बिलासपुर। राज्य प्रशासनिक सेवा के दो अधिकारियों के खिलाफ नामांतरण में फर्जीवाड़ा करने के आरोप में दर्ज की गई एफआईआर हाईकोर्ट ने रद्द कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि उक्त मामले में अधिकारियों ने अपने न्यायिक क्षेत्राधिकार का पालन किया था, इस पर अपराध दर्ज नहीं हो सकता।
वर्तमान में कांकेर के डिप्टी कलेक्टर अशोक कुमार मार्बल और पामगढ़ के संयुक्त कलेक्टर राजकुमार तंबोली के खिलाफ यह मुकदमा तब दर्ज किया गया था जब वे सन् 2014 में कोरबा जिले में तहसीलदार के पद पर कार्यरत थे। शिकायत के मुताबिक आदिवासी महिला बुधवारो बाई के नाम पर 2.19 एकड़ जमीन थी। उसके किराएदार मानकेसर लाल ने 6 दिसंबर 1983 को महिला को धोखे में रखते हुए अपने नाम पर उस जमीन का एक वसीयतनामा तैयार करा लिया। उक्त दोनों अधिकारियों और राजस्व कर्मचारियों से मिलीभगत कर किराएदार ने वह जमीन अपने नाम करा ली। इसके बाद बुधवारी वाई के संबंधी इंद्रपाल सिंह कंवर ने कटघोरा कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत आवेदन किया।
इसमें बताया गया कि बुधवारी बाई आदिवासी महिला थी, जबकि मानकेसर लाल गैर आदिवासी है। इस जमीन का नामांतरण नहीं हो सकता था। जेएमएफसी कोर्ट कटघोरा ने 10 फरवरी 2014 को तत्कालीन तहसीलदार अशोक कुमार मार्बल और राजकुमार तंबोली के अलावा दो पटवारी विशंभर सिंह ठाकुर, एसके साहू तथा मानकेसर लाल के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 तथा 34 के तहत जुर्म दर्ज करने का आदेश दिया था। मामले की पुलिस जांच चल रही थी। इस एफआईआर को दोनों अधिकारियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने नामांतरण की कार्रवाई रजिस्टर्ड सेल डीड के आधार पर की थी। खरीदी-बिक्री की प्रक्रिया में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रजनी दुबे की डिवीजन बेंच ने सुनवाई पूरी कर दोनों के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द कर दी है।