टीचर को तलाक लेने की मिली इजाजत, घर जमाई बनकर रहने दबाव डाल रही थी पत्नी
छग
बिलासपुर। परिवार न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए पति को मायके में ही रहने का दबाव डालने वाली पत्नी से हाईकोर्ट ने तलाक लेने की इजाजत दी है। पति ने अपने ससुराल वालों पर प्रताड़ना का भी आरोप लगाया था।
जूना बिलासपुर की एक युवती की शादी सन् 2000 में मोपका, बिलासपुर में हुई थी। शादी के कुछ दिन बाद वह मां की बीमारी को कारण बताते हुए मायके में आकर रहने लगी। उसने पति को भी अपने मायके में साथ रहने के लिए कहा। पति उस समय बेरोजगार था, इसलिए वह साथ आकर जूना बिलासपुर में पत्नी के मायके में रहने लगा। इस बीच पति की एक अस्थायी नौकरी लगी तो वह जमनीपाली कोरबा चला गया। वहां से उसने तैयारी की और शिक्षा कर्मी वर्ग 2 के पद पर चयनित हो गया। नौकरी लगने के बाद उसने पत्नी को साथ चलकर ससुराल में रहने के लिए कहा, लेकिन वह तैयार नहीं हुई। तब पति फिर उसके मायके में आकर साथ रहने लगा। बाद में उसकी दुर्ग में शिक्षा कर्मी वर्ग 1 के रूप में नियुक्ति हो गई। पत्नी साथ चलने के लिए राजी नहीं हुई तो पति ने अपना तबादला पत्नी के कहने पर बिलासपुर करा लिया। अब फिर पति ने अपने साथ चलने कहा तो वह फिर भी तैयार नहीं हुई। वह फिर पत्नी के साथ ही रहने लगा। पर वहां वह ससुराल वालों के दुर्व्यवहार से तंग आ चुका था। वह साथ नहीं रहना चाहता था। पत्नी ने कह दिया कि वह पति के साथ रह पाएगी जब वह उसके साथ मायके में रहेगा। पति ने किराये का अलग मकान ले लिया और परिवार न्यायालय में तलाक की अर्जी लगाई। कोर्ट ने पाया कि पत्नी का व्यवहार पति के प्रति क्रूरतापूर्ण है। उसे घर जमाई बनकर रहने के लिए दबाव डालना और ससुराल के अन्य सदस्यों के दुर्व्यवहार का सामना भी करना पड़ता है। परिवार न्यायालय ने तलाक की छूट दे दी। कोर्ट के इस फैसले को पत्नी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने फैमिली कोर्ट के आदेस को बरकरार रखा है और पत्नी की अपील खारिज कर दी है।