजनाओं का ठेका देने तथा उसके माध्यम से अपने खास लोगों को मकान-घर आदि दिलवाने के भी आरोप ईओडब्ल्यू में को दी गई शिकायतों में लगाए गए हैं। शिकायतों में उक्त अधिकारी को पीडब्ल्यूडी में पदस्थापना के दौरान आर्थिक अनियमितता के चलते निलंबित किए जाने का भी उल्लेख है। तुगलकशाही और मनमानी का जीता जागता उदाहरण छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों में देखा जा सकता है जो कानून-कायदे को ताक में रखकर अपने चहेतों को उपकृत करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ रहे। न ले-आउट की मंजूरी कराने की जहमत उठाई और वर्क आर्डर सीधे जारी करने से पहले टेंडर प्रक्रिया का पालन किया। मजेदार बात यह हैै कि बिना टेंडर के जारी किए वर्क आर्डर अपने चहेतों ठेकेदारों को देकर मालामाल कर दिया है। छत्तीसगढ़ में विभिन्न विभागों के अधिकारियों की लालफीता शाही के बारे में लोगों ने सुना होगा, लेकिन हाउसिंग बोर्ड में प्रत्यक्ष देखा जा सकता है।

हाउसिंग बोर्ड अपने गठन के संकल्प से भटक गया है। वह सिर्फ बड़े अधिकारियों का चारागाह बनकर रह गया है। जहां उनकी तुलकशाही सिर चढ़कर बोल रहा है। प्रदेश के आवासहीन और गरीब-मध्यमवर्गीय परिवार को उनके सिर पर छाया देने राज्य सरकार की लोगों को सस्ते आवास उपलब्ध कराने वाली संस्था छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड भ्रष्टाचार और घोटालों का बड़ा केन्द्र बन गया है। बोर्ड के अधिकारियों के खिलाफ लगातार मिल रही शिकायतों और उनके घोटालों की लंबी फेहरिस्त के बावजूद पिछले 20 सालों में पिछली और वर्तमान सरकार द्वारा कोई एक्शन नहीं लेना यह दर्शाता है कि अधिकारियों के माध्यम से सरकार में बैठे और विभागीय लोग भी इससे उपकृत होते रहे हैं। भले इससे सरकारी राजस्व का नुकसान हो रहा हो लेकिन इससे उन्हें लगातार निजी लाभ मिलता रहा है जिसके कारण न तो कभी शिकायतों पर किसी अधिकारी के खिलाफ कोई जांच हुई और नही घोटालों पर कोई कार्रवाई हुई। हुई भी तो विभागीय जांच के नाम पर खानापूर्ति और आरोपियों को क्लीनचिट देने की औपचारिकता। अधिकारी को उपकृत किया यह भी चर्चा का विषय है कि उक्त अधिकारी को अनुचित तरीके से पदोन्नतियों का लाभ दिया गया है। बताया जा रहा है कि उक्त अधिकारी को वर्ष 2014 से लेकर 2017 तक तीन पदोन्नति दी गई। हाउसिंग बोर्ड का नियम है कि एक पदोन्नति के बाद दूसरी पदोन्नति में कम से कम पांच वर्ष का अंतराल होना चाहिए। इतना ही नहीं क्लास टू के अधिकारी से क्लास वन अधिकारी के पद पर पदोन्नति के लिए विभागीय परीक्षा भी पास करना जरूरी है लेकिन इनके मामले में ऐसा नहीं हुआ। नियम कायदे को रखा ताक में बताया जा रहा है कि वर्ष 2000 में नियम बना था कि विभागीय परीक्षा को पास करना अनिवार्य है,उसके बाद भी पदोन्नति मामले में नियमों की अनदेखी की गई। खास बात यह रही कि अधिकारी को पद देने एक ही दिन में तीन डीपीसी की गई। पदों को बांटा जा रहा रेवड़ी की तरह हाउसिंग बोर्ड में पदोन्नति के मामले