शाला प्रवेश उत्सव आयोजन के लिए जारी निर्देश में कहा गया है कि सत्र की शुरूआत एक उत्सव के रूप में हो, बच्चों में पालकों के लिए यह दिन विशेष तौर पर यादगार बन सके। इसके लिए राज्य स्तर पर चयनित किसी एक स्कूल में, सभी जिला एवं विकासखण्डों में किसी एक चयनित शाला में, सभी शाला संकुलों में और सभी शालाओं में अपने-अपने स्तर पर अपनी-अपनी क्षमतानुसार प्रवेशोत्सव का आयोजन किया जाए। शाला प्रवेश उत्सव के विशेष शुरूआती कार्यक्रम के लिए समय निर्धारित करते हुए प्रारंभ में राजगीत, राष्ट्रगान, सम्मानीय अतिथियों का स्वागत एवं स्वागत गीत प्रस्तुत किया जाए। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री के संदेश का वाचन के बाद नव प्रवेशित बच्चों का मिठाई, गुलाल, पुस्तक एवं गणवेश वितरण कर प्रतिभाशाली बच्चों का सम्मान एवं स्वागत किया जाए।
विभिन्न हितग्राहियों को योजना अंतर्गत महतारी दुलार योजना, सायकल, विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों के लिए आवश्यक संसाधन, प्रतिकात्मक छात्रवृत्ति का वितरण कर लाभ दिया जाए। शाला संकुल प्राचार्य द्वारा आगामी सत्र में गुणवत्ता सुधार के लिए तैयार कार्ययोजना से परिचय से समुदाय विशेषकर पालकों को अवगत कराया जाए। चयनित बच्चों द्वारा अभिव्यक्ति एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाए। पालकों एवं शाला प्रबंधन समिति के सदस्यों द्वारा विचार व्यक्त किए जाए। मुख्य अतिथि एवं विशेष अतिथियों द्वारा उद्बोधन के बाद उपस्थित सभी सम्मानीय अतिथियों एवं आयोजन में सहयोगकर्ताओं को धन्यवाद ज्ञापित किया जाए।
प्रवेशोत्सव मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि की उपस्थित आयोजित किया जाए। इस अवसर पर शाला परिवार की ओर से नव प्रवेशित बच्चे, उनके पालक, नियमित अध्ययनरत विद्यार्थी और उनके पालकों को आमंत्रित किया जाए। शाला त्यागी एवं अप्रवेशी बच्चे, पलायन के दौरान बाहर जाने वाले बच्चे और उनके पालक, शाला प्रबंधन समिति और शाला से जुड़े विभिन्न समितियों के सदस्य, कोरोना के दौरान बच्चों के सीखने में सहयोग देने वाले समुदाय के सदस्य, जिन्होंने सीखने-सिखाने के लिए कक्षा आदि की व्यवस्था में सक्रिय सहयोग दिया उन्हें आमंत्रित किया जाए।
इसके अलावा आंगनबाड़ी एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ता, महिला स्व-सहायता समूह, विभिन्न सामुदायिक संगठन प्रमुख को भी आमंत्रित किया जाए। विद्यान्जली कार्यक्रम के अंतर्गत शाला में आवश्यकतानुसार कुल मूलभूत सुविधाएं देने के इच्छुक व्यक्ति, संस्थान के प्रतिनिधि जो बच्चों को स्लेट, पेंसिल से लेकर अन्य सुविधाएं देने को तत्पर हो उन्हें भी आमंत्रित करें। शाला प्रवेशोत्सव आयोजन के पूर्व शाला परिसर की साफ-सफाई एवं रंग-रोगन, शाला परिसर में प्रिंट-रिच वातावरण, मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता, शाला सुरक्षा ऑडिट कर बच्चों के लिए खतरे की संभावनाओं वाले स्थल कर आकलन कर कमियों को दूर किया जाए। स्वच्छ पेयजल, शौचालय एवं माध्यान्ह भोजन आदि के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं तैयार कर ली जाए।
