विधायक दल के नेता चुने गए सिद्धारमैया

Update: 2023-05-19 05:35 GMT

20 मई को सीएम पद की शपथ लेंगे कर्नाटक के सीएम

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पीसीसी चीफ मोहन मरकाम के साथ एआईसीसी के सचिव पारस चोपड़ा भी विशेष रूप से मौजूद रहेंगे

सीएम भूपेश बघेल आज शाम कर्नाटक के लिए होंगे रवाना

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आमंत्रण पर सीएम भूपेश बघेल, और प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम आज यानि शुक्रवार की शाम बेंगलुरु रवाना होंगे। वो कर्नाटक के सीएम सिद्धरम्मैया के शपथग्रहण समारोह में अतिथि के रूप में शिरकत करेंगे। बता दें कि कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद पार्टी ने राज्य में मुख्यमंत्री का नाम तय कर लिया है। सिद्धारमैया विधायक दल के नेता चुने जा चुके हैं और अब वही कर्नाटक के सीएम बनने जा रहे हैं। 20 मई को दोपहर 12.30 बजे सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार मनोनीत मंत्रियों के साथ शपथ लेंगे। इसके बाद कर्नाटक में कांग्रेस सरकार स्थापित हो जाएगी।

नई दिल्ली (ए/नेट डेस्क)। कांग्रेस की तमाम मुलाकातों के बाद गुरुवार को तय हो गया कि कर्नाटक की कमान सिद्धारमैया ही थामेंगे। वहीं डीके शिवकुमार डिप्टी सीएम बनने को मान गए हैं। हालांकि लोकसभा तक कर्नाटक कांग्रेस के मुखिया भी डीके ही रहेंगे। दिल्ली में मसला सुलझने के साथ ही शाम तक दोनों नेता बेंगलुरु वापस लौट गए। यहां विधायक दल के नेताओं की बैठक हुई, इसमें सभी कांग्रेस विधायकों ने औपचारिक रूप से सिद्धारमैया को अपना नेता और कर्नाटक का मुख्यमंत्री चुन लिया।

इंदिरा गांधी भवन में हुई कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायकों, एमएलसी और सांसदों की बैठक में कांग्रेस के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला और दो अन्य केंद्रीय पर्यवेक्षकों (महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे और कांग्रेस महासचिव जितेंद्र) शामिल हुए। सुरजेवाला ने ट्वीट कर बताया कि डीके शिवकुमार ने कर्नाटक में कांग्रेस विधायक दल के नए नेता के रूप में सिद्धारमैया को चुनने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया। कांग्रेस पार्टी के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से इसका समर्थन किया। 20 मई को दोपहर 12.30 बजे सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार मनोनीत मंत्रियों के साथ शपथ लेंगे।

राज्यपाल ने शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया

कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मनोनीत मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और नामित उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को टीम के सदस्यों के साथ शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया है। शपथ समारोह बेंगलुरु के कांटेरावा स्टेडियम में होगा।

100 घंटे चले मंथन के बाद सिद्धारमैया के नाम पर मुहर

कर्नाटक से दिल्ली तक 100 घंटे चले मंथन और ताबड़तोड़ बैठकों के दौर के बाद सीएम पद के लिए सिद्धारमैया के नाम पर मुहर लगी। बताया जा रहा है कि सोनिया गांधी के हस्तक्षेप के बाद कर्नाटक का पूरा सियासी संकट सुलझ पाया।

अब 20 मई को कर्नाटक में नई सरकार का गठन होगा। दरअसल, कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया था। हालांकि, समय समय पर प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया सीएम पद के लिए अपनी अपनी दावेदारी पेश करते रहे। राज्य में जीत मिलने के बाद सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार ने सीएम बनने के लिए कोशिशें तेज कर दी थीं। जहां कांग्रेस आलाकमान सिद्धारमैया को सीएम और शिवकुमार डिप्टी सीएम बनाने के पक्ष में था।

हालांकि, शिवकुमार सीएम पद से नीचे कुछ भी लेने को तैयार नहीं थे। बड़ी जद्दोजहद के बाद शिवकुमार तैयार हुए हैं।

चुनावों में कांग्रेस ने दर्ज की

ऐतिहासिक जीत

कांग्रेस ने 10 मई को कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल की है। पार्टी को 224 सीटों में से 135 सीटों पर जीत मिली है। राज्य से भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया है। बीजेपी 66 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर आई। जबकि जेडीएस को सिर्फ 19 सीटें मिलीं। चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद से कांग्रेस में राज्य के अगले मुख्यमंत्री को लेकर कवायद तेज हो गई थी।

