अनवर ढेबर Anwar Dhebar के परिजनों ने रायपुर केंद्रीय जेल के बाहर रामकृष्ण अस्पताल से एम्बुलेंस लाया गया है जिसमें अनवर ढेबर को लेटाकर तत्काल अस्पताल के लिए रवाना किया गया है। लेकिन यूपी पुलिस ने एम्बुलेंस को रोक दिया है। वही रायपुर जेल के बाहर भारी आक्रोशित माहौल बना हुआ है। कई कांग्रेसी समर्थक यूपी पुलिस के साथ झूमा-झटकी करते नज़र आ रहे है। वही यूपी पुलिस अनवर ढेबर के पीछे-पीछे जा रही है। अनवर ढेबर का स्वास्थ्य ठीक ना होने के कारण उन्हें तत्काल रामकृष्ण अस्पताल में भर्ती कराया गया है और वही यूपी पुलिस कल रायपुर कोर्ट से अनवर ढेबर का प्रोडक्शन वारंट की मांग करेगी जिसके बाद कल अनवर ढेबर को यूपी पुलिस मेरठ लेकर जाने की संभावना है। तब तक के लिए यूपी से आये सभी पुलिसकर्मियों को सिविल लाइन थाने के पीछे पुलिस मैस में ठहराया गया है।
छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच जारी है और कारोबारी अनवर ढेबर, पूर्व रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा, एपी त्रिपाठी, अरविंद सिंह समेत 5 से 7 आरोपी जेल में बंद हैं। इस पूरी जांच में अब एक नया ट्विस्ट आया है। जहां घोटाले की जांच के बीच यूपी पुलिस की एंट्री हो गई है। नकली होलोग्राम बनाने को लेकर नोएडा में इन सभी पर FIR दर्ज है। उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने एंट्री मारी है। मिली जानकारी मुताबिक नोएडा में दर्ज एफआईआर मामले में अनवर ढेबर की प्रोडक्शन रिमांड लेने के लिए लखनऊ एसटीएफ की टीम आयी है।
Noida में भी शराब घोटाले मामले में अनवर समेत कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज है जिसमें छत्तीसगढ़ समेत दूसरे अन्य राज्यों में नकली शराब और नकली होलोग्राम fake hologram लगाने का आरोप है। जहां अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा, एपी त्रिपाठी, अरविंद सिंह समेत 5 से 7 लोगों को आरोपी बनाया गया है। आपको बताते चलें कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के राज में खुलकर काम करने वाली एनकाउंटर और गाड़ी पलटाने के लिए मशहूर एसटीएफ कि रायपुर में एंट्री हुई हैं। जब यूपी पुलिस का अपराधियों से सामना होता हैं तो यूपी पुलिस जमकर लोहा लेती हैं। यूपी के कई बड़े माफियाओं का UP STF की टीम ने सफाया कर चुकी है, कई बड़े बड़े अपराधी एनकाउंटर में ढेर हो चुके हैं।
4 दिन पहले हाईकोर्ट ने दिया था जमानत
छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला केस में फंसे अनवर ढेबर Anwar Dhebar को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है। ढेबर ने मेडिकल ग्राउंड के साथ ही केस के अन्य आरोपियों को मिली राहत को आधार बनाया था। इस पर जस्टिस अरविन्द वर्मा ने जमानत अर्जी स्वीकार कर ली है। इससे पहले इस केस में सुप्रीम कोर्ट Supreme Court से अन्य आरोपियों को पहले से ही राहत मिल चुकी है। ढेबर के वकील सौरभ दांगी ने मेडिकल ग्राउंड पर इलाज के लिए जमानत देने का आग्रह किया। साथ ही कहा कि अनवर को किडनी की बीमारी है और उन्हें यूरिन करने में दिक्कत हो रही है। सुनवाई के दौरान यह भी तर्क दिया गया कि ढेबर का इलाज चल रहा है, जिसके लिए अस्पताल जाने की जरूरत पड़ती है। जेल में गार्ड उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है, जिसके चलते इलाज नहीं हो पा रहा है।
