मुफ्त की चीज़ बाजार में नहीं मिलती, किसान के मरने की सुर्खियां अख़बार में नहीं मिलती

Update: 2021-03-12 05:48 GMT

ज़ाकिर घुरसेना/कैलाश यादव

बुजुर्गों ने कहा है कि खाना ठंडा करके ही खाएं। शायद प्रधानमंत्री जी भी इसी फार्मूले पर चल रहे है तभी तो आज किसान आंदोलन को सौ दिन से ज्यादा हो गये हैं लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। एक बात यह भी देखा गया है कि पब्लिक भी कोई घटना को कुछ दिन याद रखती है, यही हाल किसान आंदोलन का हो गया है ऐसा लगता है इतने लम्बे दिनों से चल रहे आंदोलन से पब्लिक भी ऊब गई है लेकिन भला हो अन्नदाताओ का जिन्होंने इस आंदोलन जिन्दा रखा क्योंकि उनके जिंदगी का सवाल था। उन्हें क्या क्या नहीं कहा गया। इस बीच कितने किसान आत्महत्या का लिए किसी को कोई खबर नहीं। इसी बात पर एक शायर कहता है-मुफ्त की चीज़ बाजार में नहीं मिलती, किसान के मरने की सुर्खियां अख़बार में नहीं मिलती।

माँ बहनों का सम्मान

8 मार्च को महिला दिवस के अवसर पर माँ-बहनों का जगह -जगह सम्मान हुआ माँ-बहनों के प्रति सम्मान देखते बन रहा था एक सम्मान समारोह में डीजीपी अवस्थी और महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा जी थे उन्होंने भी जमकर माँ-बहनों बड़े ही निराले अंदाज़ में तारीफ की। जनता में खुसुर-फुसुर है की सम्मान तो हर हाल में होना चाहिए और हमेशा होना चाहिए। एक दिन सम्मान करके इतिश्री नहीं करना चाहिए। साथ ही नारी जाती पर अत्याचार नहीं होना चाहिए तब तो यह दिवस सार्थक है, वर्ना उत्तरप्रदेश का हाल तो किसी से छुपी नहीं है।

मरने के बाद प्रमोशन

अब ऐसा लगता है कि सम्मान की भी कई केटेगरी हो गई है। कोई जीते जी सम्मान नहीं पा रहा है तो कोई मरने के बाद भी भी सम्मान पाए जा रहा है। हुआ ये कि सम्मान के चक्कर में बिहार स्वास्थ्य विभाग ने एक स्वर्गवासी हो चुके डाक्टर को सिविल सर्जन बना दिया अब जनता में खुसुर-फुसुर है कि स्वर्गवासी डाक्टर के प्रमोशन आर्डर को लेकर उनके तक कौन जायेगा।

सभा में भीड़ लाना एक कला

भीड़ जुटाने का भी अपना अंदाज़ होता है। नेताओं को उत्साह तब आता है जब उन्हें सुनने वालों की तादात काफी संख्या में हो। पहले की सभाओ और आज की सभाओ में काफी फर्क आ गया है पहले चार पूड़ी, अचार, सब्जी में लोग खुश हो जाते थे लेकिन अब सभाओं में एसी, कूलर, पंखा,पानी बॉटल, चाय-नाश्ता और तत्काल नगदीकरण होना जरुरी हो गया है ,अब सभाओं में जाना यानि किसी पार्टी में जाने जैसा हो गया है। लोग एक ही दिन में कई पार्टियों की सभा अटेंड करने लग गए हैं।

पहले अपनों को खत लिखिए जी

रायपुर नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे भाजपा के प्रदेश प्रभारी पुरंदेश्वरी को खत लिख कर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति जल्द से जल्द करने की मांग की है। पत्र में उन्होंने लिखा की एक वर्ष से अधिक होने जा रहा है अभी तक नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति नहीं हो पाई है। इसी बात पर एक भाजपाई ने चुटकी लेते हुए कहा की काश प्रमोद भाई भाजपा के प्रभारी को खत लिखने के बजाये पुनिया जी को लिखते तो कम से कम उन कांग्रेसियो का भला हो जाता जो पिछले 24 महीने से खालीपीली बेरोजगार बैठे हैं।

पूर्व विधायकों की पीड़ा सुनो सरकार ...

प्रदेश सरकार से भूतपूर्व विधायकों स्वरूपचंद जैन, गुरुमुख सिंह होरा, राजकमल सिंघानिया ने गुहार लगाई है कि चिकित्सा बिलों का भुगतान एक-एक साल तक नहीं होता, तब तक मर्ज और बढ़ जाता है, वहीं हाल यात्रा भत्ता का है, न तो होटल में ठहरने का क्राइट एरिया तय नहीं है। जनता में खुसुर-फुसर है कि सरकार को जल्दी से इनकी गुहार सुन लेनी चाहिए नहीं तो आने वाले विधानसभा चुनाव में भूतपूर्व विधायक न चाहते हुए पार्टी का टिकट मांग लेंगे, तो लेने के देने पड़ जाएंगे। इसलिए उनकी यात्रा, होटल में ठहरने का क्राइट एरिया, चिकित्सा बिलों का जल्दी से जल्दी भुगतान कर दें और गले अटकी फांस से मुक्त हो जाए।

दिल्ली में बजा गोबर का डंका ...

बधाई हो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी आपने दिल्ली में गोबर का डंका बजवा ही दिया। राष्ट्रीय कृषि मंत्रालय की समिति ने गोधन योजना की तारीफ करते हुए गोबर को रोजगार से जोडऩे की योजना को केंद्र सरकार को भी लागू करने का सुझाव दिया है ताकि गोबर की बहुउपयोगिता का लाभ किसान के साथ ग्रामीणों को सीधे तौर से मिल सके। जिस तरह से छत्तीसगढ़ में जैविक खाद, वर्मी कम्पोज, गोकास्ट बनाकर गोबर की उपयोगिता को पूरे देश में रोजगार के अवसर बढ़ाने को बल दिया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि भूपेश बघेल ने गोबर को गणेश बनाकर पूरे देश में पूजा करने योग्य बना दिया है।  

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