टामन सोनवानी ने सबसे पहले रिश्तेदार को दिया था CGPSC का पेपर, फिर करोड़ों रुपए लेकर किया लीक
रायपुर। प्रदेश में हुए CGPSC गड़बड़ी मामले की चार्जशीट सामने आने पर कई बड़े खुलासे हुए हैं। CBI द्वारा पेश की गई इस पूरी चार्जशीट में CGPSC ऑफिस में कार्यरत 7 कर्मचारियों समेत करीब 41 लोगों को गवाह बनाया गया है, लेकिन 5 ऐसे लोगों के बयान दर्ज नहीं कर पाई जो कि इस पूरे मामले के या तो जांचकर्ता हैं या इस गड़बडी के अंदर तक जुड़े हैं। चार्जशीट के मुताबिक जुलाई 2020 को प्रश्न पत्र प्रकाशन को लेकर टामन सिंह और परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक ने मे. एकेडी प्रिंटर प्रा. लि. के अरुण कुमार द्विवेदी के साथ रायपुर में मीटिंग की उसके बाद दोनों के बीच 17 अगस्त 2020 को ही अनुबंध हुआ कि 2 प्रश्न-पत्र सेट करने की सहमति बनी।
17 अगस्त 2020 से जनवरी 2022 तक अनुबंध के तहत मे. एकेडी प्रिंटर्स प्राइवेट लिमिटेड कलकत्ता ने दोनों प्रश्न-पत्रों में 50-50 प्रश्न दिए, जिसमें सामान्य अध्ययन पेपर-1 के लिए 55 और एप्टीट्यूड टेस्ट पेपर-2 के लिए 82 प्रश्न आरती वासनिक को प्रत्येक पेपर में 100 प्रश्नों की समीक्षा करने और उन्हें अंतिम रूप देने के लिए सीलबंद लिफाफे में फर्म के कर्मचारी महेश दास ने जनवरी 2022 में रायपुर भेजे। CBI ने अपनी चार्जशीट में छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग (सीजीपीएससी) 2021 के प्रश्न-पत्र लीक होने का खुलासा करते हुए लीक करने वाले सीजीपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी को बताया है। इस साजिश में उनके साथ तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक और उप परीक्षा नियंत्रक ललित गणवीर शामिल थे।
सीबीआई जांच में खुलासा हुआ है कि ये पर्चे सोनवानी ने अपने भतीजे नितेश और साहिल को दिए, जो बाद में डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी बने। इस पूरे मामले में बचाव पक्ष के वरिष्ठ वकील का कहना है कि जो चार्जशीट पेश की गई है, वह दिशाहीन है सीबीआई क्या कहना चाहती है? क्या आरोप लगाना चाहती है, यह स्पष्ट नहीं है। अभ्यर्थियों का चयन हुआ और 4 दिन में उनके खिलाफ चालान पेश कर दिया, किसी को खुश करने के लिए चार्जशीट बनाई गई है।