शाला में अध्यनरत बच्चों, शाला प्रबंधन समिति एवं समुदाय के माध्यम से रैली निकालकर और घर-घर सर्वे कर ऐसे बच्चों की पहचान कर ली जाए, जो शाला जाने योग्य हैं, शाला त्यागी या अप्रवेशी हैं, जिनके घरों से बच्चे प्रतिवर्ष पलायन करते, जो विशिष्ट आवश्यकताओं की वजह कुछ विशेष सुविधाओं के अभाव में शाला नहीं जा पा रहे हैं। ऐसे बच्चों के पालकों के साथ विशेष बैठक लेकर उनके घरों में संपर्क उन्हें शाला में प्रवेश लेने और पूर्व सत्र में नियमित उपस्थित के लिए समझाईश देते हुए प्रोत्साहित किया जाए। शाला प्रवेशोत्सव आयोजन की जानकारी और समय के संबंध में आवश्यक सूचनाएं बच्चों के माध्यम से समुदाय को एवं कोटवार के माध्यम से दो दिनों तक मुनादी कराई जाए। अधिक से अधिक बच्चों को शासकीय शालाओं में प्रवेश लेने प्रेरित किया जाए। शाला में बेहतर अध्यापन के लिए आवश्यक संसाधनों की जानकारी लेकर प्राथमिकताओं का निर्धारण कर ऐसे संस्थाओं, व्यक्तियों की पहचान करें, जो शाला में आवश्यक संसाधन सुलभ कराने में रूचि लें। शाला का पंजीयन विद्यान्जली पोर्टल में करते हुए आवश्यकताओं का उल्लेख पहले से कर दें, ताकि इच्छुक संस्था आपको वह संसाधन उपलब्ध करा सके। शालाओं के माध्यम से विद्यार्थियों को दी जाने वाली सुविधओं को प्रवेशोत्सव के दौरान वितरित करें।
ऐसे सभी बच्चें जिनके शाला त्याग की संभावना है, जैसे घुमंतू बच्चे, पलायन करने वाले बच्चे, बहुत गरीब घरों के बच्चे, विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चे, नक्सल प्रभावित बच्चे, कोरोना से परिवार को खो चुके बच्चे आदि की पहचान कर उन्हें आस-पास संचालित आश्रम, छात्रावासों, पोटा केबिन, केजीबीव्ही एवं अन्य आवासीय सुविधाओं वाले केन्द्रों में प्रवेश के लिए आवश्यक प्रक्रिया करते हुए सभी पात्र बच्चों को प्रवेश दिलाते हुए निकट संचालित सभी केन्द्रों में शत-प्रतिशत सीटों को भरने के लिए आवश्यक पहल करें। प्रवेशोत्सव का व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुए बच्चों के माध्यम से शिक्षा के महत्व को प्रदर्शित करते हुए नुक्कड़ नाटक, बड़े बुजुर्गो से कहानी सुनाना, दीवार लेखन, स्लोगन-नारे, रैलियों का आयोजन कर प्रत्येक बच्चे को शाला से जोड़े। अंगन म शिक्षा के मेले का आयोजन भी प्रवेश उत्सव के आसपास करते हुए बच्चों द्वारा सीखे गए बिन्दुओं का आकलन करते हुए माताओं द्वारा सपोर्ट कार्ड देने की व्यवस्था करें।
आगामी शिक्षा सत्र में शाला से जुड़े विभिन्न कार्यों में सक्रिय सहयोग देेन के लिए समुदाय से एक पैनल का चयन कर उन्हें भी इस दौरान सम्मानित किए जाने का प्रावधान रखें। समुदाय से शाला को सहयोग के क्षेत्रों में कक्षा अध्यापन में सहयोग, शाला अवधि के बाद के समय में विशेष कोचिंग, विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयारी, सहायक सामग्री तैयार कर सुलभ करवाना जैसे कार्य हो सकते हैं। शाला में आवश्यक संसाधन एवं आसपास के शाला में उपलब्ध संसाधनों को एक दूसरे से साझा करने के लिए ट्विनिंग ऑफ स्कूल योजना के अंतर्गत शालाओं की जोड़ी बनाकर आपस में मिलकर कार्य किया जाए। शालाओं में बच्चों की नियमित उपस्थित बनाए रखने, बच्चों का सीखना सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रावधान किया जाए।
जिला शिक्षा अधिकारी जिले, विकासखण्ड, सभी शाला संकुलों एवं सभी शालाओं में शाला प्रवेश उत्सव का आयोजन सुनिश्चित कराएं। जिले में शाला त्याग को कम करने सभी बच्चों को प्रवेश उत्सव के दौरान शालाओं में प्रवेश देना सुनिश्चित करें। सभी विद्यार्थियों को स्वीकृति सुविधाओं को सुलभ करवाते हुए प्रवेश उत्सव के दौरान आयोजित होने वाले कार्यक्रम में वितरित कराएं। प्रवेश उत्सव के दौरान बच्चों के प्रवेश पर प्रतिदिन ट्रेकिंग कर अधिक से अधिक बच्चों को शाला प्रवेश की सुविधा देना, निजी शालाओं में 25 प्रतिशत बच्चों का प्रवेश सुनिश्चित करवाएं।