डीके शिवकुमार, वो नेता जो 33 साल से नहीं हारा कोई भी चुनाव

कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए सिद्धारमैया के साथ डीके शिवकुमार का नाम सबसे आगे था। लेकिन सीएम पद के लिए सिद्धारमैया के नाम पर मुहर लग गई और शिवकुमार को डिप्टी सीएम के लिए चुना गया। लेकिन कौन हैं डीके शिवकुमार, जो सीएम पद के लिए सिद्धारमैया को सीधे टक्कर दे रहे थे। कर्नाटक के लोगों के लिए डीके शिवकुमार किसी परिचय के मोहताज नहीं है। उन्हें राज्य में घर-घर में पहचाना जाता है। कर्नाटक की राजनीति में उन्हें संकटमोचक के नाम से जाना जाता रहा है।

राजनीति के गुण पिता से विरासत में मिले : 15 मई 1962 को कनकपुरा के डोड्डालाहल्ली गांव में शिवकुमार का जन्म हुआ था। उन्हें राजनीतिक गुण विरासत में अपने पिता से मिले। 1980 के दशक में 18 साल की उम्र में वह कांग्रेस की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) से जुड़ गए थे। वह 1981-1983 में एनएसयूआई की बेंगलुरु जिला इकाई के अध्यक्ष बने। बेंगलुरु में राम नारायण चेल्लाराम कॉलेज में पढ़ाई के दौरान शिवकुमार यूथ कांग्रेस में शामिल हुए औऱ इसकी राज्य इकाई के महासचिव चुने गए। बाद में वह बेंगलुरु ग्रामीण जिला युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बने। उन्होंने कनकपुरा तालुका के ग्रामीण इलाकों में निशुल्क हेल्थ चेकअप और ब्लड डोनेशन कैंप लगाए और इलाके में सभी की आंखों का तारा बन गए।

देवेगौड़ा को दी थी कांटे की टक्कर : 1985 में जब जनता दल के प्रभावशाली नेता एचडी देवेगौड़ा सथानूर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा तो कांग्रेस को शिवकुमार के रूप में एक बेहतरीन उम्मीदवार मिला और उन्हें देवेगौड़ा के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा। इस सीट पर शिवकुमार ने देवेगौड़ा को कड़ी टक्कर दी। हालांकि, फिर भी देवेगौड़ा यह चुनाव जीत गए लेकिन वह भी भांप गए थे कि उनके लिए यह जीत आसान नहीं थी। 1987 में उन्हें सथानूर निर्वाचन क्षेत्र से बेंगलुरु ग्रामीण जिला पंचायत का सदस्य चुना गया। 1989 में वह कांग्रेस पार्टी के टिकट पर सथानूर सीट से चुनाव लड़े। वह यह सीट भारी बहुमत से जीत गए थे। डीके शिवकुमार ने 1991 चुनाव में बंगारप्पा सरकार को सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाई थी और उन्हें रेल मंत्री चुना गया था।

वह कैबिनेट में जगह पाने वाले सबसे युवा मंत्री थे। हालांकि, 1994 में अगले चुनाव में उनके प्रतिद्वंद्वियों की कुटिल चाल की वजह से उन्हें टिकट नहीं मिल पाया था। लेकिन फिर भी उन्होंने एक बागी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 1999 में जब एसएम कृष्णा को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष चुना गया तो शिवकुमार चट्टान की तरह उनके साथ खड़े रहे और हर मोर्चे पर उनका साथ दिया। कांग्रेस चुनाव में कांग्रेस को बंपर जीत मिली और इस जीत में शिवकुमार की अहम भूमिका रही।

लगातार आठ बार चुनाव जीता

1999-2002 के दौरान शिवकुमार के दम पर ही राज्य में कांग्रेस पार्टी 139 सीटों के साथ सत्ता में आई।एमएस कृष्णा ने उन्हें कैबिनेट में जगह दी। वह 2002 में शहरी विकास मंत्री बने और स्टेट प्लानिंग बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने राज्य में युवाओं के लिए राजीव युवा शक्ति कार्यक्रम की अगुवाई भी की।

कांग्रेस ने 1999 में शिवकुमार को देवेगौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्वामी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा। उस बार भी मुकाबला सथानूर सीट पर था। लेकिन देवेगौड़ा की लोकप्रियता के बावजूद शिवकुमार ने उनके बेटे कुमारस्वामी को हरा दिया। साल 2004 में जब पहली बार कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सत्ता में आया। एसएम कृष्णा को दरकिनार कर दिया गया। लेकिन यह वह समय था, जहां से शिवकुमार ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह लगातार चार बार 1989, 1994, 1999 और 2004 में सथानूर सीट से जीते। उन्होंने 2008 से कनकपुरा से चुनाव लड़ा और तब से आज तक कभी हार का मुंह नहीं देखा।

इन नेताओं को दिया गया निमंत्रण

-बिहार के सीएम नीतीश कुमार

-बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव

-तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन

-झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन

-पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती

-सीपीआई के महासचिव डी राजा

-सीपीआई के महासचिव सीताराम येचुरी

-बंगाल की सीएम ममता बनर्जी

-एनसीपी प्रमुख शरद पवार

-महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे

-अभिनेता और एमएनएम प्रमुख

कमल हासन

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