25 सितंबर को पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर विशेष आलेख

Update: 2022-09-24 08:35 GMT

अदभूत प्रतिभा के धनी पं. दीनदयाल उपाध्याय उत्कृष्ट लेखक, विचारक, महान राष्ट्र चिंतक एवं 20 वी सदी के आदर्श राजनेता थे। उन्होने देखा कि देश में अमीरी व गरीबी के बीच की खाई दिनों दिन गहरी होती जा रही है । एक ओर जहां बहुसंख्यक लोग गरीबी, बेकारी और भुखमरी से जूझ रहे हैं तो दूसरी ओर समाज में ऐसे भी लोग हैं जिसके पास बेशुमार धन सम्पदा है। देश में एक बड़ा तबका ऐसा भी है जिसकी कमाई सीमित है, अपनी दैनंदिनी की आवश्यकता की आपूर्ति उसके लिए कठिन और दुष्कर कार्य है । यह तबका आर्थिक रूप से काफी पिछड़ा हुआ है । इन्हें अपनी आजीविका के लिए दूसरों पर आश्रित रहना पड़ता है । इस तबके के लोग परस्पर सहयोग व समन्वय से अपनी आर्थिक गतिविधियों का संचालन करते हैं तथा अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं । अंगे्रजों के शासनकाल में इस वर्ग का काफी आर्थिक शोषण हुआ। इन्हें ना ही अपने श्रम का उचित मूल्य मिलता था और ना ही सम्मानजनक जीने का अवसर। अतः ये जमीदारों व साहूकारों के चंगुल में फंस कर गरीबी, बेकारी व भुखमरी के शिकार हो गये । उन्हें अपने जीवन यापन के लिए बंधुआ मजदूरी भी करनी पड़ी । अमीरी व गरीबी की खाई के साये में सन् 1947 में आजाद भारत का जन्म हुआ लेकिन दिशाहीनता के कारण यह समस्या नासूर बन गई।

पं. दीनदयाल जी ने इस आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए ''अंत्योदय'' के सिद्धांत का प्रतिपादन किया उन्होंने कहा कि हमारे प्रयास और हमारी विकास की योजनाएं ऐसी हों कि समाज के अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति का विकास पहले हो । समाज के उपेक्षित व शोषित व्यक्ति को समाज की मुख्यधारा से जोड़कर आर्थिक समानता स्थापित करने का काम अन्त्योदय के सिद्धांत से ही हो सकता है । व्यावहारिक जीवन में धनोपार्जन करना हर मनुष्य का कर्तव्य है क्योंकि उसे अपनी असीमित आवश्यकताओं को सीमित साधनों से पूरा करना है, लेकिन केवल धनोपार्जन करना मनुष्य का एक मात्र उद्देश्य नहीं है । इस परिप्रेक्ष्य में पं. दीनदयाल उपाध्याय ने कहा है ''अर्थोपार्जन प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य होता है, परंतु अर्थ के प्रति आसक्ति दुर्गुण ही कहा जाना चाहिए. संपत्ति की लालसा लिए हृदय देश - धर्म - समाज और संस्कृति से उदासीन हो जाता है । इस दुर्गुण से ग्रस्त व्यक्ति विवेकहीन और असामाजिक होता है । इससे उस व्यक्ति को तो कष्ट उठाने ही पड़ते हैं, साथ ही साथ समाज भी प्रभावित होता है । ऐसा व्यक्ति अर्थ को साधन नहीं केवल साध्य समझने लगता है । चूंकि संपत्ति से प्राप्त विषय भोगों की कोई सीमा नहीं होती इसलिए ऐसे व्यक्ति के साथ साथ समाज के भी भ्रष्ट और अकर्मण्य होने की आशंका रहती है ।'' उन्होने कहा कि ''हमारी भावना और सिद्धांत है कि वह मैले कुचैले, अनपढ़ लोग हमारे नारायण हैं, हमें इनकी पूजा करनी है, यह हमारा सामाजिक व मानव धर्म है, जिस दिन हम इनको पक्के सुंदर, स्वच्छ घर बनाकर देंगें, जिस दिन इनके बच्चों और स्त्रियों को शिक्षा और जीवन दर्शन का ज्ञान देंगें, जिस दिन हम इनके हाथ और पांव की बिवाईयों को भरेंगें और जिस दिन इनको उद्योंगों और धर्मो की शिक्षा देकर इनकी आय को ऊंचा उठा देंगें, उस दिन हमारा मातृभाव व्यक्त होगा ।'' पं. उपाध्याय ने अपने अंत्योदय सिद्धांत में कहा है कि आर्थिक असमानता की खाई को पाटने के लिए आवश्यक है कि हमें आर्थिक रूप से कमजोर लोंगों के उत्थान की चिन्ता करनी चाहिए क्योंकि "अर्थ का अभाव और अर्थ का प्रभाव" दोनों समाज के लिए घातक है । हमारी नीतियां, योजनाएं व आर्थिक कार्यक्रम कमजोर लोगों को ऊपर लाने की होनी चाहिए ताकि वे भी समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें और उन्हें भी समाज के अन्य वर्ग के साथ बराबरी में खड़े होने का अवसर मिल सके।

वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पं. दीनदयाल उपाध्याय के "अंत्योदय" के सिद्धांत से प्रेरित होकर तथा ''सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास एवं सबका प्रयास'' के उदघोष के साथ गरीबों की बेहतरी के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं बनाई हैं। मोदी सरकार ने सबसे पहले उन योजनाओं पर ध्यान दिया, जिन्होंने सामान्य जन के आत्मगौरव, आत्मविश्वास को बढ़ाया और उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा किया। हर व्यक्ति का एक सपना होता है कि उसका एक पक्का आशियाना हो, मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना प्रारंभ कर गरीबों के सपने को साकार किया। इस योजना के तहत वर्ष 2022 के अंत तक सभी बुनियादी सुविधाओं वाले 2.70 करोड़ नए मकान बनाने का लक्ष्य रखा गया है. अब तक देश में 1.83 करोड़ घर बन चुके हैं. देश के करोड़ों लोग जिन्होंने बैंक में प्रवेश तक नहीं किया था। उनके लिए जनधन योजना चलाई गई है। इस योजना के तहत लगभग 45 करोड़ देशवासियों को बैंक से जोड़ा जा चुका है। इसी तरह स्वच्छ भारत अभियान के तहत देश में 11 करोड़ से अधिक शौचालय बने और देश के छह लाख से अधिक गांव शौच मुक्त हुए। उज्ज्वला योजना के तहत भी गरीब परिवारों को गैस कनेक्शन मिला। देश की नौ करोड़ महिलाओं को परंपरागत चूल्हे के धुएं से आजादी मिली है। मोदी सरकार ने नया जल शक्ति मंत्रालय बनाया, जिससे अब तक नौ करोड़ से अधिक परिवारों को पीने का स्वच्छ जल मिला है। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना अति न्यून प्रीमियम वाली अनोखी योजना है, ये ही नहीं बल्कि सरकार ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना लागू कर न्यूनतम ब्याज दर पर बिना गारण्टी के ऋण प्रदान कर छोटे, लघु व कुटीर उद्योंगों के उन्नयन का काम किया है । इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास के लिए दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल विकास योजना तथा स्किल इंडिया के अंतर्गत नवजवानों के कौशल विकास की योजना संचालित की जा रही है । स्टार्ट-अप एवं स्टैण्ड-अप योजना के अंतर्गत युवा बेरोजगारों को स्व-रोजगार स्थापित करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है । इससे ना केवल स्वरोजगार स्थापित हो रहा है बल्कि नये रोजगार का भी सृजन हो रहा है । प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विद्युत अधोसंरचना को मजबूत कर प्रत्येक आबादी क्षेत्र को रोशन करने के लिए दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना प्रारंभ की है। कोरोना काल में प्रारंभ हुई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना ने गरीबों के लिए संजीवनी का काम किया है, इस योजना में 5 किलो राशन प्रति व्यक्ति, प्रति महीने मुफ्त दिया जाता है. इस योजना से देश के 80 करोड़ से अधिक लोग लाभान्वित हो रहें है। इसी प्रकार शिक्षा, स्वास्थ्य व आर्थिक विकास की असंख्य योजनाएं देश भर में चल रही है । इन योजनाओं के माध्यम से भारत के आम आदमी के जीवन-स्तर को सुधारने तथा उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने के तेजी से प्रयास हो रहे हैं । इन योजनाओं का क्रियान्वयन उन व्यक्तियों को लक्ष्य करके किया गया है जिन्हें पं. दीनदयाल उपाध्याय ने ''समाज के अंतिम व्यक्ति'' की संज्ञा देकर सबसे पहले उनके उदय (विकास) की बात रखते हुये अंत्योदय का सिद्धांत प्रतिपादित किया था । लक्ष्य अन्त्योदय, प्रण अन्त्योदय व पथ अन्त्योदय के ध्येय के साथ सरकार आगे कदम बढ़ा रही है। अंत्योदय से प्रेरित मोदी सरकार की नीतियों एवं योजनाओं से देश में एक नया बदलाव आया है । 

 लेखक - अशोक बजाज

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