13 वर्षीया मासूम से दुष्कर्म, आरोपी को मिली 20 साल की उम्रकैद

बड़ी खबर

Update: 2022-02-14 16:11 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अंबिकापुर। अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रेक स्पेशल कोर्ट पाक्सो एक्ट पूजा जायसवाल की अदालत ने घर में घुसकर 13 साल की बालिका के साथ दुष्कर्म करने के आरोपित नवापारा लब्जी निवासी व वर्तमान में बौरीपारा अंबिकापुर में रहने वाले संजय निकुंज 38 वर्ष को 20 वर्ष कारावास और दस हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड की राशि अदा नहीं करने पर आरोपित को एक वर्ष अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा अदालत ने इस मामले में गंभीर टिप्पणी की है।

अदालत ने कहा है कि सामान्यतः कोई भी सम्मानित स्त्री किसी पर बलात्संग का झूठा अभियोग नहीं लगाएगी, क्योंकि ऐसा करने से उसे अपनी सबसे मूल्यवान चीज की कुर्बानी देनी पड़ेगी। उपरोक्त मामला ऐसा है कि उसे पूर्ण रूप से लिए जाने पर यह महसूस होता है कि जो बात पीड़िता ने बताया है, वह एक न्यायिक मस्तिष्क को संभाव्य लगती है, जब किसी स्त्री के साथ जबरदस्ती की गई हो तो उसे केवल शारीरिक रूप से आघात नहीं पहुंचता है, वरन उसे सदैव के लिए गहरी लज्जा के भाव में डाल दिया जाता है।

अपर लोक अभियोजक राकेश सिन्हा ने बताया कि अंबिकापुर के गांधीनगर थाना क्षेत्र के एक गांव में बीते 31 जनवरी 2020 को आरोपित संजय निकुंज ने घर में घुसकर 13 साल की बालिका के साथ दुष्कर्म किया था। घटना के वक्त पीड़िता की मां घर में नहीं थी। बेटी के घर में अकेले होने की वजह से उसने बाहर से सिटकनी लगा दी थी लेकिन जब वह घर लौटी तो देखी की सिटकनी खुली हुई है और दरवाजा अंदर से बंद है।
आवाज देने पर भीतर से बेटी के चिल्लाने की आवाज सुनकर मां दीवार लांघ कर अंदर घुसी थी। तब आरोपित जान से मारने की धमकी देकर भाग निकला था। घटना के दौरान पीड़िता के पिता नहीं थे। उनके आने के बाद पांच फरवरी 2020 को घटना की रिपोर्ट गांधीनगर थाने में दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर न्यायालय के निर्देश पर जेल भेज दिया था।
प्रकरण के सारे तथ्यों की सुनवाई और पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रेक स्पेशल कोर्ट पाक्सो एक्ट पूजा जायसवाल की अदालत ने आरोपित संजय निकुंज को धारा 450 वह धारा 376( 3) का दोषी पाया। धारा 450 के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास तथा 2000 रुपये अर्थदंड, अदा नहीं करने पर तीन माह कारावास तथा धारा 376( 3) के तहत 20 वर्ष कारावास व 10 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई।दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
पीड़िता का बयान जख्मी साक्षी के समान
दुष्कर्म के प्रकरण का निपटारा करते समय बहुत ही अधिक उत्तरदायित्व दर्शित करनें की आवश्यकता न्यायालय की होती है। न्यायालय को चाहिए कि उस मामले की वृहत अधिसंभावनाओं का परीक्षण करे तथा मामूली विरोधात्मक बातों या साक्षियों के कथनों एवं अमहत्वपूर्ण फर्को की ओर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए।
यदि वे इतने घातक स्वरूप के नहीं है कि न्यायालय को अभिकथन समाप्त कर देना पड़े। पीड़िता का साक्ष्य जख्मी साक्षी के बराबर होता है और यदि यह विश्वसनीय लगे तो संपुष्टि आवश्यक नहीं है। एक अवयस्क के साथ दुष्कर्म एक ऐसा अपराध है जो कि ना केवल पीड़ित की एकांतता एवं उसकी व्यक्तिगत पवित्रता का उलंघन करता है बल्कि अनिवार्य रूप से गंभीर मनोवैज्ञानिक साथ ही साथ शारीरिक क्षति भी पहुचाता है।
Tags:    

Similar News