में नियमों की अनदेखी को लेकर दूसरे अधिकारी भी नाराज हैं। बताया जा रहा है कि एक वरिष्ठ अधिकारी ने हाउसिंग बोर्ड में एक आवेदन भी दिया है और इसमें कहा है कि जब मैं वरिष्ठ था तो दूसरे अधिकारी को पद कैसे दे दिया गया। जानकारी के अनुसार हाउसिंग बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी राजेंद्र राठौड़ ने हाउसिंग बोर्ड में यह आवेदन दिया है कि वे वरिष्ठ है तो एडिशनल कमिश्नर अजीत पटेल कैसे हो सकते है। हाउसिंग बोर्ड में अप्रैल 2023 में एक ही दिन में तीन डीपीसी करते हुए नियमों को ताक में रखकर अजीत पटेल को एडिशनल कमिश्नर बनाया गया और छह वर्ष पहले यानि 2017 में एडिशनल कमिश्नर बनाए गए एचके(हेमंत कुमार वर्मा) वर्मा को वापस डिप्टी कमिश्नर बना दिया गया। करोड़ों रुपए का हेरफेर किया इससे पहले हाउसिंग बोर्ड के एक भ्रष्ट और अय्याश अधिकारी ने रायपुर के प्रथम बिल्डर को कबीर नगर में एक मकान को हटा कर रास्ते के लिए जगह देकर करोड़ों रुपए का हेरफेर किया था, उसके इस कृत्य पर न तो सत्ता पक्ष ने संज्ञान लिया न विपक्ष ने संज्ञान लिया और न कोर्ट ने संज्ञान लिया न ही किसी सामाजिक संगठन ने संज्ञान लेकर वाद दायर किया। छत्तसीगढ़ भ्रष्टाचारियों का चारागाह बन गया है और छुटभैया नेताओं जो किराए से देने का धंधा करते है उनकी भी निकल पड़ी है जिससे उनके खिलाफ चुप रहने का खर्चा मिलते रहता है। छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े बिल्डर जो अपने आप को सर्वप्रथम बिल्डर बताता है कि उसने अपनी पूरी कालोनी बसा दी और कौड़ी के मोल के जमीन का अरबो रुपए कमाया ये सब हाुसिंग बोर्ड के अधिकारी की मिली भगत से हुआ। जिसकी शिकायत लोकयुक्त में चल रही है। कमिश्नर भ्रष्टाचार को दो रहा संरक्षण भाजपा आरटीआई प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक डा. विजय शंकर मिश्रा ने बताया कि कमिश्नर सत्यनारायण राठौर के पास मेरी शिकायत पड़ी है जिस पर अभी तक 10 दिन हो गए कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जबकि अब तक तो अधिकारी को सस्पेंड कर देना चाहिए था। तीन करोड़ की जमीन को खाली बता कर बिल्डर को सिर्फ इसलिए बेचा की उस जमीन के पीछे बिल्डर की जमीन है और उस जमीन पर जाने के लिए कोई रास्ता नहीं दे रहा था, जिस पर बिल्डर ने अधिकारी से मिलकर ऊपरी स्तर पर सांठगांठ कर उक्त जमीन को खरीद कर रजिस्ट्री भी करा ली है। जबकि प्रावधान यह है कि कोई भी रि-डेपलेपमेंट करना हो तो उसका नक्शा लेआउट टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से कराना अनिवार्य है। उसके बिना वह पूरी तरह गैैरकानूनी साबित होगी। इस अधिकारी और बिल्डर ने गोपनीय तरीके से बिल्डर को उक्त जमीन को बेच दिया और उस पर डेपलेपमेंट चार्ज भी नहीं लिया। जबकि इस मामले की शिकायत कमिश्नर सत्यनारायण राठौर के पास लंबित है और उस पर कोई कार्रवाई अब तक नहीं की है। जबकि सारे दस्तावेज के साथ मैंने स्वयं शिकायत में संलग्न किया है। इससे साफ जाहिर होता है