केस की सुनवाई के दौरान ढेबर के एडवोकेट ने यह भी तर्क दिया कि
EOW ने जिन्हें आरोपी बनाया है, उन सभी को कोर्ट से राहत मिली हुई है। इसी आधार पर अनवर ढेबर को भी जमानत देने का आग्रह किया गया। इस मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस अरविन्द वर्मा की बेंच ने अनवर की जमानत अर्जी को स्वीकार कर लिया है। शराब घोटाला केस के अन्य आरोपियों ने EOW की FIR और कार्रवाई को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिस पर कोर्ट ने
EOW को किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है। दरअसल, जेल में बंद आरोपी अनवर ढेबर ने लोअर कोर्ट से अंतरिम जमानत अर्जी खारिज होने के बाद हाईकोर्ट की शरण ली थी। ग्रीष्मकालीन अवकाश के बीच उनके वकील ने अंतरिम जमानत अर्जी पर जल्द सुनवाई का आग्रह किया था। इस पर जस्टिस पीपी साहू की सिंगल बेंच ने अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था।
शराब घोटला का मास्टर माइंड कौन है और यह घोटाला कैसे हुआ। इसको लेकर ईडी शिकायत पर 68 लोगों के नाम पर एफआईआर दर्ज किया गया है. जिसमें उनकी क्या भूमिका है और शराब से कितनी कमाई हुई है। कितना हिस्सा किस अफसर और नेता को मिला है। इस पैसे को नेताओं और अफसरों ने कहां और कैसे निवेश किया। इन सभी प्रश्नों का जवाब एफआईआर में भी मौजूद हैं। ईडी की सूचना के आधार पर ईओडब्ल्यू में दर्ज FIR में अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर को शराब घोटाला का मास्टर माइंड बताया गया है। FIR में शामिल बाकी आईएएस और अन्य सरकारी अफसर और लोग सहयोगी की भूमिका में थे। शराब घोटाला से होने वाली आमदनी का बड़ा हिस्सा इन्हीं तीनों को जाता था। टुटेजा आईएएस अफसर हैं, जब यह घोटाला हुआ तब वे वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के संयुक्त सचिव थे। दूरसंचार सेवा से प्रतिनियुक्ति पर आए त्रिपाठी आबकारी विभाग के विशेष सचिव और छत्तीसगढ़ मार्केटिंग कार्पोरेशन के एमडी थे। वहीं, ढेबर कारोबारी हैं। एफआईआर के अनुसार ढेबर और टुटेजा ने मिलकर पूरी प्लानिंग की थी।
FIR के अनुसार अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर ने शराब घोटाला से प्राप्त रकम को अपने परिवार वालों के नाम पर निवेश किया। टुटेजा ने अपने बेटे यश टुटेजा के नाम पर निवेश किया। त्रिपाठी ने अपनी पत्नी मंजूला त्रिपाठी के नाम पर फर्म बनाया जिसका नाम रतनप्रिया मीडिया प्रइवेट लिमिटेड था। अनवर ढेबर ने अपने बेटे और भतीजों के फर्म में पैसे का निवेश किया। FIR में छत्तीगसढ़ के पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड का भी नाम है। ढांड पर टुटेजा, त्रिपाठी और ढेबर के शराब सिंडीकेट को संरक्षण देने का आरोप है। इसके लिए ढांड को सिंडीकेट की तरफ से राशि भी दी जाती थी। ईडी की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा 2020 में ढांड के यहां आयकर विभाग के सर्च के दौरान मिले दस्तावेजों से हुआ है। प्रदेश में बड़े स्तर पर हुए शराब घोटाला में तत्कालीन विभागीय मंत्री कवासी लखमा को हर महीने 50 लाख रुपये हिस्सा मिलता था। एफआईआर के अनुसार लखमा के साथ ही विभागीय सचिव आईएएस निरंजन दास को भी सिंडीकेट की तरफ से 50 लाख रुपये हर महीने दिया जा रहा था।