बिलासपुर। यूं तो भारतवर्ष में दशहरा के पर्व पर रावण दहन और बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक भगवान श्री राम की पूजा अर्चना का विशेष महत्व होता है। इस दिन असत्य पर सत्य की जीत को लोग बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। विजयादशमी के दिन भगवान श्री राम दैत्य रावण का वध करते हैं और बुराई के अंत का उदाहरण लोगों को प्राप्त होता है। इसे मनाने के लिए लोग बेसब्री से इंतजार और रावण के वध का साक्षी बनने के लिए बेताब रहते हैं। लेकिन रामलला ननिहाल के छत्तीसगढ़ राज्य के एक जिला ऐसा है, जहां राम-लक्ष्मण और हनुमान से पहले रावण की पूजा हो होती है।
दरअसल प्रदेश की न्यायधानी बिलासपुर जिले के तखतपुर में पिछले 75 सालों से एक क्षेत्र का नाम रावण-भांठा के नाम से मशहूर है। यहां के लोग रावण-भांठा का ही पता अपने परिचय पत्र और घर का एड्रेस दिया करते हैं। यहां सीमेंट से निर्मित भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और हनुमान के ठीक सामने दैत्य रावण की मूर्ति स्थापित की गई है। यहां राम, लक्ष्मण, हनुमान से पहले महाज्ञानी दैत्य रावण की पूजा की जाती है। वैसे तो जानने-सुनने में रावण की मूर्ति और पूजा की कहानी कम ही सुनाई देती है। ये अलग बात है कि रावण का पुतला बनाकर उसका वध हर दशहरा में किया जाता है, लेकिन इस तखतपुर में रावण का पुतला भी दहन होता है। लेकिन बच्चों और आम लोगों में रावण की जीवनी और रामकथा जाने इस लिहाज से मूर्ति को स्थापित किया गया है।