कि इस चेन में बड़े-बड़े पदाधिकारी से लेकर बोर्ड के संचालक मंडल भी संलिप्त है। डा. विजय शंकर मिश्रा से सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि हाउसिंग बोर्ड में कोई भी डेवलमेंट होगा तो फिर से उसका लेआउट नक्शा बनाना होगा, जबकि यहां तो सीधे अधिकारी और बिल्डर में खेल जमाकर सरकार जमीन पर बिना डेवलपमेंट चार्ज चुकाए करोड़ों की जमीन को लाखों में हड़प करने कीा साजिश में सफल हो गया है। एक-दो दिन में कार्रवाई नहीं हुई तो लोकायुक्त में शिकायत करने जाउंगा।

हाउसिंग बोर्ड कमिश्नर से उनका पक्ष जानने फोन किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। वहीं उनके पीए ने बताया कि साहब गेस्ट आए हुए हैं उनके साथ व्यस्त हैं। हाउसिंग बोर्ड की संपत्ति को लूटने अधिकारियों ने रचा षडयंत्र हाउसिंग बोर्ड के अधिकांश अधिकारियों की मनमानी और बेईमानी की हद तब पार हो गई जब बड़े प्रोजेक्ट को अपने रिश्तेदारों को और अपने ही चहेते लोगों को चुपचाप गुपचुप तरीके से मनचाही जगह मनमाने ढंग से किसी भी प्रोजेक्ट पर अपना कब्जा करने के उद्देश्य षडयंत्र रचा। जनता और सरकार के साथ बेईमानी करते हुए अपने ही चहेतों को व्हाट्सएप के जरिए कीमती दुकानें बांट दी गई। वर्तमान में टाटीबंध में भारत माता स्कूल के सामने जो प्रोजेक्ट आया उस प्रोजेक्ट में बेतहाशा मनमाने तरीके से अपनों को ही उपकृत कर दिया गया और आम जनता देखती रह गई। करोड़ों की प्रॉपर्टी अधिकारी लोगों ने अपने रिश्तेदारों के नाम से दबा दिए। ऐसा ही मामला डूमरतालाब का है, यहां भी कमर्शियल दुकान, ऑफिस और मकानों को मनमाने ढंग से अपने चाहतों के साथ दलालों को और अपने करीबी प्रॉपर्टी डीलर को आवंटित कर दिया गया और मनमाने ढंग से अब उसको बेचा जा रहा है । जबकि अभी प्रोजेक्ट की शुरुआत जमीनी स्तर पर नहीं हुई है । लेकिन जनता ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लेकर हाउसिंग बोर्ड के सभी प्रोजेक्ट में पैसा लगाने पीछे नहीं हटी। हाउसिंग बोर्ड के सभी प्रोजेक्ट धड़ाधड़ बुकिंग होकर पूरे बिक गए और इसका सीधा फायदा अधिकारी के चहेतों को मिला। करोड़ों की संपत्ति को कौड़ी के दाम अपनों को बांटकर जनता को बेवकूफ बनाया और इस आवंटन को ऑनलाइन दर्शाया भी नहीं गया कि कौन सा मकान, कौन सा ऑफिस खाली है, पोर्टल में नहीं दिखाया जाता है, ऑनलाइन प्रापर्टी खरीदने का जो लुभावने आफर दिए जा रहे है। लेकिन पीछे की तरफ वाले दुकान/मकान और वास्तु के अनुसार नहीं बने मकान/ दुकान/आफिस के साथ अंदर की तरफ बने आड़े तिरछे साइड वाली प्रापर्टी ही आम उपभोक्ता /निवेशकर्ता लेने के लिए मजबूर होता है और निवेशकर्ता उपभोक्ता ऐसी प्रापर्टी खरीदकर फंस जाता है और अपनी जिंदगी भर की कमाई को संपत्ति खरीदने में लगाकर खुद को लुटवा लेता है। ठ्ठ अपने चहेतों को कूटरचना कर करोड़ों की जमीन कौड़ी के मोल दे दी ठ्ठ मनपसंद संपत्ति से अधिकारी के चहेते और रिश्तेदार उपकृत

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