रायपुर शहर व आसपास की आबोहवा हुई जहरीली

Update: 2021-07-24 06:04 GMT

लॉकडाउन के बाद वाहनों की संख्या बढऩे से भी प्रदूषण बढ़ी है

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। शहर एवं अतराफ़ में लाकडाउन के समय अधिकतर कल-कारखाने बंद होने के कारण खुले में साँस लेने में लोगो काफी आनंद आया चूँकि अब लाकडाउन फिर से खुल जाने एवं उद्योग धंधो की स्थिति पहले जैसे हो जाने के वजह से शहर एवं आसपास का वातावरण प्रदूषण युक्त होगया है। वातावरण अब फिर से पुराने रायपुर की तरह लगने लगा है। अब शहर के आसपास बढ़ते औद्योगीकरण के कारण लगातार वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। छत्तीसगढ़ की राजधानी ही नहीं बल्कि हर शहर में वायु प्रदुषण खतरनाक स्तर पर पहुंचने लगा है।

पिछले 15 से 20 सालों में छत्तीसगढ़ में काफी तादात में कल-कारखाने खुले जिसका अभिशाप छत्तीसगढ़ की जनता झेल रही है। छत्तीसगढ़ की आबोहवा जहरीली होने लगी है। वायु प्रदुषण के मामले में हम अन्य राज्यों को टक्कर दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ के जिन शहरों के आसपास उद्योग लगे हैं वहां का वायु प्रदुषण तो काफी खतरनाक स्थिति में पहुँच चुका है। राज्य बनने के बाद काफी एमओयू हुए और कल कारखानों की स्थापना भी हुई लोगो को रोजगार भी मिला लेकिन रोजगार के साथ कल-कारखानों ने वायु प्रदुषण भी दिया जो हमारे लिए अभिशाप बना।

पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने भी रायपुर में एवं छत्तीसगढ़ में बढ़ते वायु प्रदुषण पर चिंता जाहिर की है। इस खतरनाक प्रदुषण से इंसान ही नहीं बल्कि जीव-जंतु के आलावा पेड़ पौधों और नदी नालो तक में असर दिख रही है। विश्वविद्यालय के रसायन अध्ययन शाला के आंकड़े भी चौकाने वाले हैं। यह सामान्य से कई गुना ज्यादा होने के चलते काफी घातक है। विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि आसपास के प्लांट से उडऩे वाली राख से ज्यादा प्रदूषण हो रहा है। कोरोना संक्रमण के बाद भी शहर के आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता में सुधार को लेकर कोई बड़े कदम नहीं उठाए गए। यही वजह है कि प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. प्रदेश में काफी तादात में लोगों को बीमार हो रहे हैं। पर्यावरणविदों ने चिंता जताते हुए कहा कि लोग सांस की गंभीर बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे हैं। अनलॉक होने के बाद शहर में वाहनों की संख्या बढऩे से भी प्रदूषण लगातार बढ़ रहा

है। काफी हद तक प्रदूषण बढऩे का कारण ईंधन का जलना भी है। छत्तीसगढ़ के बड़े शहर रायपुर, कोरबा, रायगढ़ और भिलाई-दुर्ग के आलावा कई शहरो में प्रदुषण काफी बढ़ा हुआ है। इसके बावजूद अब तक हवा की स्वच्छता को मापने वाला मीटर यहां नहीं लगाया गया है. जबकि मध्यप्रदेश में ही 15 जगहों पर ऐसे ऑटोमेटिक मॉनिटरिंग मीटर लगे हैं। इस सम्बन्ध में आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर और पर्यावरण संरक्षण मंडल के सदस्य सचिव श्री तिवारी से चर्चा करने की कोशिश की लेकिन चर्चा नहीं हो पाई।

हवा की स्वच्छता को मापने वाला मीटर यहां हर हाल में लगना चाहिए। कोरोना से बचे तो प्रदुषण में फंसे वाली बात नहीं होना चाहिए। पर्यावरण संरक्षण मंडल को इन सब की जाँच में गंभीरता दिखाना चाहिए।

मो. फिरोज, पर्यावरण प्रेमी 

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